WTO स्क्रूटनी के तहत भारत की गन्ना सब्सिडी | 13 May 2024
प्रिलिम्स के लिये:विश्व व्यापार संगठन, गन्ना, सब्सिडी और प्रतिकारी उपायों पर WTO का समझौता, WTO का कृषि पर समझौता, व्यापार और टैरिफ पर सामान्य समझौता (GATT)। मेन्स के लिये:WTO और इसकी भूमिका, WTO में चीनी सब्सिडी का मुद्दा, चीनी उद्योग में सब्सिडी का महत्त्व। |
स्रोत: इकनोमिक टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने तर्क दिया है कि भारत अपने किसानों को विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization- WTO) के कृषि समझौते (AoA) में निर्धारित सीमा से अधिक गन्ना सब्सिडी दे रहा है, इन देशों ने इसे वैश्विक मानकों का उल्लंघन बताया है जो वैश्विक व्यापार को विकृत कर सकता है।
कृषि पर डब्ल्यूटीओ का समझौता (AoA) क्या है?
- परिचय:
- कृषि पर समझौता (AoA) विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
- टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) के उरुग्वे दौर के दौरान इस पर बातचीत की गई तथा 1 जनवरी, 1995 को WTO की स्थापना के साथ यह लागू हुआ।
- उद्देश्य:
- AoA का उद्देश्य व्यापार बाधाओं को दूर करना और पारदर्शी बाज़ार पहुँच एवं वैश्विक बाज़ारों के एकीकरण को बढ़ावा देना है।
- AoA का लक्ष्य एक निष्पक्ष और बाज़ार-उन्मुख कृषि व्यापार प्रणाली स्थापित करना है।
- यह अपने देश में कृषि सहायता और सुरक्षा में पर्याप्त प्रगतिशील कटौती प्रदान करने के लिये सभी WTO सदस्यों पर लागू नियमों को निर्धारित करता है।
- AoA के 3 स्तंभ:
- घरेलू समर्थन: यह घरेलू सब्सिडी में कटौती का आह्वान करता है जो मुक्त व्यापार और उचित मूल्य को विकृत करता है।
- इस प्रावधान के तहत, विकसित देशों द्वारा समर्थन के समग्र मापन (AMS) को 6 वर्षों की अवधि में 20% और विकासशील देशों द्वारा 10 वर्षों की अवधि में 13% कम किया जाना है।
- इसके तहत, सब्सिडी को ब्लू बॉक्स, ग्रीन बॉक्स और एम्बर बॉक्स सब्सिडी में वर्गीकृत किया गया है।
- बाज़ार पहुँच: WTO में वस्तुओं के लिये बाज़ार पहुँच का मतलब उन शर्तों, टैरिफ और गैर-टैरिफ उपायों से है, जिन पर सदस्यों द्वारा अपने बाज़ारों में विशिष्ट वस्तुओं के प्रवेश के लिये सहमति व्यक्त की जाती है।
- बाज़ार पहुँच के लिये आवश्यक है कि स्वतंत्र व्यापार की अनुमति देने के लिये अलग-अलग देशों द्वारा निर्धारित टैरिफ (जैसे सीमा शुल्क) में उत्तरोत्तर कटौती की जाए। इसके लिये देशों को गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करने और उन्हें टैरिफ शुल्क में बदलने की भी आवश्यकता थी।
- निर्यात सब्सिडी: कृषि के इनपुट पर सब्सिडी, निर्यात को सस्ता बनाना या निर्यात के लिये अन्य प्रोत्साहन जैसे आयात शुल्क में छूट आदि को निर्यात सब्सिडी के अंतर्गत शामिल किया जाता है।
- इनके परिणामस्वरूप अन्य देशों में अत्यधिक सब्सिडी वाले (और सस्ते) उत्पादों की डंपिंग हो सकती है और अन्य देशों के घरेलू कृषि क्षेत्र को नुकसान हो सकता है।
- घरेलू समर्थन: यह घरेलू सब्सिडी में कटौती का आह्वान करता है जो मुक्त व्यापार और उचित मूल्य को विकृत करता है।
AoA के उल्लंघन के संबंध में भारत पर क्या आरोप हैं?
- घटना की पृष्ठभूमि:
- यह आरोप वर्ष 2019 के पिछले आरोप का अनुसरण करता है जब ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला ने WTO में भारत के खिलाफ विवाद शुरू किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि भारत की चीनी सब्सिडी वैश्विक व्यापार नियमों के साथ असंगत है।
- इसके परिणाम स्वरूप, 2021 में एक WTO पैनल ने दावों की पुष्टि की, हालाँकि, भारत ने निष्कर्षों के विरुद्ध अपील की तथा पैनल की रिपोर्ट को WTO के विवाद निपटान निकाय द्वारा अपनाने से रोक दिया।
- भारत के विरुद्ध शिकायत::
- अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने दावा किया है कि भारत के कृषि समर्थन उपाय कृषि पर WTO के समझौते की विभिन्न धाराओं के साथ असंगत हैं।
- वर्ष 2018-2022 की अवधि के लिये, भारत का बाज़ार मूल्य समर्थन WTO के AoA के अनुसार, 10% के अनुमत स्तर की तुलना में प्रतिवर्ष चीनी उत्पादन के मूल्य का 90% से अधिक था।
- अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने भारत की रिपोर्टिंग में एक महत्त्वपूर्ण अनुपस्थिति पर भी प्रकाश डाला तथा दावा किया कि भारत ने विपणन वर्ष 1995-96 के बाद से किसी भी घरेलू समर्थन अधिसूचना में गन्ना या उसके व्युत्पन्न उत्पादों को शामिल नहीं किया है।
- इस चूक के कारण WTO के पास वैश्विक व्यापार नियमों में भारत के अनुपालन का आकलन करने के लिये पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है।
- चूँकि, वर्तमान में WTO का अपीलीय निकाय सदस्यों की कमी के कारण निष्क्रिय है, अतः किसी भी अपील पर तब तक निर्णय नहीं लिया जा सकता जब तक कि निकाय पुनः क्रियाशील न हो जाए।
- अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने दावा किया है कि भारत के कृषि समर्थन उपाय कृषि पर WTO के समझौते की विभिन्न धाराओं के साथ असंगत हैं।
- भारत का रुख:
- वर्ष 2022 में भारत ने WTO के व्यापार विवाद निपटान पैनल के एक निर्णय के विरुद्ध अपील की थी, जिसमें निर्णय दिया गया था कि चीनी और गन्ने के लिये भारत के घरेलू समर्थन उपाय वैश्विक व्यापार मानदंडों के साथ असंगत हैं।
- अपनी अपील में भारत ने तर्क दिया कि पैनल ने यह पता लगाने में गलती की है कि भारत के FRP और SAP, AoA के तहत बाज़ार मूल्य समर्थन का गठन करते हैं।
- भारत ने इस त्रुटि को इंगित करते हुए कहा कि USA-ऑस्ट्रेलिया विश्लेषण सब्सिडी की गणना के लिये एक वर्ष की अवधि में पूरे भारत के गन्ना उत्पादन का उपयोग करता है, भले ही गन्ना वास्तविकता में गन्ना (नियंत्रण) आदेश के अंतर्गत पेराई के लिये चीनी मिलों तक पहुँचाया गया हो अथवा नहीं।
- गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 एक नियामक ढाँचा है जो भारत में गन्ना उत्पादन, मूल्य निर्धारण और व्यापार से संबंधित विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करता है।
- वर्ष 2022 में भारत ने WTO के व्यापार विवाद निपटान पैनल के एक निर्णय के विरुद्ध अपील की थी, जिसमें निर्णय दिया गया था कि चीनी और गन्ने के लिये भारत के घरेलू समर्थन उपाय वैश्विक व्यापार मानदंडों के साथ असंगत हैं।
नोट:
- उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP): यह एक निर्धारित मूल्य है जो सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है और यह वो न्यूनतम मूल्य है जो चीनी मिलों को किसानों को उनके गन्ने के लिये भुगतान करना होगा। यह मूल्य सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनकी फसल के लिये उचित भुगतान मिले।
- राज्य-अनुशंसित कीमतें (SAPs): कुछ राज्यों में किसानों की उत्पादन दक्षता में सुधार के लिये FRP के अलावा अतिरिक्त भुगतान मिलता है, और कुछ राज्यों में चीनी मिलें राज्य-सलाह मूल्य (SAP) नामक विशिष्ट राज्य-स्तरीय समर्थन के माध्यम से किसानों को अतिरिक्त भुगतान प्रदान करती हैं।
विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) क्या है?
- परिचय:
- WTO एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो वैश्विक व्यापार को नियंत्रित और बढ़ावा देता है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1995 में हुई थी और वर्तमान में इसके 164 सदस्य देश हैं (यूरोपीय संघ सहित)।
- यह सदस्य देशों को व्यापार समझौतों पर वार्ता करने और लागू करने, विवादों को सुलझाने तथा आर्थिक वृद्धि एवं विकास को बढ़ावा देने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
- इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विटज़रलैंड में है।
- WTO की उत्पत्ति:
- WTO टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते (General Agreement on Tariffs and Trade- GATT) का उत्तराधिकारी है, जिसे वर्ष 1947 में बनाया गया था।
- GATT के उरुग्वे राउंड (Uruguay Round) (1986-94) के कारण WTO का निर्माण हुआ।
- विश्व व्यापार संगठन ने 1 जनवरी, वर्ष 1995 को परिचालन शुरू किया।
- WTO की स्थापना करने वाला समझौता, जिसे आमतौर पर "माराकेश समझौता" के रूप में जाना जाता है, वर्ष 1994 में मराकेश, मोरक्को में हस्ताक्षरित किया गया था।
- भारत, 1947 GATT और उसके उत्तराधिकारी, WTO के संस्थापक सदस्यों में से एक था।
- GATT और WTO के मध्य मुख्य अंतर यह था कि GATT ज़्यादातर वस्तुओं के व्यापार से संबंधित था, WTO एवं इसके समझौते न केवल वस्तुओं को समाहित कर सकते थे, बल्कि सेवाओं तथा अन्य बौद्धिक संपदा जैसे व्यापार निर्माण, डिज़ाइन व आविष्कारों में भी व्यापार कर सकते थे।
- WTO का विवाद निवारण तंत्र:
- WTO के नियमों के अनुसार, WTO के सदस्य या सदस्य जिनेवा स्थित बहुपक्षीय विवाद निपटान निकाय (DSB) में मामला दायर कर सकते हैं, अगर उन्हें लगता है कि कोई विशेष व्यापार उपाय WTO के मानदंडों के खिलाफ है।
- किसी विवाद को सुलझाने के लिये द्विपक्षीय परामर्श पहला कदम है। यदि दोनों पक्ष परामर्श के माध्यम से मामले को सुलझाने में सक्षम नहीं हैं, तो कोई भी विवाद निपटान पैनल की स्थापना के लिये संपर्क कर सकता है।
- WTO के नियमों के अनुसार, WTO के सदस्य या सदस्य जिनेवा स्थित बहुपक्षीय विवाद निपटान निकाय (DSB) में मामला दायर कर सकते हैं, अगर उन्हें लगता है कि कोई विशेष व्यापार उपाय WTO के मानदंडों के खिलाफ है।
- विवाद निपटान निकाय (DSB):
- DSB सदस्य देशों के मध्य व्यापार विवादों पर निर्णय लेता है। इसमें WTO के सभी सदस्य शामिल हैं।
- DSB अपने सभी निर्णय सर्वसम्मति से लेता है।
- DSB के पास मामले पर विचार करने के लिये विशेषज्ञों के पैनल स्थापित करने और पैनल के निष्कर्षों या अपील के परिणामों को स्वीकार या अस्वीकार करने का एकमात्र अधिकार है।
- यह फैसलों एवं अनुसंशाओं के कार्यान्वयन की निगरानी करता है और जब कोई देश किसी फैसले का पालन नहीं करता है तो उसके पास प्रतिशोध को अधिकृत करने की शक्ति होती है।
- पैनल के फैसले या रिपोर्ट को WTO के अपीलीय निकाय (WTOAB) में चुनौती दी जा सकती है।
- हालाँकि, अभी तक इस निकाय में नए सदस्यों की नियुक्ति को लेकर सदस्य देशों के मध्य मतभेद के कारण WTOAB कार्य नहीं कर रहा है।
- अपीलीय निकाय के पास 20 से अधिक विवाद पहले से ही लंबित हैं। अमेरिका सदस्यों की नियुक्ति में बाधा डालता रहा है।
निष्कर्ष:
भारत की गन्ना सब्सिडी के खिलाफ आरोप अंतर्राष्ट्रीय व्यापार गतिशीलता को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। इसके अलावा लंबे विवाद समाधान प्रक्रिया डब्ल्यू.टी.ओ. नियमों के अनुपालन को लागू करने से जुड़ी जटिलताओं और चुनौतियों को रेखांकित करती है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: बढ़ते व्यापारिक विवादों के बीच विश्व व्यापर संगठन में प्रमुख सुधार क्षेत्रों की पहचान कीजिये, साथ ही भारत के व्यापार हितों पर प्रभाव और वैश्विक व्यापार भविष्य को आकार देने में भूमिका का मूल्यांकन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स;प्रश्न. भारत में गन्ने की खेती में वर्तमान प्रवृत्तियों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये- (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) प्रश्न 4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) प्रश्न 3. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में आपको कभी-कभी समाचारों में 'ऐम्बर बॉक्स, ब्लू बॉक्स और ग्रीन बॉक्स' शब्द देखने को मिलते हैं? (2016) (a) WTO मामला उत्तर: (a) प्रश्न. 'एग्रीमेंट ओन एग्रीकल्चर', 'एग्रीमेंट ओन द एप्लीकेशन ऑफ सेनेटरी एंड फाइटोसेनेटरी मेज़र्स और 'पीस क्लाज़' शब्द प्रायः समाचारों में किसके मामलों के संदर्भ में आते हैं; (2015) (a) खाद्य और कृषि संगठन उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न . यदि 'व्यापार युद्ध' के वर्तमान परिदृश्य में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू. टी. ओ.) को ज़िंदा बने रहना है, तो उसके सुधार के कौन-कौन से प्रमुख क्षेत्र हैं, विशेष रूप से भारत के हित को ध्यान में रखते हुए? (2018) प्रश्न . “WTO के अधिक व्यापक लक्ष्य और उद्देश्य वैश्वीकरण के युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रबंधन तथा प्रोन्नति करना है। परंतु (संधि) वार्ताओं की दोहा परिधि मृतोंमुखी प्रतीत होती है जिसका कारण विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेद है।'' भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस पर चर्चा कीजिये। (2016) प्रश्न . WTO एक महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जहाँ लिये गए निर्णय देशों को गहराई से प्रभावित करते हैं। WTO का क्या अधिदेश (मैंडेट) है और उसके निर्णय किस प्रकार बंधनकारी हैं? खाद्य सुरक्षा पर विचार-विमर्श के पिछले चक्र पर भारत के दृढ़-मत का समालोचनापूर्वक विश्लेषण कीजिये। (2014) |