भारत-वियतनाम संयुक्त आयोग की बैठक | 26 Aug 2020
प्रिलिम्स के लिये:भारत-वियतनाम संयुक्त आयोग, भारत-प्रशांत महासागरीय पहल मेन्स के लिये:भारत-वियतनाम संबंध |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग पर 'भारत-वियतनाम संयुक्त आयोग' की 17 वीं बैठक का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- भारतीय विदेश मंत्री और वियतनाम के उप प्रधानमंत्री द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की गई।
- दोनों पक्षों द्वारा 'भारत-वियतनाम व्यापक रणनीतिक साझेदारी' की दिशा में हाल ही में हुए विकास की समीक्षा की गई और भविष्य में दोनों देशों के व्यापक जुड़ाव पर चर्चा की गई।
संबंधों की पृष्ठभूमि:
- भारत-वियतनाम औपनिवेशिक शासन से मुक्ति और स्वतंत्रता के लिये राष्ट्रीय संघर्ष की ऐतिहासिक जड़ों के साथ पारंपरिक रूप से सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को साझा करते हैं।
- भारत ने स्वतंत्रता के बाद प्रारंभ में तत्कालीन उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम के साथ वाणिज्य-स्तर के संबंधों को बनाए रखा और 7 जनवरी 1972 को एकीकृत वियतनाम के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित किये।
- जुलाई, 2007 में दोनों देशों के बीच संबंधों को 'रणनीतिक भागीदारी’ के स्तर तक बढ़ाया गया।
- वर्ष 2016 में दोनों देशों के बीच 'व्यापक रणनीतिक साझेदारी' (Comprehensive Strategic Partnership) की शुरुआत की गई।
बैठक में सहयोग पर सहमति:
- भारत-प्रशांत क्षेत्र:
- भारत और वियतनाम, भारत-प्रशांत महासागरीय पहल (Indo-Pacific Oceans Initiative- IPOI) के अनुरूप अपने द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
- दोनों देशों द्वारा भारत-प्रशांत क्षेत्र में सभी के लिये साझा सुरक्षा, समृद्धि और वृद्धि हासिल करने के लिये आसियान के दृष्टिकोण पर सहमति व्यक्त की गई है।
भारत-प्रशांत महासागरीय पहल (IPOI):
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- बहुपक्षीय और क्षेत्रीय मंचों पर सहयोग:
- दोनों पक्ष ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ (UNSC) सहित बहुपक्षीय मंचों पर निकट समन्वय करने पर सहमत हुए हैं।
- यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि भारत और वियतनाम दोनों वर्ष 2021 में UNSC में गैर-स्थायी सदस्यों के रूप में कार्य करेंगे।
- दोनों देशों द्वारा आसियान तंत्र (ASEAN Framework) के माध्यम से महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय मंचों पर सहयोग और समन्वय बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की गई है।
- भारत और वियतनाम पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, मेकांग गंगा सहयोग, एशिया यूरोप बैठक (ASEM) जैसे विभिन्न क्षेत्रीय मंचों में निकट सहयोगी हैं।
- दोनों पक्ष ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ (UNSC) सहित बहुपक्षीय मंचों पर निकट समन्वय करने पर सहमत हुए हैं।
- आर्थिक संबंध:
- दोनों देशों ने असैन्य परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, समुद्री विज्ञान और नवीन प्रौद्योगिकियों जैसे उभरते क्षेत्रों में घनिष्ठ सहयोग पर सहमति व्यक्त की है।
- भारत द्वारा आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और मानव-केंद्रित वैश्वीकरण की दिशा में ‘आत्मनिर्भर भारत’ (Atmanirbhar Bharat) के अपने दृष्टिकोण को रेखांकित किया गया।
- भारत द्वारा वर्तमान में 'त्वरित प्रभाव परियोजनाओं' (Quick Impact Projects- QIPs), 'भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम' (Indian Technical and Economic Cooperation Programme- ITEC) और e-ITEC पहल, पीएचडी फैलोशिप, वियतनाम के मेकांग डेल्टा क्षेत्र में जल संसाधन प्रबंधन, सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति, डिजिटल कनेक्टिविटी और विरासत संरक्षण क्षेत्रों में वियतनाम को विकास और क्षमता निर्माण की दिशा में सहायता प्रदान की जाती है।
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निष्कर्ष:
- वियतनाम. भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का एक प्रमुख स्तंभ है, अत: दोनों देशों के बीच आगे सहयोग की व्यापक गुंजाइश है। दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंध दक्षिण पूर्व एशिया में चीन की आक्रामक गतिविधियों को संतुलित रखने के दृष्टिकोण से बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।