मत्स्यपालन सब्सिडी पर भारत का रुख | 28 Sep 2024

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व व्यापार संगठन (WTO), मात्स्यिकी सब्सिडी पर समझौता (FSA), स्पेशल एंड डिफरेंशियल ट्रीटमेंट (S&DT), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), नीली क्रांति (नील क्रांति मिशन), किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना विस्तार, सागरमाला परियोजना, समुद्री मत्स्य पालन विधेयक- 2021, राष्ट्रीय मत्स्य पालन नीति। 

मेन्स के लिये:

मत्स्य सब्सिडी समझौता (FSA) और भारत पर इसका प्रभाव।

स्रोत: द हिंदू बिज़नेस लाइन 

चर्चा में क्यों?

विश्व व्यापार संगठन (WTO) में मत्स्यपालन सब्सिडी पर विनियमन स्थापित करने के भारत के प्रस्ताव को अनेक विकासशील देशों और अल्प विकसित देशों (एलडीसी) से पर्याप्त समर्थन प्राप्त हुआ है।

  • वर्तमान में मात्स्यिकी सब्सिडी पर समझौते (FSA) के दूसरे चरण को अंतिम रूप देने के प्रयास चल रहे हैं, जिसका उद्देश्य अधिक क्षमता और अधिक मत्स्यपालन में योगदान देने वाली सब्सिडी पर विनियमन स्थापित करना है, जिससे टिकाऊ मत्स्यपालन प्रथाओं को बढ़ावा मिले।

मत्स्यपालन सब्सिडी समझौता (एफएसए) क्या है?

  • के बारे में:
  • संक्रमण अवधि भत्ता:
    • इस समझौते के प्रभावी होने पर अल्प विकसित देशों (एल.डी.सी.) और विकासशील देशों (DC) को स्पेशल एंड डिफरेंशियल ट्रीटमेंट (S&DT) के अंतर्गत दो वर्ष की संक्रमण अवधि दी गई है।
    • निर्दिष्ट अवधि के लिये नियम लागू करने का उन पर कोई दायित्व नहीं होगा।
  • छूट प्राप्त क्षेत्र:
    • किसी WTO सदस्य पर अपने जहाज़ या ऑपरेटर को सब्सिडी देने या इसे बनाए रखने के संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, जब तक कि वह IUU का संचालन नहीं कर रहा हो।
    • जब तक इन सब्सिडी का उपयोग अति मतस्यन किये गए स्टॉक की जैविक रूप से संधारणीय स्तर पर पुनः पूर्ति के लिये किया जाता है, तब तक उन्हें मत्स्यन के लिये सब्सिडी प्रदान करने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
      • FSA के दूसरे चरण में इस मुद्दे पर वार्ता चल रही है।
  • लाभ:
    • इससे बड़े पैमाने पर होने वाली अवैध, असूचित और अविनियमित (IUU) मत्स्यन पर रोक लगेगीIUU भारत जैसे तटीय देशों को मत्स्य संसाधनों से वंचित करती है, जिससे मात्स्यिकी से संबंधित समुदायों की आजीविका पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

मत्स्यपालन सब्सिडी समझौते के संबंध में चिंताएँ क्या हैं?

  • छोटे मछुआरों और विकासशील देशों एवं LDC की चिंताएँ:
    • बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक मत्स्यन के कारण प्रायः मत्स्य संसाधन का स्टॉक समाप्त हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप छोटे मछुआरे कम मछलियाँ संग्रह कर पाते हैं। 
      • मत्स्यन के बड़े निगमों को प्रायः पर्याप्त सरकारी सब्सिडी मिलती है, जबकि छोटे मछुआरों को नहीं मिलती, जिससे मत्स्य उद्योग में असंतुलन हो जाता है। 
    • FSA में स्थिरता छूट खंड समस्याग्रस्त है, क्योंकि यह उन्नत मत्स्यन वाले देशों को, जिनके पास बेहतर मॉनिटरिंग क्षमताएँ हैं, प्रभावित करने वाले सब्सिडी को कम करने की प्रतिबद्धताओं से बचने की अनुमति देता है, जिससे गरीब देशों को नुकसान होता है, जो स्थायी रूप से मत्स्यन कर सकते हैं, लेकिन उनके पास समान क्षमताओं व संसाधन का अभाव है। 
    • वैश्विक स्तर पर, अनुमानतः 37.7% मत्स्य भण्डार का अत्यधिक दोहन किया गया है, जो वर्ष 1974 के 10% से उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है तथा प्रभावी विनियामक हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।
      • विश्व व्यापार संगठन के आँकड़ों के अनुसार, मत्स्य पालन के लिये वैश्विक स्तर पर सरकारी वित्तपोषण 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें से लगभग 22 बिलियन अमेरिकी डॉलर सब्सिडी के लिये निर्देशित किया जाता है, जिससे अस्थिर मत्स्यन की क्षमता में वृद्धि होती है। 

नोट: 

  • मत्स्य पालन को सब्सिडी देने वाले देशों की स्थिति:
    • मत्स्यन पर सब्सिडी देने वाले शीर्ष पाँच देश चीन, यूरोपीय संघ, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान हैं, जो सामूहिक रूप से कुल वैश्विक मत्स्यन की सब्सिडी का 58% हिस्सा देते हैं।
    • चीन एक महत्त्वपूर्ण सब्सिडी प्रदाता के रूप में विकसित हुआ आया है, जिसकी लगभग दो-तिहाई सब्सिडी क्षमता-वृद्धि के रूप में वर्गीकृत है, जिसमें बड़े जहाज़ों और समुद्री संसाधनों का बड़े पैमाने पर दोहन करने के लिये डिज़ाइन किये गए उपकरणों में निवेश शामिल है।

FSA पर भारत का रुख क्या है?

  • मत्स्य पालन सब्सिडी पर विश्व व्यापार संगठन में भारत द्वारा प्रस्तुत किये गए दस्तावेज़ों में उन महत्त्वपूर्ण कमियों को रेखांकित किया गया है, जो गैर-संधारणीय मत्स्य पालन प्रथाओं को जारी रख सकते हैं, विशेष रूप से बड़े पैमाने पर औद्योगिक मत्स्य पालन करने वाले देशों के बीच।
  • भारत के अनुसार इतनी बड़ी आबादी के बावजूद वह मत्स्यपालन में सबसे कम सब्सिडी का योगदान करने वाले देशों में से एक है, तथा मत्स्य संसाधनों का संधारणीय दोहन करने वाले अनुशासित देशों में से एक है। 
  • भारत ‘प्रदूषणकर्त्ता भुगतान सिद्धांत’ और ‘सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों’ के अनुप्रयोग का समर्थन करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उच्च सब्सिडी और औद्योगिक मत्स्यन की प्रथाओं वाले देश नकारात्मक प्रभाव डालने वाले सब्सिडी को प्रतिबंधित करने में अधिक दायित्व निभाएँ।

भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र की स्थिति

आगे की राह 

  • वार्ता के लिये संतुलित दृष्टिकोण: FSA के लिये विश्व व्यापार संगठन में चल रही वार्ता में एक संतुलित दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी जानी चाहिये जो अधिक क्षमता और अति-मत्स्यन के मुद्दे का प्रभावी ढंग से हल करे, साथ ही छोटे पैमाने के मछुआरों, विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील देशों के हितों की रक्षा करे।
    • समझौते में तटीय समुदायों की आवश्यकताओं और चिंताओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिये तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि उनकी आवश्यकताएँ निर्णय लेने की प्रक्रिया में केंद्रीय हों। 
  • भारत के लिये नेतृत्व की भूमिका: इस समझौते से भारत को महत्त्वपूर्ण लाभ होगा। भारत के छोटे पैमाने के मछुआरे और स्थानीय तटीय समुदाय अति-मत्स्यन से विशेष रूप से प्रभावित हैं।
    • भारत के पास औद्योगिक मत्स्यन वाले विदेशी बेड़ों की गतिविधियों से प्रभावित तटीय देशों को समर्थन देकर ग्लोबल साउथ में अग्रणी के रूप में खुद को स्थापित करने का अवसर है। 
    • यह रुख भारत की अपने छोटे पैमाने के मछुआरों और स्थानीय तटीय समुदायों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता को सुदृढ़ कर सकता है, जो अति-मत्स्यन और घटती हुई मत्स्यन संग्रह से प्रतिकूल रूप से प्रभावित होते हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. विकासशील देशों (DC) और अल्प विकसित देशों (LDC) के लिये मत्स्य पालन सब्सिडी समझौते (FSA) के निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। विकसित देशों से सब्सिडी के संभावित प्रभावों के संदर्भ में क्या चिंताएँ हैं?

 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स

प्रश्न. 'ऐग्रीमेंट ऑन ऐग्रीकल्चर (Agreement on Agriculture)', 'ऐग्रीमेंट ऑन दि ऐप्लीकेशन ऑफ सैनिटरी ऐंड फाइटोसैनिटरी मेजर्स (Agreement on the Application of Sanitary and Phytosanitary Measures)' और 'पीस क्लॉज़ (Peace Clause)' शब्द प्रायः समाचारों में किसके मामलों के संदर्भ में आते हैं? (2015)

(a) खाद्य और कृषि संगठन
(b) जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र का रूपरेखा सम्मेलन
(c) विश्व व्यापार संगठन
(d) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम

उत्तर: (c)


मेन्स 

प्रश्न. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) एक महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जहाँ लिये गए निर्णय देशों को गहराई से प्रभावित करते हैं। डब्ल्यू.टी.ओ. का क्या अधिदेश (मैंडेट) है और उसके निर्णय किस प्रकार बंधनकारी हैं? खाद्य सुरक्षा पर विचार-विमर्श के पिछले चक्र पर भारत के दृढ़-मत का समालोचनापूर्वक विश्लेषण कीजिये। (2014)