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जैव विविधता और पर्यावरण

भारत में घरेलू वायु प्रदूषण की समस्या

  • 21 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

कोलैबोरेटिव क्लीन एयर पॉलिसी सेंटर (Collaborative Clean Air Policy Centre) द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत में वायु प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण घरों में ठोस ईंधन को जलाना है।

  • ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ (Ideas for India) नामक एक वेबसाइट पर प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, ठोस ईंधन जैसे - लकड़ी, कोयला आदि के प्रयोग से घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और यह भारत में वायु प्रदूषण के लिये 22 प्रतिशत से 52 प्रतिशत तक ज़िम्मेदार है।

ठोस ईंधन के उपयोग से क्यों बचना चाहिये?

  • लकड़ी, पशुओं का गोबर और कृषि अपशिष्ट कुछ ऐसे ईंधन हैं जो आमतौर पर भारतीय घरों में खाना पकाने, प्रकाश और हीटिंग आदि के लिये ऊर्जा उत्पन्न करने के साधन के रूप में उपयोग किये जाते हैं।
  • इस तरह के ठोस ईंधनों के जलने से पैदा होने वाले कई प्रदूषकों में से एक पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter-PM) है।

PM का आशय उन कणों या छोटी बूंदों से होता है जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर (0.000001 मीटर) या उससे कम होता है और इसलिये इसे PM2.5 के नाम से भी जाना जाता है।

  • इस तरह के कण श्वसन तंत्र में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और उनके संपर्क में आने से श्वसन एवं हृदय संबंधी रोग पैदा हो सकते हैं।

घरेलू वायु प्रदूषण क्या है और यह कितना खतरनाक है?

  • घरों में ठोस ईंधन के जलने से उत्पन्न PM2.5 का उत्सर्जन घरेलू वायु प्रदूषण (Household Air Pollution-HAP) कहलाता है।
  • उपरोक्त अध्ययन में यह दावा किया गया है कि भारत में हर साल लगभग 800,000 लोगों की मृत्यु सिर्फ और सिर्फ HAP के कारण होती है।
  • कोयले के उपयोग से समय पूर्व होने वाली मृत्यु दर की तुलना में HAP के उपयोग से समय पूर्व होने वाली मृत्यु दर 58 प्रतिशत अधिक है। साथ ही परिवहन से होने वाली मृत्यु दर से यह 1056 प्रतिशत अधिक है।
  • अतः उपरोक्त तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि घरेलू वायु प्रदूषण भारत में चिंता का एक बड़ा विषय है और इस पर जल्द-से-जल्द ध्यान दिया जाना चाहिये ताकि इसके इसके कारण होने वाली मौतों की संख्या को कम किया जा सके।

कितने लोग उपयोग करते हैं ठोस ईंधन?

  • आँकड़ों के अनुसार, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और असम जैसे राज्यों में लगभग 72.1 प्रतिशत आबादी रोज़ाना ठोस ईंधन का उपयोग करती है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, लगभग 3 बिलियन लोग खाना पकाने और सर्दियों में अपने घरों को गर्म रखने के लिये पारंपरिक स्टोव अथवा चूल्हे में ठोस ईंधन (लकड़ी, लकड़ी का कोयला, कोयला, गोबर, फसल अपशिष्ट) का उपयोग करते हैं।

अध्ययन में दिये गए सुझाव

  • अध्ययन के अनुसार, HAP के कारण होने वाली हानि से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
  • इससे निपटने के लिये सरकार को घरों में उपयोग के लिए LPG को बढ़ावा देना चाहिये एवं प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जैसी अन्य योजनाओं को और अधिक प्रोत्साहित करना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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