नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

G20 देशों की तुलना में भारत का सामाजिक-आर्थिक प्रदर्शन

  • 15 Sep 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

G20, प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, मानव विकास सूचकांक (HDI)

मेन्स के लिये:

भारत की वैश्विक स्थिति पर सामाजिक-आर्थिक संकेतकों का प्रभाव

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत ने 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' विषय के तहत नई दिल्ली में 18वें G20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की।

  • भारत ने वर्ष 2024 की G20 अध्यक्षता ब्राज़ील को सौंप दी है , इसलिये अन्य G20 सदस्यों की तुलना में ब्राज़ील के सामाजिक-आर्थिक प्रदर्शन का आकलन करना महत्त्वपूर्ण है। दुर्भाग्य से, हाल ही में कई सामाजिक-आर्थिक संकेतकों में भारत ने अपने G20 प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में खराब प्रदर्शन किया है।

G20 सदस्यों की तुलना में विभिन्न मैट्रिक्स पर भारत की प्रगति: 

    • प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP): 
      • प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद किसी देश की अर्थव्यवस्था में यहाँ के उत्पादकों द्वारा जोड़े गए सकल मूल्य को मिड-इयर जनसंख्या से भाग दिये जाने के बाद प्राप्त मान को कहा जाता है।
      • वर्ष 1970 में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 111.97 अमेरिकी डॉलर के साथ, विश्लेषण किये गए 19 देशों में से भारत 18वें स्थान पर था (रूस को छोड़कर)।
        • वर्ष 2022 तक भारत की प्रति व्यक्ति GDP बढ़कर 2,388.62 अमेरिकी डॉलर हो गई, लेकिन यह 19 देशों में सबसे निम्न स्थान पर रही।
    • मानव विकास सूचकांक (HDI):
      • HDI एक समग्र सूचकांक है जो चार संकेतकों को ध्यान में रखते हुए मानव विकास में औसत उपलब्धि को मापता है:
        • जन्म के समय जीवन प्रत्याशा (सतत् विकास लक्ष्य 3)
        • स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष (सतत् विकास लक्ष्य 4.3)
        • स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष (सतत् विकास लक्ष्य 4.4)
        • सकल राष्ट्रीय आय (GNI) (सतत् विकास लक्ष्य 8.5)
      • HDI को 0 (सबसे खराब) से 1 (सर्वोत्तम) के पैमाने पर मापा जाता है। वर्ष 1990 और वर्ष 2021 के दौरान 19 देशों (यूरोपीय संघ (EU) को छोड़कर) के HDI की तुलना की गई जिसमें भारत का HDI वर्ष 1990 के 0.43 से बढ़कर वर्ष 2021 में 0.63 हो गया है, जो जीवन प्रत्याशा, शिक्षा तथा जीवन स्तर में प्रगति को दर्शाता है।
        • हालाँकि पूर्ण रूप से प्रगति के बावजूद भारत इस सूची में सबसे निम्न स्तर पर है।
    •  स्वास्थ्य मैट्रिक्स:
      • जीवन प्रत्याशा:
        • भारत की औसत जीवन प्रत्याशा वर्ष 1990 के 45.22 वर्ष से बढ़कर वर्ष 2021 में 67.24 वर्ष हो गई है, जिसने दक्षिण अफ्रीका को पीछे छोड़ दिया है लेकिन अभी भी चीन से पीछे है।
      • शिशु मृत्यु दर:
        • वर्ष 1990 में भारत 88.8 की शिशु मृत्यु दर के साथ सबसे अंतिम स्थान पर था। वर्ष 2021 तक यह दर सुधरकर 25.5 हो गई, लेकिन भारत 20 अन्य क्षेत्रों में 19वें स्थान पर रहा।
    • श्रम बल भागीदारी दर (Labour Force Participation Rate- LFPR): 
      • 20 क्षेत्रों में 15 वर्ष से अधिक आयु के LFPR की तुलना वर्ष 1990 और 2021-22 के बीच की गई।
        • वर्ष 1990 में 54.2% के LFPR के साथ भारत इटली (49.7%) और सऊदी अरब (53.3%) से ऊपर 18वें स्थान पर था।
        • हालाँकि 2021-22 तक भारत 49.5% LFPR के साथ केवल इटली से आगे रहते हुए गिरकर 19वें स्थान पर पहुँच गया।
    • संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी:
      • वर्ष 1998 और 2022 के बीच 19 देशों(सऊदी अरब को छोड़कर) की संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी की तुलना की गई।
        • भारत की संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी वर्ष 1998 के 8.1% से बढ़कर 2022 में 14.9% हो गई।
        • हालाँकि अन्य G20 देशों और EU की तुलना में भारत की रैंक वर्ष 1998 में 15वें स्थान से घटकर वर्ष 2022 में 18वें स्थान पर आ गई, जो जापान से थोड़ा आगे है।
    • पर्यावरणीय प्रदर्शन:
      • भारत ने पिछले तीन दशकों में कार्बन उत्सर्जन पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगाया है और लगातार 20 देशों में सबसे कम उत्सर्जक के रूप में रैंकिंग प्रदान की गई है।
        • हालाँकि पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा स्रोतों को अपनाने में भारत की प्रगति अपेक्षाकृत धीमी रही है, वर्ष 2015 में नवीकरणीय ऊर्जा से केवल 5.36% विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया गया, जिससे भारत 20 देशों में 13वें स्थान पर है।

    आगे की राह 

    • भारत को उन नीतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये जो सुनिश्चित यह करें कि आर्थिक विकास समाज के सभी वर्गों तक पहुँचे। हाशिये पर रहने वाले समुदायों, ग्रामीण विकास और कौशल वृद्धि कार्यक्रमों के लिये लक्षित हस्तक्षेप आय असमानताओं को समाप्त करने में मदद कर सकते हैं।
      • नीतियों में विशेष रूप से युवाओं के लिये अधिक रोज़गार के अवसर उत्पन्न करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये। उद्यमिता को प्रोत्साहित करने से बेरोज़गारी कम हो सकती है, समावेशी विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
    • भारत को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल, टीकाकरण और स्वच्छता अवसंरचना में निवेश सहित लक्षित स्वास्थ्य देखभाल हस्तक्षेपों के माध्यम से शिशु मृत्यु दर को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
    • कार्यबल और नेतृत्व भूमिकाओं में महिलाओं की भागीदारी सहित लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाली नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करना आवश्यक है।
    • पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा स्रोतों को अपनाने में तेज़ी लाने के साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिये।
    • अधिक महिलाओं को राजनीति और नेतृत्व की भूमिकाओं के लिये प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
    • भ्रष्टाचार विरोधी उपायों को मज़बूत करना और सभी स्तरों पर नैतिक शासन को बढ़ावा देना चाहिये।

      UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

    प्रश्न. G20 के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)

    1. G20 समूह की मूल रूप से स्थापना वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं वित्तीय मुद्दों पर चर्चा के मंच के रूप में की गई थी।
    2. डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा भारत की G20 प्राथमिकताओं में से एक है।

    उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    (a) केवल 1 
    (b) केवल 2 
    (c) 1 और 2 दोनों 
    (d) न तो 1 और न ही 2

    उत्तर: (c)

    G20:

    • इसकी स्थापना वर्ष 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों के लिये वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा करने हेतु एक मंच के रूप में की गई थी। अतः कथन 1 सही है।
    • वर्ष 2007 के वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संकट के मद्देनज़र तथा वर्ष 2009 में इसे राज्य/शासन प्रमुखों के स्तर तक अपग्रेड किया गया था।
    • G20 शिखर सम्मेलन में प्रतिवर्ष क्रमिक अध्यक्षता दी जाती है।
    • शुरुआत में इसका ध्यान बड़े पैमाने पर व्यापक आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित था, लेकिन बाद में इसने व्यापार, सतत् विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार विरोध को शामिल करने के लिये अपने एजेंडे का विस्तार किया है।

    डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI):

    • यह अनेक उद्देश्यों के लिये एक साझा साधन है। यह डिजिटल परिवर्तन का एक महत्त्वपूर्ण प्रवर्तक है और बड़े पैमाने पर सार्वजनिक सेवा वितरण को बेहतर बनाने में सहायता कर रहा है।
    • अच्छी तरह से डिज़ाइन और कार्यान्वित यह देशों को उनकी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को प्राप्त करने और सतत् विकास लक्ष्यों को गति देने में सहायता कर सकता है।
    • भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर सामूहिक कार्रवाई हेतु संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के साथ साझेदारी की है। अतः कथन 2 सही है।

    मेन्स:

    प्रश्न. उच्च संवृद्धि के लगातार अनुभव के बावजूद भारत के मानव विकास के निम्नतम संकेतक चल रहे हैं। उन मुद्दों का  परिक्षण कीजिये, जो संतुलित और समावेशी विकास को पकड़ में आने नहीं दे रहे हैं। (2019)

    close
    एसएमएस अलर्ट
    Share Page
    images-2
    images-2
    × Snow