भारतीय अर्थव्यवस्था की उभरती हुई बौद्धिक शक्ति | 17 Jun 2024

प्रिलिम्स के लिये:  

वैश्विक क्षमता केंद्र , बहुराष्ट्रीय निगम, कृत्रिम बुद्धिमत्ता/मशीन लर्निंग,अनुसंधान एवं विकास  

मेन्स के लिये:

वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) के बारे में, उनके प्रभाव एवं वर्तमान स्थिति, GCC के उदय के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन

स्रोत: इकोनोमिक टाइम्स

चर्चा में क्यों? 

हाल के वर्षों में, भारत का बहुराष्ट्रीय निगमों (Multinational Corporations- MNC) के लिये एक बैक-ऑफिस सेवा प्रदाता से एक रणनीतिक बौद्धिक केंद्र के रूप में रूपांतरण, वैश्विक क्षमता केंद्रों (Global Capability Centers- GCC) के उदय से प्रेरित है।

  • GCC बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा स्थापित अपतटीय इकाइयाँ हैं, जो विश्व भर में अलग-अलग स्थानों पर विशिष्ट प्रतिभा, लागत लाभ एवं परिचालन दक्षता का उपयोग करके रणनीतिक कार्यों का निष्पादन करती हैं।

GCC के उदय के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में कौन-से प्रमुख परिवर्तन हुए हैं?

  • बैक-ऑफिस से रणनीतिक साझेदार तक:
    • परंपरागत रूप से वर्ष 1990 से 2000 के दशक में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका मुख्य रूप से टेलीमार्केटिंग तथा डेटा एंट्री जैसे बैक-ऑफिस कार्यों तक ही केंद्रित थी।
    • हालाँकि, अब वे अनुसंधान एवं विकास, एनालिसिस, कृत्रिम बुद्धिमत्ता/मशीन लर्निंग, रोबोटिकप्रोसेस ऑटोमेशन एवं प्रोडक्ट डेवलपमेंट जैसे जटिल कार्यों में भी शामिल हो गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप भारत वैश्विक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता के रूप में स्थापित हुआ है।
  • कौशल विकास एवं प्रतिभा पूल विकास:
    • योग्य श्रमिकों के लिये GCC की आवश्यकता भारत की शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रणाली में सुधार को प्रेरित कर रही है।
    • शैक्षणिक संस्थान GCC की उभरती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये क्रिटिकल थिंकिंग एवं समस्या समाधान क्षमताओं के साथ-साथ STEM क्षेत्रों (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में कौशल विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
  • नवाचार एवं ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था:
    • GCC न केवल कार्यों की नक़ल करते हैं बल्कि अपनी मूल कंपनियों के लिये नवाचार केंद्र भी बन रहे हैं।
    • इससे भारत में अनुसंधान एवं विकास की संस्कृति को बढ़ावा मिला है, जिससे नवीन प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ समाधानों का सृजन होता है।
    • बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा भारतीय कार्यबल में ज्ञान के प्रसार से न केवल नवाचार को बढ़ावा मिला है बल्कि अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति भी मज़बूत हुई है।
  • नौकरियों के परिदृश्य में बदलाव
    • GCC द्वारा पारंपरिक आईटी सेवाओं से परे विभिन्न क्षेत्रों में उच्च वेतन वाले रोज़गार सृजित किये जा रहे हैं। 
    • इस बदलाव से इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट एवं फाइनेंसियल एनालिस्ट सहित विभिन्न प्रतिभा समूहों के लोग इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। 
    • GCC से कॅरियर की बेहतर संभावनाएँ मिलने के साथ कुशल पेशेवरों के जीवन स्तर में समग्र रूप से सुधार हो रहा है। 
  • आईटी परिदृश्य का विकास: 
    • GCC से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग एवं बिग डेटा एनालिटिक्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में निवेश को प्रोत्साहन मिल रहा है। 
    • उन्नत तकनीकों पर ध्यान देने से भारत को वैश्विक आईटी सर्विस मार्केट में अग्रणी बनाने में सहायता मिली है। 
  • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि: 
    • GCC का उदय, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की क्षमताओं का परिचायक है। 
    • इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, भारत की प्रतिभा एवं लागत-दक्षता से संबंधित लाभों को तीव्रता से स्वीकार कर रही हैं। 
    • इससे विदेशी निवेश आकर्षित होने के साथ वैश्विक ज्ञान अर्थव्यवस्था में भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा मिल रहा है।

ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर/वैश्विक क्षमता केंद्र (GCCs):

  • परिचय:
    • ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जिन्हें ग्लोबल इन-हाउस सेंटर -GICs के रूप में भी जाना जाता है) विश्व भर के देशों में बहुराष्ट्रीय निगमों (MNC) द्वारा स्थापित रणनीतिक केंद्र हैं।
    • वैश्विक कॉर्पोरेट ढाँचे के तहत आंतरिक संस्थाओं के रूप में कार्य करते हुए ये केंद्र आईटी सेवाओं, अनुसंधान एवं विकास, ग्राहक सहायता तथा विभिन्न अन्य व्यावसायिक कार्यों सहित विशेष सेवाएँ प्रदान करते हैं।
  • GCC के उदहारण:
    • जनरल इलेक्ट्रिक (GE) द्वारा बंगलूरू में स्थापित GCC का उद्देश्य अपने विमानन एवं स्वास्थ्य सेवा व्यवसायों हेतु अनुसंधान एवं विकास तथा इंजीनियरिंग पर ध्यान केंद्रित करना है। 
    • नेस्ले द्वारा स्विट्ज़रलैंड के लॉज़ेन में स्थापित GCC का उद्देश्य अपने खाद्य तथा पेय ब्रांडों के विकास के साथ नवाचार को बढ़ावा देना है।
  • वर्तमान स्थिति:
    • वर्ष 2022-23 में 46 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बाज़ार मूल्य वाले लगभग 1,600 GCC से 1.7 मिलियन लोगों को रोज़गार प्राप्त करने में सहायता मिली। 
    • GCC के अंतर्गत व्यावसायिक और परामर्शी सेवाएँ सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला क्षेत्र हैं, जबकि भारत के सेवा निर्यात में इनकी हिस्सेदारी केवल 25% है।
    • पिछले चार वर्षों में इनकी 31% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) कंप्यूटर सेवाओं (16% सीएजीआर) और अनुसंधान और विकास सेवाओं (13% CAGR) से काफी आगे है।
  • GCC के लाभ:
    • लागत दक्षता: कम परिचालन लागत वाले देश में GCC की स्थापना करने से बहुराष्ट्रीय कंपनी को काफी बचत हो सकती है।
    • परिचालन दक्षता: GCC विशिष्ट कार्यों का संचालन कर सकते हैं, जिससे मुख्यालय के संसाधन मुक्त होकर अन्य प्रमुख व्यावसायिक रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
    • बाज़ार पहुँच: GCC स्थानीय बाज़ारों, ग्राहकों की प्राथमिकताओं और विनियामक वातावरण के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान कर सकते हैं, जिससे बहुराष्ट्रीय कंपनी को क्षेत्रीय सफलता के लिये अपने प्रस्तावों तथा रणनीतियों को अनुकूलित करने में मदद मिलेगी।
  • स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
    • GCC मेज़बान देश में उच्च-कौशल दक्षता वाली नौकरियों का सृजन करते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और ज्ञान आधार को बढ़ावा मिलता है।
    • ये मेज़बान देश के भीतर ज्ञान हस्तांतरण और प्रौद्योगिकी को अपनाने में योगदान देते हैं।
    • GCC अपने देश के कुशल कार्यबल और कारोबारी माहौल का प्रदर्शन करके विदेशी निवेश को बढ़ाने में उत्प्रेरक का कार्य भी कर सकते हैं।

निष्कर्ष

GCC का उदय वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाता है। अपनी बौद्धिक पूंजी का लाभ उठाकर, भारत एक सेवा प्रदाता से बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिये एक रणनीतिक भागीदार के रूप में परिवर्तित हो रहा है। इस प्रवृत्ति का भारत के आर्थिक विकास और वैश्विक तकनीकी परिदृश्य दोनों पर स्थायी प्रभाव पड़ने की संभावना है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) क्या हैं? GCC के उदय के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए प्रमुख परिवर्तनों की विवेचना कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सी उसकी प्रमुख विशेषता मानी जाती है? (2020) 

(a) यह मूलत: किसी सूचीबद्ध कंपनी में पूंजीगत साधनों द्वारा किया जाने वाला निवेश है।
(b) यह मुख्यत: ऋण सृजित न करने वाला पूंजी प्रवाह है।
(c) यह ऐसा निवेश है जिससे ऋण-समाशोधन अपेक्षित होता है।
(d) यह विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में किया जाने वाला निवेश है।

उत्तर: (b) 


प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2021)  

  1. विदेशी मुद्रा संपरिवर्तनीय बॉण्ड 
  2. कुछ शर्तों के साथ विदेशी संस्थागत निवेश  
  3. वैश्विक निक्षेपागार (डिपॉज़िटरी) प्राप्तियाँ  
  4. अनिवासी विदेशी जमा

उपर्युक्त में से किसे/किन्हें विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में सम्मिलित किया जा सकता है/किये जा सकते हैं?

(a) केवल 1, 2 और 3  
(b) केवल 3 
(c) केवल 2 और 4  
(d) केवल 1 और 4

उत्तर: (a) 


मेन्स:

प्रश्न. “WTO के अधिक व्यापक लक्ष्य और उद्देश्य वैश्वीकरण के युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रबंधन तथा प्रोन्नति करना है। परंतु (संधि) वार्ताओं की दोहा परिधि मृतोंमुखी प्रतीत होती है जिसका कारण विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेद है।'' भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस पर चर्चा कीजिये। (2016)

प्रश्न. यदि 'व्यापार युद्ध' के वर्तमान परिदृश्य में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू. टी. ओ.) को ज़िंदा बने रहना है, तो उसके सुधार के कौन-कौन से प्रमुख क्षेत्र हैं, विशेष रूप से भारत के हित को ध्यान में रखते हुए? (2018)