सामाजिक न्याय
भारतीय कानून और महिला सशक्तीकरण
- 03 Oct 2020
- 6 min read
प्रिलिम्स के लियेमहिला सशक्तीकरण से संबंधित भारतीय कानून और योजनाएँ मेन्स के लिये:महिला सशक्तीकरण से संबंधित मुद्दे और सरकार के प्रयास |
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लिंग समानता में भारत की उपलब्धियों को उजागर करने के लिये बीजिंग घोषणा (Beijing Declaration) और प्लेटफार्म फॉर एक्शन (Platform for Action) की 25वीं वर्षगांँठ पर संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया।
प्रमुख बिंदु:
- यह उच्च-स्तरीय बैठक बीजिंग घोषणा के कार्यान्वयन के लिये राजनीतिक इच्छाशक्ति और नेतृत्व का प्रदर्शन करने हेतु सदस्य राष्ट्रों के लिये एक अवसर है। बीजिंग घोषणा लिंग समानता के सिद्धांतों पर 15 सितंबर, 1995 को अपनाया गया एक संकल्प है।
भारत के प्रयास:
- कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित, घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा, यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा जैसे भारतीय विधान महिला सशक्तीकरण और बच्चों की सुरक्षा के प्रबल हिमायती रहे हैं।
- स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिये आरक्षण और बेटी बचाओ बेटी पढाओ जैसी योजनाएँ, औपचारिक बैंकिंग प्रणाली के तहत "200 मिलियन से अधिक महिलाओं" को जोड़ने के साथ महिला सशक्तीकरण में एक आयाम स्थापित किया जा रहा है।
- COVID महामारी के दौरान महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिये चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक, कानूनी, पुलिस और आश्रय सुविधाएँ प्रदान करने वाले वन स्टॉप सेंटर जैसे कई उपाय किये गए।
- इसके अतिरिक्त महामारी के दौरान कमज़ोर परिस्थितियों में महिलाओं और विशेष रूप से गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिये सामुदायिक देखभाल के बेहतर प्रयास किये गए।
चुनौतियाँ:
- जाति और धार्मिक विभाजन।
- घरेलू हिंसा जैसे मुद्दे अभी भी गंभीरता से भारतीय समाज में विद्यमान हैं।
- जन धन खाते महिलाओं को सीमित आर्थिक स्थिरता प्रदान कर पा रहे हैं।
- शिक्षा और गुणवत्ता पाठ्यक्रम में महिलाओं की सीमित भागीदारी विशेष रूप से उच्च शिक्षा नामांकन दर में महिलाओं की स्थिति।
- ज़मीनी स्तर पर महिलाओं को परामर्श, चिकित्सा, कानूनी, आश्रय और अन्य सेवाओं तक पहुँच की असमर्थता।
- महिलाएँ आधी आबादी हैं, लेकिन महिलाओं की ज़रूरतों और सुरक्षा को दी गई प्राथमिकता की कमी को महिला और बाल विकास मंत्रालय के बजट से देखा जा सकता है, जहाँ महिलाओं की सेवाओं और सशक्तीकरण तथा अपराधों की रोकथाम के लिये आवंटित वित्त बजट का मात्र 4% हिस्सा रहा है।
आगे की राह:
- समाज को विभाजित करने वाले इन प्रतिगामी विचारों को सामाजिक जागरूकता के माध्यम से रोकना चाहिये।
- वैश्विक एजेंडा के लिये अनुकूल माहौल बनाने और परिवर्तनकारी बदलाव सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
बीजिंग घोषणा
- वर्ष 1995 में चीन की राजधानी बीजिंग में संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्त्वावधान में चतुर्थ विश्व महिला सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा महिला अधिकारों पर बीजिंग घोषणा पत्र को भी अपनाया गया था।
- प्रथम संयुक्त राष्ट्र विश्व महिला सम्मेलन (मैक्सिको), 1975
- द्वितीय संयुक्त राष्ट्र विश्व महिला सम्मेलन (कोपेनहेगन), 1980
- तृतीय संयुक्त राष्ट्र विश्व महिला सम्मेलन (नैरोबी), 1985
- मैक्सिको सम्मेलन में सौ से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने पुरुषों एवं महिलाओं में व्याप्त विषमताओं को मिटाने की दिशा में चल रहे सरकारी प्रयासों के मार्गदर्शन के लिये एक विश्व कार्ययोजना का निर्धारण किया था।
- बीजिंग सम्मलेन में प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन (Platform for Action–PFA) को अपनाया गया था।
- यह महिलाओं के प्रति सभी प्रकार के भेदभावों को समाप्त करने हेतु अभिसमय (Convention on the Elimination of All Forms of Discrimination Against Women–CEDAW) और संयुक्त राष्ट्र महासभा तथा आर्थिक एवं सामाजिक विकास संगठन (ECOSCO) द्वारा अपनाए गए प्रासंगिक प्रस्तावों को अनुमोदित करता है।