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जैव विविधता और पर्यावरण

घरेलू वायु प्रदूषण

  • 10 Sep 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेंट (Centre for Science & Environment-CSE) के अनुसार, वर्ष 2016-18 के दौरान PM2.5 का औसत स्तर वर्ष 2011-14 की तुलना में 25 प्रतिशत कम था।

  • PM का आशय उन कणों या छोटी बूँदों से है जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर (0.000025 मीटर) या उससे कम होता है और इसलिये इसे PM2.5 के नाम से भी जाना जाता है।
  • यद्यपि वर्तमान में PM2.5 के गंभीर स्तर वाले दिनों की संख्या वर्ष 2015 से कम हो गई है, परंतु अभी भी दिल्ली को वैश्विक वायु गुणवत्ता मानकों (Global Air Quality Standards) को पूरा करने के लिये प्रदूषण के स्तर में 65 फीसदी की कटौती करने की आवश्यकता है।

घरेलू वायु प्रदूषण

  • घरों में ठोस ईंधन के जलने से उत्पन्न PM2.5 का उत्सर्जन घरेलू वायु प्रदूषण कहलाता है।
  • पर्यावरणीय वायु प्रदूषण और घरेलू वायु प्रदूषण एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। फिर भी घरेलू वायु प्रदूषण को अधिक खतरनाक माना जाता है, क्योंकि अधिकतर लोग अपने समय का 90 प्रतिशत हिस्सा घर के अंदर व्यतीत करते हैं।
  • स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट (State Of Global Air Report), 2019 के अनुसार, वर्ष 2017 में भारत में अनुमानित 846 मिलियन लोग घरेलू वायु प्रदूषण के संपर्क में थे, जो कि देश की आबादी का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा है।
  • हवा में गैसों और कणों को मुख्यतः दो स्रोतों में विभाजित किया जा सकता है: प्राथमिक स्रोत और माध्यमिक स्रोत।
    • प्राथमिक स्रोत: इसमें उन गैसों को शामिल किया जाता है, जिनका उत्सर्जन निम्नलिखित स्रोतों से होता है।
      • घर या मकान
      • उपभोक्ता उत्पादों
      • माइक्रोबियल (Microbial) और मानव चयापचय उत्सर्जन (Human Metabolic Emissions)
    • माध्यमिक स्रोत: इस प्रकार की गैसों का उत्पादन हवा में रासायनिक प्रतिक्रियाओं (Chemical Reactions) के माध्यम से होता है। उदाहरण के लिये खाना पकाते समय बड़ी मात्रा में वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (Volatile Organic Compounds-VOCs), कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) या CO2, नाइट्रोजन ऑक्साइड (Nitrogen Oxide) या NOx आदि का उत्सर्जन होता है। VOCs तथा NOx सूर्य की उपस्थिति में प्रतिक्रिया कर सतही ओज़ोन का निर्माण करते हैं।
      • सतही ओज़ोन न केवल मानव स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डालती है, बल्कि प्रदूषण का एक बड़ा कारण भी है।

घरेलू वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव

  • ज़मीनी स्तर के ओज़ोन के संपर्क में आने से श्वसन रोग (Respiratory Disease) तथा हृदय रोग (Cardiovascular Diseases) के कारण व्यक्ति के मरने की संभावना बढ़ जाती है।
  • वर्ष 2017 में टाइप 2 मधुमेह से होने वाली मौतों और विकलांगता के लिये PM2.5 तीसरा प्रमुख कारक था।
  • गोबर, लकड़ी और कोयले जैसे ईंधनों के उपयोग से पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter-PM), मीथेन (Methane) और कार्बन मोनोऑक्साइड (Carbon Monoxide) जैसे हानिकारक प्रदूषण कारकों का उत्सर्जन होता है, जिसके परिणामस्वरूप फेफड़ों का कैंसर, हृदय रोग और मोतियाबिंद आदि का खतरा बढ़ जाता है।
  • घरेलू वायु प्रदूषण ब्लैक कार्बन (Black Carbon) के उत्सर्जन में 25 प्रतिशत का योगदान देता है एवं कई अध्ययनों के मुताबिक ब्लैक कार्बन, कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) के बाद जलवायु परिवर्तन का दूसरा सबसे बड़ा कारक है।
  • घरेलू वायु प्रदूषण का कृषि उत्पादन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ब्लैक कार्बन फसलों तक पहुँचने वाली सूर्य के प्रकाश की मात्रा को कम कर देता है एवं प्रकाश संश्लेषण को बाधित करता है जिसके कारण फसलों को काफी नुकसान पहुँचता है।

आगे की राह

  • साधारण उपायों को अपनाना जैसे- वेंटिलेशन की उपर्युक्त सुविधा के साथ खाना बनाना, अगरबत्ती और मोमबत्तियों के उपयोग से यथासंभव बचना, रूम फ्रेशनर जैसी चीज़ों का कम-से-कम उपयोग करना।
  • भारत में अक्सर घर काफी हद तक खुले होते हैं, जिसके कारण बाहरी वायु प्रदूषण का प्रवेश घर के अंदर तक हो जाता है। इसके लिये आवश्यक है कि घरों के निर्माण की उचित प्रक्रिया अपनाई जाए।
  • भारत में घरेलू वायु प्रदूषण को मापना भी एक बड़ी चुनौती है। इस संदर्भ में विचार किया जाना चाहिये और घरेलू वायु प्रदूषण के लिये नए मानकों की खोज कर इस समस्या को हल किया जाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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