अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-उज़्बेकिस्तान आभासी शिखर सम्मेलन
- 12 Dec 2020
- 11 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच आयोजित एक आभासी शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों द्वारा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल प्रौद्योगिकी तथा साइबर सुरक्षा जैसे कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की बात कही गई।
- इस सम्मेलन के दौरान हुए समझौते में अफगानिस्तान में कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर सहयोग एवं इसकी शांति प्रक्रिया, ईरान के साथ त्रिपक्षीय बातचीत, आतंकवाद का मुकाबला, आदि जैसे मुद्दों को शामिल किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- व्यापार, आर्थिक और निवेश सहयोग:
- इस बैठक के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार के लिये पारस्परिक रूप से चिह्नित 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु प्रयासों को तेज़ करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- गौरतलब है कि वर्ष 2018 में भारत और उज़्बेकिस्तान का द्विपक्षीय व्यापार लगभग 285 मिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा जो, दोनों देशों की क्षमता से बहुत कम है।
- इसके साथ ही दोनों देशों ने अपने अधिकारियों को वर्तमान में चल रहे संयुक्त व्यवहार्यता अध्ययन को शीघ्र ही पूरा करने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि यह अध्ययन अधिमान्य व्यापार समझौता की वार्ताओं को दिशा प्रदान करेगा।
- दोनों पक्षों ने शीघ्र ही द्विपक्षीय निवेश संधि पर कार्य करने की बात कही, जो दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग को मज़बूत करने के साथ निवेश को प्रोत्साहित करने तथा सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक होगी।
- दोनों पक्षों ने भारत और उज़्बेकिस्तान के मुक्त आर्थिक क्षेत्रों में बेहतर अवसरों की संभावनाओं को स्वीकार किया। जिसमें जिसमें अंदिजान क्षेत्र (सुदूर पूर्वी उज़्बेकिस्तान में फरगना घाटी का पूर्वी भाग) में उज़्बेक-भारतीय मुक्त फार्मास्युटिकल क्षेत्र भी शामिल है।
- उज़्बेकिस्तान ने मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत में निवेश/विनिर्माण के अवसरों का स्वागत किया।
- गौरतलब है कि वर्ष 2018 में भारत और उज़्बेकिस्तान का द्विपक्षीय व्यापार लगभग 285 मिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा जो, दोनों देशों की क्षमता से बहुत कम है।
- इस बैठक के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार के लिये पारस्परिक रूप से चिह्नित 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु प्रयासों को तेज़ करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- विकास सहयोग:
- भारत ने उज़्बेकिस्तान में चार विकासात्मक परियोजनाओं (सड़क निर्माण, सीवरेज उपचार और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में) के लिये 448 मिलियन अमेरिकी डॉलर के लाइन ऑफ क्रेडिट की मंज़ूरी की पुष्टि की है।
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रक्षा और सुरक्षा:
- दोनों देशों ने फरवरी 2019 में रक्षा सहयोग पर संयुक्त कार्यसमूह की पहली बैठक के आयोजन के बाद से द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की बढ़ी हुई गति की सराहना की।
- दोनों पक्षों ने संयुक्त सैन्य अभ्यास "दुस्त्लिक 2019" (Dustlik 2019) के आयोजन का स्वागत किया।
- ‘आतंकवाद निरोध पर उज़्बेकिस्तान-भारत संयुक्त कार्य समूह’ (Uzbekistan-India Joint Working Group on Counter-Terrorism) के ढाँचे के साथ अन्य प्रणालियों के तहत कानून प्रवर्तन एजेंसियों तथा दोनों देशों की विशेष सेवाओं के बीच सहयोग को और मज़बूत करने पर सहमति व्यक्त की।
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असैन्य परमाणु ऊर्जा:
- परमाणु ऊर्जा भागीदारी के लिये भारत के वैश्विक केंद्र (GCNEP)और परमाणु ऊर्जा के विकास एजेंसी, उज़्बेकिस्तान के बीच हुए द्विपक्षीय समझौते का स्वागत किया।
- GCNEP परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के तत्त्वावधान में छठी अनुसंधान और विकास (R&D) इकाई है,जो इच्छुक देशों और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के सहयोग से क्षमता निर्माण में सहायता करती है।
- परमाणु ऊर्जा भागीदारी के लिये भारत के वैश्विक केंद्र (GCNEP)और परमाणु ऊर्जा के विकास एजेंसी, उज़्बेकिस्तान के बीच हुए द्विपक्षीय समझौते का स्वागत किया।
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संपर्क (Connectivity):
- दोनों पक्षों ने व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिये भारत और उज़्बेकिस्तान के साथ मध्य एशियाई क्षेत्र के बड़े भाग से संपर्क बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दोहराया।
- भारत ने चाबहार बंदरगाह के माध्यम से संपर्क को बढ़ावा देने के लिये भारत, ईरान और उज़्बेकिस्तान के बीच त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित करने के प्रस्ताव का स्वागत किया।
- भारत ने उज़्बेकिस्तान से ‘अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे’ (INSTC) में शामिल होने पर विचार करने का भी अनुरोध किया, जो बड़े यूरेशियन क्षेत्र में संपर्क के समग्र सुधार को और अधिक मज़बूती प्रदान करेगा।
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संस्कृति, शिक्षा और जन संपर्क:
- भारत ने उज़्बेकिस्तान को ‘भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद’ (ICCR) द्वारा प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति और ‘भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग’ (ITEC) कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के अवसरों में वृद्धि का लाभ लेने के लिये आमंत्रित किया।
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आतंकवाद:
- दोनों पक्षों ने सभी रूपों में आतंकवाद की कड़ी निंदा की और आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकाने, नेटवर्क, बुनियादी ढाँचे और फंडिंग चैनलों को नष्ट करते हुए इस खतरे से निपटने के दृढ़ संकल्प की पुष्टि की।
- दोनों पक्षों ने विश्व के सभी देशों द्वारा यह सुनिश्चित किये जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया कि उसके क्षेत्र का उपयोग किसी अन्य देशों के खिलाफ आतंकवादी हमले के लिये न किया जाए साथ ही ‘अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन’ (CCIT) को शीघ्र ही अंतिम रूप दिये जाने की मांग की।
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अफगानिस्तान:
- दोनों पक्षों ने अफगान-नेतृत्त्व, अफगान-स्वामित्त्व और अफगान-नियंत्रित शांति प्रक्रिया के सिद्धांत पर अफगान संघर्ष के निपटारे का आह्वान किया तथा एक ‘एकजुट, संप्रभु और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान इस्लामिक गणराज्य’ के समर्थन में मतैक्य व्यक्त किया।
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बहुपक्षवाद से जुड़े सुधार:
- दोनों पक्षों ने वैश्विक शांति और सुरक्षा को बनाए रखने हेतु संयुक्त राष्ट्र द्वारा केंद्रीय भूमिका निभाने की अनिवार्यता की बात दोहराई और साथ ही सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र संरचनाओं के व्यापक सुधार (दोनों श्रेणियों की सदस्यता में विस्तार के साथ) का भी आह्वान किया।
- उज़्बेकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता हेतु भारत की उम्मीदवारी के लिये अपने समर्थन की पुष्टि की और भारत को वर्ष 2021-22 के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में चुने जाने पर बधाई दी।
- भारत ने उज़्बेकिस्तान के पक्ष को वर्ष 2021-23 की अवधि के लिये संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के चुनाव में सफल होने की बधाई दी।
- दोनों देशों ने ‘शंघाई सहयोग संगठन’ (SCO) में अपने घनिष्ठ सहयोग की सराहना की।
- गौरतलब है कि SCO में शामिल होने के बाद भारत ने नवंबर 2020 में पहली बार SCO राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की पहली बैठक की मेज़बानी की।
- भारत ने अफगानिस्तान की भागीदारी के साथ विदेश मंत्रियों के स्तर पर द्वितीय भारत-मध्य एशिया वार्ता के सफल आयोजन में उज़्बेकिस्तान के समर्थन की सराहना की।
- गौरतलब है कि उज़्बेकिस्तान ‘इस्लामिक सहयोग संगठन’ (OIC) का एक सदस्य है, जो संयुक्त राष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन है।
- भारत OIC का सदस्य नहीं है, हालाँकि भारत को वर्ष 2019 में OIC के विदेश मंत्री परिषद के 46 वें सत्र में सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।
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Covid-19 महामारी:
- दोनों पक्षों ने प्रभावी टीकों और अन्य दवाओं के विकास और वितरण सहित महामारी के खिलाफ लड़ाई जारी रखने के लिये द्विपक्षीय तथा वैश्विक सहयोग को बढ़ाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।.
- उज़्बेकिस्तान ने COVID-19 महामारी से लड़ने में भारत द्वारा उपलब्ध कराई गई सहायता के लिये धन्यवाद दिया तथा भारत ने भी इस संदर्भ में अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखने की बात दोहराई।
आगे की राह:
- हाल के वर्षों में विभिन्न द्विपक्षीय यात्राओं के दौरान हुए समझौतों ने भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच राजनीति, व्यापार, निवेश, रक्षा, सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत किया है साथ ही दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक संबंधों को बढ़ावा मिला है।
- दोनों देशों ने आभासी शिखर सम्मेलन के दौरान हुई सकारात्मक चर्चाओं के लिये एक-दूसरे को धन्यवाद दिया और साथ ही यह विश्वास भी व्यक्त किया कि इस सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के बीच स्थापित समझ और समझौते भारत तथा उज़्बेकिस्तान में लोगों की भलाई एवं आपसी समृद्धि के लिये रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करेंगे।