अंतर्राष्ट्रीय संबंध
द बिग पिक्चर : भारत – वियतनाम संबंध
- 13 May 2019
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संदर्भ
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू वियतनाम की चार दिवसीय यात्रा पर थे। उनकी इस यात्रा से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ भारत की व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बढोतरी होने की उम्मीद है। उच्च स्तरीय वार्ता के दौरान भारत और वियतनाम के मध्य व्यापार और निवेश संबंधों सहित कई मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है।
- भारतीय वस्तुओं के निर्यात के लिये बेहतर बाज़ार पहुँच प्रदान करने, तेल और गैस क्षेत्रों में अवसरों की खोज करने, वियतनाम में भारतीय फार्मास्यूटिकल सेवाओं के लिये सहायता प्रदान करने, रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में सहयोग, वियतनामी रक्षा बलों के लिये प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण तथा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत बनाने के बारे में बातचीत होने की उम्मीद है।
- वियतनाम के नेताओं के साथ बातचीत करने के अलावा उपराष्ट्रपति 12 मई को वियतनाम के उत्तरी हॉ नाम प्रांत स्थित ताम चुक पैगोडा में वेसाक के 16वें संयुक्त राष्ट्र दिवस में शामिल होंगे।
- उपराष्ट्रपति इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में ‘वैश्विक नेतृत्व के लिये बौद्धिक दृष्टिकोण और स्थायी समाज के लिये साझा ज़िम्मेदारी’ विषय पर व्याख्यान देंगे।
पृष्ठभूमि
- भारत और वियतनाम के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध काफी पुराने हैं। भारत ने जब वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिकी प्रतिबंधों की निंदा की तो इससे राजनीतिक संबंध और मज़बूत हुए।
- भारत ने कंबोडिया-वियतनाम युद्ध में कुछ गैर-साम्यवादी देशों के साथ वियतनाम की सहायता की थी।
- वर्ष 1992 में कृषि, विनिर्माण और तेल की खोज के माध्यम से आर्थिक संबंधों को विस्तार दिया गया।
- 1972 में उत्तरी वियतनाम के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किये गए थे। 1975 में भारत ने वियतनाम को ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा दिया।
- 1993 में भारत-वियतनाम संयुक्त व्यापार परिषद (Indo-Vietnam Joint Business Council) तथा 1997 में द्विपक्षीय निवेश संवर्द्धन और संरक्षण एजेंसी (Bilateral Investment Promotion and Protection Agency) की स्थापना की गई थी।
- नवंबर 2007 में दोनों देशों के बीच एक तैंतीस-सूत्रीय सहयोग हेतु कदम बढ़ाया गया जिसमें शामिल होने वाले क्षेत्र थे- राजनीतिक, रक्षा और सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, वाणिज्यिक व्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सांस्कृतिक तथा बहुपक्षीय एवं क्षेत्रीय सहयोग।
भारत-वियतनाम संबंध
1. आर्थिक एवं वाणिज्यिक सहयोग
- वियतनाम के साथ भारत के संबंध आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग के साथ आगे बढ़ रहे हैं। वर्तमान में भारत, वियतनाम के शीर्ष दस व्यापारिक भागीदारों में शामिल है।
- पूर्व प्रधानमंत्री गुयेन टैन डंग (Nguyen Tan Dung) की अक्तूबर 2014 में भारत की यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने भारत-वियतनाम रणनीतिक साझेदारी में आर्थिक सहयोग पर ज़ोर देने का निर्णय लिया।
- इसके बाद 20 जनवरी, 2015 को आयोजित संयुक्त उप समिति की दूसरी बैठक के दौरान पाँच प्रमुख क्षेत्रों- वस्त्र एवं परिधान, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि-वस्तुएँ, चमड़ा, जूते और इंजीनियरिंग के साथ विभिन्न क्षेत्रों की पहचान की गई थी।
- भारत और वियतनाम के बीच द्विपक्षीय व्यापार में पिछले कई वर्षों में निरंतर वृद्धि देखी गई है। भारत अब वियतनाम के शीर्ष दस व्यापारिक भागीदारों में शामिल है।
- भारत सरकार के आँकड़ों के अनुसार, दोनों देशों के बीच वित्त वर्ष 2016- 2017 के अप्रैल-नवंबर में कुल 6244.92 मिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ।
- दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को 2020 तक 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर निर्धारित करने पर सहमत हुए हैं।
- भारत से प्रमुख निर्यात होने वाली वस्तुएँ हैं- मशीनरी और उपकरण, समुद्री भोजन, फार्मास्यूटिकल्स, सभी प्रकार के कॉटेज, ऑटोमोबाइल, वस्त्र और चमड़े का सामान, मवेशी फ़ीड कंपोनेंट, रसायन, प्लास्टिक रेज़िन, रसायन के उत्पाद, सभी प्रकार के फाइबर, सभी प्रकार का स्टील, साधारण धातु और आभूषण और कीमती पत्थर।
- वियतनाम से आयात होने वाली मुख्य वस्तुएँ हैं- मोबाइल फोन और सहायक उपकरण, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर, मशीनरी और उपकरण, रसायन, रबर, साधारण धातु, लकड़ी और लकड़ी से बने उत्पाद, सभी प्रकार के फाइबर, काली मिर्च, स्टील्स, कॉफी, जूते, रसायन, पॉलिमर और रेज़िन के उत्पाद।
2. रक्षा सहयोग
- वियतनाम के साथ भारत का रक्षा सहयोग व्यापक रणनीतिक साझेदारी के एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ के रूप में उभरा है।
- नवंबर 2009 में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों द्वारा रक्षा सहयोग के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद दोनों देशों के संबंधों में मज़बूती आई है।
- भारत, वियतनाम को भारतीय हथियार खरीदने और वियतनामी नाविकों को प्रशिक्षित करने का श्रेय देता है।
- भारत ने वियतनाम को रक्षा उपकरणों की खरीद के लिये 100 मिलियन डॉलर रियायती ऋण प्रदान किया है।
- भारत नौसैनिक प्रशिक्षण बढ़ाने के लिये गश्ती नौकाओं के उत्पादन में तेज़ी लाने पर भी सहमत हुआ है।
- दोनों देश संयुक्त रूप से वैश्विक अपराधों जैसे-पायरेसी, मानव और मादक पदार्थों की तस्करी, उग्रवाद, जलवायु परिवर्तन आदि से लड़ने के लिये योजना पर कार्य कर रहे हैं।
- भारत ने नौसेना के युद्धपोतों को खरीदने तथा सैन्य बल को आधुनिक बनाने में मौद्रिक सहायता देने का वादा किया है।
- फरवरी 2016 में पहली बार एक वियतनामी जहाज़ ने भारत के विशाखापत्तनम में अंतर्राष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू में भाग लिया।
3. विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी द्विपक्षीय सहयोग का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है।
- प्रधानमंत्री मोदी की वियतनाम यात्रा के दौरान अनेक एमओयू/समझौतों पर हस्ताक्षर हुए जिसका उद्देश्य बाह्य अंतरिक्ष का शांतिपूर्ण उपयोग, आईटी सहयोग, साइबर सुरक्षा तथा टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नई खोज को बढ़ावा देना है।
- सूचना प्रौद्योगिकी मज़बूत विकास क्षमता वाला क्षेत्र है। कई भारतीय कंपनियों ने बैंकिंग, दूरसंचार, साइबर सुरक्षा आदि के क्षेत्र में विभिन्न आईटी समाधानों और सेवाओं के लिये वियतनाम में अपनी उपस्थिति दर्ज की है।
4. स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग
- वियतनाम और भारत के लिये स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र संभावनाओं से भरा है।
- वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी की 12वीं राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस द्वारा 2016 में आर्थिक विकास को सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल से जोड़ने के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया जिससे देश की 80% आबादी स्वास्थ्य बीमा द्वारा कवर होगी।
- संयुक्त सार्वजनिक-निजी भागीदारी समझौतों के माध्यम से दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में संभावनाओं को तलाशा जा सकता है।
- भारत 2011 से वहाँ के कमज़ोर वर्गों के लिये सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य बीमा देने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
भारत-वियतनाम सहयोग और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र
- 1992 की भारत की लुक ईस्ट पॉलिसी की शुरुआत के बाद, जिसे बाद में एक्ट ईस्ट पॉलिसी में बदल दिया गया है, भारत वियतनाम को इस नीति का 'प्रमुख स्तंभ' मानता है।
- दोनों देशों ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाने का संकल्प लिया है जहाँ संप्रभुता और अंतर्राष्ट्रीय कानून, नेविगेशन की स्वतंत्रता और ओवरफ्लाइट, सतत् विकास तथा एक स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं खुला व्यापार व निवेश प्रणाली विकसित हो सके।
- दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकरण के कारण न केवल वियतनाम बल्कि कई अन्य आसियान देश भी चीन की विस्तारवादी नीतियों से प्रभावित हुए हैं।
- चीन दक्षिण चीन सागर में अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ कुछ द्विपक्षीय समझौते कर डीवाइड-एंड-रूल का गेम खेल रहा है।
- यह एक अन्य क्षेत्र है जहाँ ‘ASEAN Centrality’ की अवधारणा की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
- वियतनाम ने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय प्लेटफॉर्मों पर इस क्षेत्र में भारत के रणनीतिक और सुरक्षा से संबंधित हितों का समर्थन किया है।
- यह भी ध्यान देने की ज़रूरत है कि सितंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वियतनाम यात्रा के दौरान ‘स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ के स्तर पर मौजूदा द्विपक्षीय संबंधों को ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ के लिये विस्तार दिया गया था।
- इंडो-पैसिफिक का निर्माण बहुत पुराना नहीं है फिर भी इस क्षेत्र की विभिन्न शक्तियाँ इसे विभिन्न कोणों से देखती हैं।
- भारत के लिये इंडो-पैसिफिक एक भौगोलिक अवधारणा अधिक है, जबकि अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसी अन्य शक्तियों ने इसे एक रणनीति का हिस्सा माना है जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका की पूर्व-प्रतिष्ठित स्थिति को बनाए रखने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- भारत और वियतनाम को आसियान के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर, अंतर्राष्ट्रीय कानून और मानदंडों के पालन और नेविगेशन की स्वतंत्रता तथा महासागरों पर उड़ान का समर्थन करते रहना चाहिये।
भारत-वियतनाम संबंध एवं संभावनाएँ
- भारत और वियतनाम के बीच आर्थिक संबंधों के मामले में अपार संभावनाएँ हैं क्योंकि दोनों तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाएँ हैं। भारत 7 प्रतिशत तथा वियतनाम लगभग 6.8 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहा है।
- दोनों देश एक गतिशील क्षेत्र, एशिया में स्थित हैं। इंडो-पैसिफिक फ्रेमवर्क में भारत एक प्रमुख स्तंभ है तथा वियतनाम आसियान का एक महत्त्वपूर्ण सदस्य है।
- इसके अलावा दोनों देशों की चुनौतियों में समानता ने रणनीतिक हितों को जन्म दिया है।
- कुछ क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने से आगे के विकास और संबंधों को गहरा करने में मदद मिलेगी। अधिक उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान राजनीतिक संबंध को मज़बूत करेगा।
- भारत ने विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जैसे-अंतरिक्ष, आईटी आदि इन क्षेत्रों में सहयोग से वियतनाम के क्षमता निर्माण में मदद मिलेगी।
- इसके अलावा भारत बेहतर शिक्षा प्रणाली वाला देश है, जो वियतनाम के मानव संसाधन विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
- वर्तमान में हालाँकि वियतनाम के छात्र भारत में अध्ययन के लिये आ रहे हैं लेकिन उनकी संख्या अधिक नहीं है इसे और बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।
आगे की राह
- वर्तमान में वियतनाम में भारतीय निवेश 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से कम है, जो अन्य देशों में भारतीय निवेश की तुलना में काफी कम है।
- आर्थिक सहयोग पर ध्यान देने के साथ ही अधिक निवेश को बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।
- वियतनाम सामरिक महत्त्व के कारण भारत से अधिक व्यापार की उम्मीद करता है, न कि केवल आर्थिक महत्त्व के कारण। अधिक निवेश से क्षेत्र में भारत की उपस्थिति बढ़ेगी।
- भारत और वियतनाम दोनों ही देशों की अर्थव्यवस्थाओं में निरंतर वृद्धि हो रही हैं और कई देशों के साथ उनके व्यापार का विस्तार हो रहा है, इसे पूरी क्षमता के साथ विस्तार दिये जाने की आवश्यकता है।
- उदाहरण के लिये चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार लगभग 81 बिलियन अमरीकी डॉलर और चीन के साथ वियतनाम का व्यापार लगभग 100 बिलियन अमरीकी डॉलर है जो इस तथ्य को दर्शाता है कि आर्थिक संबंधों को उन्नत करने के लिये ज़ोरदार प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
क्षेत्रीय सुरक्षा, रक्षा और व्यापार के क्षेत्र में बढ़ती गतिविधियों के आधार पर भारत और वियतनाम पिछले कुछ वर्षों में एक मज़बूत साझेदारी बनाने में कामयाब रहे हैं। आने वाले वर्षों में दोनों देशों के बीच पारस्परिक संबंधों में और भी मज़बूती आने की संभावना है। यद्यपि लुक ईस्ट और एक्ट ईस्ट नीतियों की वज़ह से संबंधों में प्रगति हुई है फिर भी भारत को 2020 तक निर्धारित लक्ष्य हासिल करने के लिये वियतनाम के साथ आर्थिक संबंधों में सुधार करने की आवश्यकता है।
प्रश्न : भारत के एक्ट-ईस्ट पॉलिसी के एक रणनीतिक स्तंभ एवं आसियान में भारत के प्रमुख वार्ताकार के रूप में तथा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति एवं समृद्धि के निर्माण हेतु दक्षिण चीन सागर के लिये ‘आचार संहिता’ के निर्माण हेतु संबंधित देशों की सहमति निर्मित करने में वियतनाम की भूमिका की महत्ता को रेखांकित करें।