जैव विविधता और पर्यावरण
घरेलू वायु प्रदूषण और हृदय संबंधी रोग
- 05 Sep 2019
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चर्चा में क्यों?
एक हालिया अध्ययन के मुताबिक, निम्न आय वाले देशों (Low Income Countries) में हृदय रोग (Cardiovascular Disease-CVD) के कारण मरने वाले लोगों की संख्या कैंसर (Cancer) से मरने वाले लोगों की संख्या से तीन गुना अधिक है।
अध्ययन के मुख्य बिंदु:
- हृदय रोग (CVD) वैश्विक स्तर पर मृत्यु का सबसे प्रमुख कारण है, परंतु निम्न आय वाले देशों और उच्च आय वाले देशों में इस संदर्भ में काफी भिन्नता पाई जाती है।
- उच्च आय वाले देशों में कैंसर से होने वाली मौतें हृदय रोग के कारण होने वाली मौतों से दोगुनी हैं, वहीं निम्न आय वाले देशों में यह आँकड़ा पूर्णतः विपरीत है।
- इसके अतिरिक्त अध्ययन में घरेलू वायु प्रदूषण (Household Air Pollution) को हृदय रोगों का सबसे प्रमुख कारण माना गया है।
- निम्न आय वाले देशों में मधुमेह, धूम्रपान, कम शारीरिक गतिविधियों और खराब आहार की अपेक्षा घरेलू वायु प्रदूषण से हृदय रोग होने की संभावना अधिक होती है।
उल्लेखनीय है कि हृदय रोग संबंधी इस अध्ययन में भारत को निम्न आय वाले देश के रूप में वर्गीकृत किया गया था
घरेलू वायु प्रदूषण
- घरों में ठोस ईंधन के जलने से उत्पन्न PM2.5 का उत्सर्जन घरेलू वायु प्रदूषण (Household Air Pollution-HAP) कहलाता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर तीन बिलियन से अधिक लोग खाना पकाने के लिये प्रदूषणकारी ईंधन और उपकरण - जैसे लकड़ी, कोयला और साधारण स्टोव आदि का उपयोग करते हैं।
- घरेलू वायु प्रदूषण का सबसे ज़्यादा प्रभाव महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है तथा यह मुख्यतः विकासशील देशों के ग्रामीण हिस्सों में देखने को मिलता है, क्योंकि इन इलाकों में सौर, बिजली और बायोगैस गैस जैसे स्वच्छ विकल्पों तक पहुँच न होने के कारण लोग खाना पकाने और अन्य संबंधित कार्य करने के लिये प्रदूषणकारी ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर रहते हैं।
- दुनिया में अभी भी ऐसे कई लोग हैं जो बिजली न होने के कारण रोशनी के लिये केरोसिन (Kerosene) का उपयोग करते हैं।
घरेलू वायु प्रदूषण का प्रभाव
- स्वास्थ्य पर प्रभाव
- उपरोक्त अध्ययन से स्पष्ट है कि घरेलू वायु प्रदूषण वैश्विक स्तर पर हृदय संबंधी रोगों से होने वाली मौतों का सबसे प्रमुख कारण है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों के मुताबिक, घरेलू वायु प्रदूषण (मुख्यतः खाना पकाने के दौरान आग से निकलने वाले धुएँ) के संपर्क में आने से प्रतिवर्ष 3.8 मिलियन लोगों की समयपूर्व मृत्यु हो जाती है।
- गोबर, लकड़ी और कोयले जैसे ईंधनों के उपयोग से पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter-PM), मीथेन (Methane) और कार्बन मोनोऑक्साइड (Carbon Monoxide) जैसे हानिकारक प्रदूषण कारकों का उत्सर्जन होता है, जिसके परिणामस्वरूप फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग और मोतियाबिंद आदि का खतरा बढ़ जाता है।
- घरेलू वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य जोखिमों को गरीबी के साथ भी जोड़कर देखा जाता है, क्योंकि गरीबों के पास स्वच्छ ईंधन और उपकरण प्राप्त करने के लिये संसाधनों की कमी होती है। अधिकतर कम आय वाले परिवारों में लोग लकड़ी और गोबर जैसे ईंधन पर भरोसा करते हैं, क्योंकि इन्हें आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
- जलवायु पर प्रभाव
- घरेलू वायु प्रदूषण ब्लैक कार्बन (Black Carbon) के उत्सर्जन में 25 प्रतिशत का योगदान देता है एवं कई अध्ययनों के मुताबिक ब्लैक कार्बन, कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) के बाद जलवायु परिवर्तन का दूसरा सबसे बड़ा कारक है।
- घरेलू वायु प्रदूषण का कृषि उत्पादन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ब्लैक कार्बन फसलों तक पहुँचने वाली सूर्य के प्रकाश की मात्रा को कम कर देता है एवं प्रकाश संश्लेषण को बाधित करता है जिसके कारण फसलों को काफी नुकसान पहुँचता है।
- स्वच्छ ईंधन तक पहुँच के अभाव में अधिकतर लोग लकड़ी को ही विकल्प के रूप में चुनते हैं, जिसके कारण वनों की कटाई को और अधिक बढ़ावा मिलता है।
घरेलू वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय
- हानिकारक ईंधन का प्रयोग करने के पीछे सबसे प्रमुख कारण यह है कि इस प्रकार के ईंधन जैसे - लकड़ी और गोबर काफी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं और इसके विपरीत स्वच्छ ईंधन जैसे LPG और सौर ऊर्जा आदि अपेक्षाकृत काफी महँगे हैं। अतः नीति निर्माताओं को इस ओर ध्यान देना चाहिये एवं सभी को स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराने हेतु प्रयास करना चाहिये।
- कर में छूट देकर भी स्वच्छ घरेलू ईंधन और प्रौद्योगिकियों की बिक्री को प्रोत्साहित किया जा सकता है। उदाहरण के लिये देश की सरकार स्वच्छ घरेलू ऊर्जा ईंधन और उपकरणों के आयात पर कर समाप्त कर सकती है जिससे इनकी कीमत में गिरावट आएगी और सभी लोग इन्हें खरीद सकेंगे।
- माइक्रोफाइनेंस (Microfinance) के सहारे भी उद्यमियों को स्वच्छ ईंधन और उपकरणों को बेचने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका के देशों में कई निजी उद्यमी सौर ऊर्जा प्रणाली की खरीदारी पर ‘उपयोगानुसार भुगतान’ का भी विकल्प देते हैं।
- वर्ष 2015 में भारत सरकार द्वारा ‘गिव इट अप’ (Give It Up) अभियान की शुरुआत की गई थी जिसके तहत मध्यम वर्ग को घरेलू LPG पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने के लिये प्रोत्साहित किया गया था, ताकि देश के उन गरीब लोगों को मुफ्त LPG कनेक्शन दिया जा सके जो अब तक उससे वंचित थे। सरकार का यह अभियान काफी कारगर साबित हुआ था और कई लोगों ने अभियान के तहत LPG पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ दी थी। घरेलू वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने और स्वच्छ ईंधन को प्रोत्साहित करने के लिये हमें इस प्रकार की कई अन्य सफल योजनाओं की आवश्यकता है।