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भारत-अमेरिका कृषि व्यापार वार्ता

  • 21 Mar 2025
  • 7 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में कृषि बाज़ार तक पहुँच पर प्रकाश डाला गया है। रेसिप्रासिटी (Reciprocity) का हवाला देते हुए अमेरिका चाहता है कि भारत अमेरिकी उपज को अपने कृषि क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति दे।

  • हालाँकि, एक बड़ा मुद्दा दोनों देशों में किसानों के लिये सरकारी समर्थन में असमानता है। अमेरिकी किसानों को पर्याप्त समर्थन मिलने से भारत में उनकी उपज सस्ती हो जाती है, जिससे भारतीय किसान प्रभावित होते हैं।

अमेरिका की तुलना में भारत अपने किसानों का समर्थन कैसे करता है?

  • समर्थन तंत्र की प्रकृति: भारत के समर्थन में मुख्य रूप से उर्वरक, सिंचाई और विद्युत् जैसे इनपुट पर सब्सिडी के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) खरीद और छोटे किसानों की सहायता के लिये क्रेडिट-लिंक्ड योजनाएँ शामिल हैं।
    • इसके विपरीत, अमेरिकी सहायता मुख्य रूप से संघीय कार्यक्रमों के तहत प्रत्यक्ष भुगतान के माध्यम से आती है जैसे: 
      • मूल्य हानि कवरेज़: जब बाज़ार मूल्य एक निर्धारित सीमा से नीचे गिर जाता है तो किसानों को मुआवज़ा दिया जाता है।
      • कृषि जोखिम कवरेज़: यह तब भुगतान प्रदान करता है जब किसी फसल से वास्तविक राजस्व बेंचमार्क स्तर से कम होता है।
      • डेयरी मार्जिन कवरेज़: डेयरी किसानों को दूध की कीमतों और फीड लागत में उतार-चढ़ाव से बचाता है।
      • संघीय फसल बीमा: उपज और मूल्य हानि के विरुद्ध बीमा प्रदान करता है।
      • आपदा सहायता: किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सहायता करता है।
  • वित्तीय समर्थन की तुलना: भारत सरकार कृषि समर्थन पर प्रतिवर्ष अनुमानित 5 लाख करोड़ रुपये (57.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) खर्च करती है, जो कि अमेरिका की औसत वार्षिक वित्तीय समर्थन 32.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
    • हालाँकि, जहाँ अमेरिकी सहायता से 2 मिलियन से भी कम किसानों को लाभ पहुँचता है, वहीं भारतीय सहायता लगभग 111 मिलियन किसानों को लाभान्वित करती है।
    • अमेरिका प्रति किसान 30,782 अमेरिकी डॉलर (26.8 लाख रुपए) का प्रत्यक्ष भुगतान करता है, जबकि भारत प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-किसान) योजना के तहत प्रति लाभार्थी 6,000 रुपए (69 अमेरिकी डॉलर) प्रदान करता है।

भिन्न सरकारी नीतियों का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

  • भारतीय किसानों के लिये अनुचित प्रतिस्पर्द्धा: सरकार से प्राप्त असमान सहायता के कारण भारतीय किसान भारतीय बाज़ार में कम लागत वाली अमेरिकी उपज के प्रति सुभेद्य हो जाएंगे।
    • इससे भारतीय किसानों को उच्च पूंजीगत इनपुट लागत के कारण नुकसान होगा, जिससे भारतीय कृषि उत्पादों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता वैश्विक और घरेलू दोनों बाज़ारों में कम हो जाएगी।
  • टैरिफ में कमी बनाम घरेलू नीति लक्ष्य: भारत अपने किसानों की सुरक्षा के लिये कृषि आयात पर उच्च टैरिफ बनाए रखता है, जबकि अमेरिका सुगम बाज़ार पहुँच के उद्देश्य से टैरिफ कम किये जाने का प्रयास करता है।
    • टैरिफ में कोई भी भारी कटौती किये जाने से भारत की खाद्य सुरक्षा नीतियाँ प्रभावित हो सकती हैं तथा लाखों भारतीय किसानों की आजीविका को खतरा हो सकता है।
  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) नियम: विश्व व्यापार संगठन (WTO) भारत जैसे विकासशील देशों को उच्च टैरिफ और सब्सिडी के माध्यम से अपने कृषि क्षेत्र की रक्षा करने की अनुमति प्रदान करता है।
    • "गैर-पारस्परिकता" के सिद्धांत के अनुसार विकसित देशों को विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को प्रदत्त रियायतों के बदले में समान बाज़ार पहुँच की उम्मीद नहीं करनी चाहिये।
    • भारत देश के कृषक वर्ग में कमज़ोर वित्तीय लचीलेपन का उल्लेख करते हुए कृषि बाज़ार के उदारीकरण का विरोध करता है। विश्व व्यापार संगठन के नियमों और किसान सुरक्षा मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, यह संभवतः अमेरिकी मांगों का विरोध करेगा।

और पढ़ें: भारत-अमेरिका कॉम्पैक्ट पहल

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. अमेरिका में कृषि सहायता तंत्र भारत के कृषि सहायता तंत्र से किस प्रकार भिन्न हैं? व्यापार वार्ताओं के लिये उनके निहितार्थों का विश्लेषण कीजिये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. सहायिकियाँ सस्यन प्रतिरूप, सस्य विविधता और कृषकों की आर्थिक स्थिति को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? लघु और सीमांत कृषकों के लिये फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य और खाद्य प्रसंस्करण का क्या महत्त्व है ? (2017)

प्रश्न. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) के द्वारा कीमत सहायिकी का प्रतिस्थापन भारत में सहायिकियों के परिदृश्य का किस प्रकार परिवर्तन कर सकता है? चर्चा कीजिये। (2015)

प्रश्न. राष्ट्रीय व राजकीय स्तर पर कृषकों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की आर्थिक सहायताएँ कौन-कौन सी हैं? कृषि आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (2013)

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