भारतीय अर्थव्यवस्था
इंडियन ऑयल मार्केट आउटलुक 2030: IEA
- 13 Feb 2024
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:इंडियन ऑयल मार्केट आउटलुक 2030 तक: IEA, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA), कच्चा तेल, इलेक्ट्रिक वाहन। मेन्स के लिये:इंडियन ऑयल मार्केट आउटलुक 2030 तक: IEA, विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप तथा उनका निर्माण एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency -IEA) ने इंडियन ऑयल मार्केट आउटलुक 2030 रिपोर्ट जारी की है, जो इस बात प्रकाश डालती है कि वर्ष 2030 तक की अवधि में वैश्विक तेल बाज़ार में भारत की भूमिका कैसे विकसित हो सकती है।
- यह रिपोर्ट ऊर्जा परिवर्तन के रुझानों पर गौर करती है जो विभिन्न क्षेत्रों में तेल की मांग को प्रभावित कर सकते हैं और ये परिवर्तन देश की ऊर्जा सुरक्षा को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- तेल मांग वृद्धि में भारत का प्रभुत्व:
- भारत की वर्ष 2023 में कुल तेल मांग का अनुमान 5.48 मिलियन bpd के मुकाबले वर्ष 2030 में 6.64 मिलियन bpd रहेगा।
- अनुमानित भारत वर्तमान से वर्ष 2030 के मध्य वैश्विक तेल मांग वृद्धि का सबसे बड़ा स्रोत बन जाएगा और वर्ष 2027 तक चीन को पीछे छोड़ देगा।
- भारत की तेल मांग वर्ष 2023 तक लगभग 1.2 मिलियन बैरल प्रति दिन (bpd) बढ़ने वाली है।
- यह वृद्धि वर्ष 2030 तक 3.2 मिलियन बीपीडी की अपेक्षित वैश्विक मांग वृद्धि का एक तिहाई से अधिक है।
- यह वृद्धि इसकी अर्थव्यवस्था, जनसंख्या और जनसांख्यिकी में तीव्र वृद्धि जैसे कारकों से प्रेरित है।
- ईंधन की मांग में वृद्धि:
- भारत में तेल की मांग में वृद्धि के सबसे बड़े स्रोत के रूप में डीज़ल/गैसोइल की पहचान की गई है, जो देश की मांग में लगभग आधी वृद्धि और वर्ष 2030 तक कुल वैश्विक तेल मांग वृद्धि के छठे हिस्से से अधिक के लिये ज़िम्मेदार है।
- जेट-केरोसीन की मांग औसतन लगभग 5.9% प्रति वर्ष की दर से मज़बूती से बढ़ने की ओर अग्रसर है, लेकिन अन्य देशों की तुलना में इसका आधार कम है।
- भारत की पेट्रोल मांग में औसतन 0.7% की वृद्धि होने का अनुमान है, क्योंकि भारत के वाहन बेड़े के विद्युतीकरण से इसमें और अधिक वृद्धि होने से बचा जा सकता है।
- भारत के वाहन बेड़े के विद्युतीकरण के कारण गैसोलीन की मांग में मामूली वृद्धि का अनुमान है। उत्पादन सुविधाओं में निवेश के कारण LPG की मांग बढ़ने की उम्मीद है।
- कच्चे तेल का आयात:
- कच्चे तेल में मांग वृद्धि और घरेलू उत्पादन में गिरावट के कारण वर्ष 2030 तक भारत का कच्चे तेल का आयात एक चौथाई से अधिक बढ़कर 58 मिलियन bpd होने का अनुमान है। भारत वर्तमान में अपनी 85% से अधिक तेल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर है।
- भारत वर्तमान में अमेरिका और चीन के बाद कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार घरेलू खपत लगभग 5 मिलियन बैरल/दिन है।
- कच्चे तेल में मांग वृद्धि और घरेलू उत्पादन में गिरावट के कारण वर्ष 2030 तक भारत का कच्चे तेल का आयात एक चौथाई से अधिक बढ़कर 58 मिलियन bpd होने का अनुमान है। भारत वर्तमान में अपनी 85% से अधिक तेल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर है।
- रिफाइनिंग क्षेत्र में निवेश:
- भारतीय तेल कंपनियाँँ घरेलू तेल मांग में वृद्धि को पूरा करने के लिये रिफाइनिंग क्षेत्र में भारी निवेश कर रही हैं।
- अगले सात वर्षों में, चीन के बाहर दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में 1 मिलियन बैरल/दिन नई रिफाइनरी आसवन क्षमता अधिक जोड़ी जाएगी।
- कई अन्य बड़ी परियोजनाएँ वर्तमान में विचाराधीन हैं जो क्षमता को 6.8 मिलियन बैरल/दिन क्षमता से अधिक बढ़ा सकती हैं जिसकी हम अब तक उम्मीद करते हैं।
- वैश्विक तेल बाज़ारों में भूमिका:
- भारत एशिया और अटलांटिक बेसिन के बाज़ारों में परिवहन ईंधन के प्रमुख निर्यातक के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिये तैयार है।
- वर्ष 2022 के बाद से वैश्विक स्विंग आपूर्तिकर्त्ता के रूप में भारत की भूमिका बढ़ गई है क्योंकि यूरोपीय बाज़ारों में रूसी उत्पाद निर्यात के नुकसान ने एशियाई डीज़ल और जेट ईंधन को पश्चिम की ओर खींच लिया है।
- वर्ष 2023 में भारत वैश्विक स्तर पर मध्य डिस्टिलेट का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक और 1.2 mb/d पर छठा सबसे बड़ा रिफाइनरी उत्पाद निर्यातक था।
- घरेलू मांग में लगातार वृद्धि को देखते हुए नई रिफाइनिंग क्षमता से दशक के मध्य तक वैश्विक बाज़ारों में उत्पाद की आपूर्ति 1.4 mb/d तक बढ़ने का अनुमान है, जो वर्ष 2030 तक घटकर 1.2 mb/d हो जाएगी।
- डीकार्बोनाइजेशन में जैव ईंधन:
- भारत के परिवहन क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन में जैव ईंधन की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होने की उम्मीद है।
- भारत, विश्व का तीसरा सबसे बड़ा इथेनॉल उत्पादक और उपभोक्ता है क्योंकि पिछले पाँच वर्षों में घरेलू उत्पादन तीन गुना हो गया है।
- देश के प्रचुर फीडस्टॉक, राजनीतिक समर्थन और प्रभावी नीति कार्यान्वयन द्वारा समर्थित, इसकी इथेनॉल मिश्रण दर लगभग 12% विश्व में सबसे अधिक है।
- भारत ने वर्ष 2026 की चौथी तिमाही में गैसोलीन में राष्ट्रव्यापी इथेनॉल मिश्रण को दोगुना करके 20% करने की अपनी समय सीमा पाँच वर्ष आगे बढ़ा दी है।
- इतने कम समय में 20% इथेनॉल सम्मिश्रण हासिल करना कई चुनौतियाँ पेश करता है, कम-से-कम तेज़ी से फीडस्टॉक आपूर्ति का विस्तार नहीं।
- भारत के परिवहन क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन में जैव ईंधन की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होने की उम्मीद है।
- ऊर्जा संक्रमण में प्रयास:
- इलेक्ट्रिक वाहनों का बढ़ता चलन परिवहन क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- यह अनुमान लगाया गया है कि संयुक्त, नए EV और ऊर्जा दक्षता सुधार से वर्ष 2023-2030 की अवधि में 480 kb/d अतिरिक्त तेल की मांग से बचा जा सकेगा।
- इसका मतलब है कि इन लाभों के बिना भारत की तेल मांग वर्ष 2030 तक मौजूदा पूर्वानुमान की तुलना में बहुत अधिक 1.68 mb/d तक पहुँच जाएगी।
- चुनौतियाँ:
- विदेशी अपस्ट्रीम निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों के बावजूद, नई खोजों की कमी के कारण मध्यम अवधि में घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन में गिरावट जारी रहने की उम्मीद है।
- भारत वर्ष 2023 में पहले से ही विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का शुद्ध आयातक था, जिसने बढ़ती रिफाइनरी खपत को पूरा करने के लिये पिछले दशक में आयात 36% बढ़ाकर 4.6 mb/d कर दिया है।
- रिफाइनिंग प्रसंस्करण में वृद्धि से वर्ष 2030 तक कच्चे तेल का आयात बढ़कर 5.8 mb/d हो जाएगा, जिसका भारत की आपूर्ति की सुरक्षा पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
- सिफारिशें:
- भारत का मौजूदा तेल स्टॉक होल्डिंग स्तर 66 दिनों के शुद्ध-आयात कवर के बराबर है, जिसमें सात दिनों का सामरिक पेट्रोलियम भंडार (SPR) स्टॉक है।
- IEA के सदस्य देश अपनी मांग के 90 दिनों के बराबर भंडार बनाए रखते हैं।
- भारत एजेंसी का पूर्ण सदस्य नहीं है और उसे सहयोगी सदस्य का दर्जा प्राप्त है।
- भारत को अपने SPR कार्यक्रमों को लागू करने और मज़बूत करने और तेल उद्योग की तैयारी में सुधार करके संभावित तेल आपूर्ति व्यवधानों का जवाब देने के लिये अपनी क्षमता बढ़ाने की ज़रूरत है।
- रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार ऊर्जा आपूर्ति पर युद्ध जैसी आपात स्थितियों के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं।
- भारत का मौजूदा तेल स्टॉक होल्डिंग स्तर 66 दिनों के शुद्ध-आयात कवर के बराबर है, जिसमें सात दिनों का सामरिक पेट्रोलियम भंडार (SPR) स्टॉक है।
सामरिक पेट्रोलियम भंडार क्या हैं?
- सामरिक पेट्रोलियम भंडार (SPR) कच्चे तेल के वे भंडार हैं जिन्हें भू-राजनीतिक अनिश्चितता या आपूर्ति व्यवधान के समय में कच्चे तेल की आपूर्ति सुनिश्चित करने वाले देशों द्वारा बनाए रखा जाता है।
- देश की वृद्धि और विकास के लिये ऐसी भूमिगत भंडारण सुविधाएँ ऊर्जा संसाधनों के निरंतर प्रवाह को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- भारत के पास वर्तमान में 5.33 मिलियन टन कच्चे तेल की भंडारण क्षमता है।
- देश के रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार कार्यक्रम के दूसरे चरण के तहत 6.5 मिलियन टन कच्चा तेल रखने की संयुक्त क्षमता वाले अधिक रणनीतिक भंडार बनाए जाएंगे।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी क्या है?
- परिचय:
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA), जिसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में है, को 1970 के दशक के मध्य में हुए तेल संकट का सामना करने हेतु आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) के सदस्य देशों द्वारा वर्ष 1974 में एक स्वायत्त एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया था।
- IEA का केंद्र मुख्य रूप से ऊर्जा संबंधी नीतियाँ हैं, जिसमें आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा तथा पर्यावरण संरक्षण शामिल हैं।
- IEA अंतर्राष्ट्रीय तेल बाज़ार से संबंधित जानकारी प्रदान करने तथा तेल की आपूर्ति में किसी भी भौतिक व्यवधान के विरुद्ध कार्रवाई करने में भी प्रमुख भूमिका निभाता है।
- सदस्य:
- IEA में 31 सदस्य देश (भारत सहित) 13 सहयोगी देश और 4 परिग्रहण देश शामिल हैं।
- IEA के लिये एक उम्मीदवार देश को OECD का सदस्य देश होना चाहिये।
- IEA में 31 सदस्य देश (भारत सहित) 13 सहयोगी देश और 4 परिग्रहण देश शामिल हैं।
- प्रमुख रिपोर्टें:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारतीय कोयले का/के अभिलक्षण है/हैं? (2013)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं? (a) 1, 2, 4 और 5 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. "प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद विकास के लिये कोयला खनन अभी भी अपरिहार्य है"। चर्चा कीजिये। (2017) |