भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम | 30 Jun 2023
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम, यूनिकॉर्न, गज़ेल्स, चीता मेन्स के लिये:भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम |
चर्चा में क्यों?
"भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में मंदी" पर रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में प्रतिष्ठित यूनिकॉर्न सूची में नए यूनिकॉर्न के जुड़ने की संख्या में तेज़ी से गिरावट देखने को मिली है जो भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में मंदी का संकेत देता है।
- ASK प्राइवेट वेल्थ हुरुन इंडियन फ्यूचर यूनिकॉर्न इंडेक्स 2023 के अनुसार, भारत में वर्ष 2023 में 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के मूल्यांकन वाले केवल तीन यूनिकॉर्न स्टार्टअप जुड़े, जबकि एक वर्ष पहले यही संख्या 24 थी।
भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम का परिदृश्य:
- 31 मई, 2023 तक भारत वैश्विक स्तर पर स्टार्टअप्स के लिये तीसरे सबसे बड़े पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में उभरा है। भारत मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं के बीच वैज्ञानिक प्रकाशनों की गुणवत्ता और अपने विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता में शीर्ष स्थान के साथ नवाचार गुणवत्ता में दूसरे स्थान पर है।
- भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में पिछले कुछ वर्षों (2015-2022) में तेज़ी से वृद्धि देखी गई है:
- स्टार्टअप्स की कुल फंडिंग में 15 गुना बढ़ोतरी
- निवेशकों की संख्या में 9 गुना बढ़ोतरी
- इन्क्यूबेटरों की संख्या में 7 गुना वृद्धि
- मई 2023 तक भारत में 108 यूनिकॉर्न हैं जिनका कुल मूल्यांकन 340.80 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- यूनिकॉर्न की कुल संख्या में से 44 यूनिकॉर्न वर्ष 2021 में और 21 यूनिकॉर्न वर्ष 2022 में में स्थापित किया गए।
स्टार्टअप से संबंधित शर्तें:
- डेकाकॉर्न: 10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का वर्तमान मूल्यांकन।
- यूनिकॉर्न्स: वर्ष 2000 के बाद 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्यांकन के साथ स्टार्टअप की स्थापना हुई।
- गज़ेल: ऐसे स्टार्टअप जिनके अगले तीन वर्षों में यूनिकॉर्न बनने की सबसे अधिक संभावना है।
- चीता (Cheetahs): स्टार्टअप जो अगले पाँच वर्षों में यूनिकॉर्न बन सकते हैं।
भारतीय स्टार्टअप्स के सामने चुनौतियाँ:
- फंडिंग चुनौतियाँ:
- भारतीय स्टार्टअप्स को अपने उद्यमों के लिये पर्याप्त फंडिंग हासिल करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पूंजी तक सीमित पहुँच उनकी विकास क्षमता और नवाचार में बाधा डालती है। जोखिम से बचने, अनिश्चित बाज़ार स्थितियों और निवेशकों के विश्वास की कमी जैसे विभिन्न कारकों के कारण स्टार्टअप्स को निवेशकों को आकर्षित करने तथा उद्यम पूंजी प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- राजस्व सृजन में चुनौती:
- अनेक स्टार्टअप को स्थायी राजस्व उत्पन्न करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। स्टार्टअप अक्सर व्यवहार्य व्यवसाय मॉडल खोजने, अपने उत्पादों या सेवाओं का मुद्रीकरण तथा लाभप्रदता हासिल करने के लिये संघर्ष करते हैं। सीमित बाज़ार पहुँच, स्थापित उद्यमी से प्रतिस्पर्द्धा और अपर्याप्त ग्राहक अधिग्रहण अतिरिक्त बाधाएँ उत्पन्न करते हैं।
- सहायक बुनियादी ढाँचे का अभाव:
- एक मज़बूत बुनियादी ढाँचे के पारिस्थितिकी तंत्र की अनुपस्थिति स्टार्टअप के विकास में बाधा बन सकती है।
- चुनौतियों में अपर्याप्त भौतिक बुनियादी ढाँचा, तकनीकी संसाधनों एवं ऊष्मायन केंद्रों तक सीमित पहुँच, परामर्श कार्यक्रमों तथा नेटवर्किंग अवसरों की कमी शामिल है। स्टार्टअप को आगे बढ़ने और ज़रूरी संसाधनों तक पहुँचने के लिये विशेषज्ञता, मार्गदर्शन तथा सहायक वातावरण की आवश्यकता होती है।
- विनियामक वातावरण और कर संरचना:
- भारत में स्टार्टअप को विनियामक बाधाओं एवं जटिल कर संरचनाओं का सामना करना पड़ता है।
- जटिल अनुपालन प्रक्रियाएँ, नौकरशाही लालफीताशाही और अस्पष्ट नियम स्टार्टअप के लिये अनेक बाधाएँ उत्पन्न करते हैं। कराधान जटिलताएँ प्रशासनिक बोझ बढ़ा सकती हैं तथा लाभप्रदता को प्रभावित कर सकती हैं।
स्टार्टअप्स के लिये भारत सरकार की पहल:
- नवाचारों के विकास और उपयोग के लिये राष्ट्रीय पहल (निधि)
- स्टार्टअप इंडिया एक्शन प्लान (SIAP)
- स्टार्टअप इकोसिस्टम को समर्थन पर राज्यों की रैंकिंग (RSSSE)
- स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना (SISFS): इसका उद्देश्य अवधारणा के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाज़ार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिये स्टार्टअप को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार: इसका उद्देश्य उत्कृष्ट स्टार्टअप और पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करने वालों की पहचान और उन्हें पुरस्कृत करना जो नवाचार और प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देकर आर्थिक गतिशीलता में योगदान दे रहे हैं।
- SCO स्टार्टअप फोरम: सामूहिक रूप से स्टार्टअप इकोसिस्टम को विकसित करने और सुधार के लिये अक्तूबर 2020 में पहला शंघाई सहयोग संगठन (SCO) स्टार्टअप फोरम लॉन्च किया गया था।
- प्रारंभ: 'प्रारंभ' शिखर सम्मेलन का उद्देश्य विश्व भर के स्टार्टअप और युवाओं को नए विचारों, नवाचार और आविष्कार के लिये एक मंच प्रदान करना है।
आगे की राह
- विदेशों में भारतीय स्टार्टअप्स के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिये विशेषकर अनुकूल कानूनी वातावरण और कराधान नीतियों को लेकर आधार सुनिश्चित किये गए हैं।
- किसी भारतीय कंपनी के संपूर्ण स्वामित्व को किसी विदेशी इकाई को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया, जिसमें कंपनी के स्वामित्व वाली सभी बौद्धिक संपदा के साथ डेटा का हस्तांतरण भी शामिल है, इस प्रकिया को 'फ्लिपिंग' कहा जाता है।
- सामान्य रूप से फ्लिपिंग स्टार्टअप के प्रारंभिक चरण में होती है। हालाँकि सरकार से संबंधित नियामक निकायों और अन्य हितधारकों के साथ सक्रिय सहयोग से इस प्रवृत्ति को रोका जा सकता है।