भारत की निर्यात क्षमता | 19 Apr 2023

प्रिलिम्स के लिये:

भारत का शीर्ष निर्यात ज़िला, मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (MITRA) पार्क, रूस-यूक्रेन युद्ध, उद्योग 4.0 प्रौद्योगिकियाँ, अंतरिक्ष, अर्द्धचालक, सौर ऊर्जा

मेन्स के लिये:

भारत में निर्यात क्षेत्र की स्थिति, निर्यात क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

भारत में गुजरात का जामनगर शीर्ष निर्यात ज़िला है। इसने वित्त वर्ष 2023 (जनवरी तक) में मूल्य के संदर्भ में भारत के निर्यात में लगभग 24% की भागीदारी की है। 

  • गुजरात में सूरत और महाराष्ट्र में मुंबई उपनगर दूरी के आधार पर क्रमशः दूसरे एवं तीसरे स्थान पर हैं, जिसने वित्त वर्ष 2023 में देश के निर्यात में लगभग 4.5% की भागीदारी की है।
  • शीर्ष 10 में अन्य ज़िले दक्षिण कन्नड़ (कर्नाटक), देवभूमि द्वारका, भरूच और कच्छ (गुजरात), मुंबई (महाराष्ट्र), कांचीपुरम (तमिलनाडु) एवं गौतम बुद्ध नगर (उत्तर प्रदेश) हैं।

Export-hubs

भारत में निर्यात क्षेत्र की स्थिति

  • व्यापार की स्थिति:  
    • वस्तु व्यापार घाटा, जो कि निर्यात और आयात के बीच का अंतर है, वर्ष 2022-23 में 39% से अधिक बढ़कर रिकॉर्ड 266.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि वर्ष 2021-22 में यह 191 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
    • वर्ष 2022-23 में व्यापारिक वस्तुओं का आयात 16.51% बढ़ा, जबकि व्यापारिक निर्यात 6.03% बढ़ा है।
      • हालाँकि सेवाओं में व्यापार अधिशेष के कारण कुल व्यापार घाटा वर्ष 2022-2023 में घटकर 122 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो वर्ष 2022 में 83.53 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

Export-Data

  • भारत के प्रमुख निर्यात के क्षेत्र:  
    • इंजीनियरिंग वस्तुएँ: वित्त वर्ष 2022 में 101 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के साथ इन्होंने निर्यात में 50% की वृद्धि दर्ज की है।
      • वर्तमान में भारत में सभी तरह के पंपों, उपकरणों, कार्बाइड, एयर कंप्रेशर्स, इंजन और जनरेटर के विनिर्माण से संबद्ध बहुराष्ट्रीय निगम रिकॉर्ड उच्च स्तर पर कारोबार कर रहे हैं और अधिकाधिक उत्पादन इकाइयों को भारत में स्थानांतरित कर रहे हैं।
    • कृषि उत्पाद: महामारी के बीच खाद्य की वैश्विक मांग की पूर्ति के लिये सरकार के प्रोत्साहन से कृषि निर्यात में उछाल आया है। भारत 9.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के चावल का निर्यात करता है, जो कृषि जिंसों में सबसे अधिक है।
    • वस्त्र एवं परिधान: वित्त वर्ष 2012 में भारत का वस्त्र एवं परिधान निर्यात (हस्तशिल्प सहित) 44.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा जो पिछले वर्ष की तुलना में 41% वृद्धि दर्शाता है।
  • फार्मास्यूटिकल्स और ड्रग्स: भारत मात्रा के हिसाब से दवाओं का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्त्ता है।
    • भारत, अफ्रीका की जेनरिक आवश्यकताओं के 50% से अधिक, अमेरिका की  जेनरिक मांग के लगभग 40% और यूके की सभी दवाओं के 25% की आपूर्ति करता है।
  • निर्यात क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ:
    • वित्त तक पहुँच: निर्यातकों के लिये किफायती और समय पर वित्त तक पहुँच महत्त्वपूर्ण है।
      • हालाँकि कई भारतीय निर्यातकों को उच्च ब्याज दरों, संपार्श्विक आवश्यकताओं और वित्तीय संस्थानों से विशेष रूप से लघु एवं मध्यम उद्यमों (SME) के लिये ऋण उपलब्धता की कमी के कारण वित्त प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • निर्यात का सीमित विविधीकरण: भारत का निर्यात कुछ क्षेत्रों में केंद्रित है, जैसे कि इंजीनियरिंग सामान, कपड़ा और फार्मास्यूटिकल्स, जो इसे वैश्विक मांग में उतार-चढ़ाव एवं बाज़ार के जोखिमों के प्रति संवेदनशील बनाता है। 
      • निर्यात का सीमित विविधीकरण भारत के निर्यात क्षेत्र के लिये एक चुनौती पेश करता है क्योंकि यह वैश्विक व्यापार गतिशीलता को बदलने के लिये अपने लचीलेपन को सीमित कर सकता है
    • बढ़ता संरक्षणवाद और विवैश्वीकरण: विश्व भर के देश बाधित वैश्विक राजनीतिक व्यवस्था (रूस-यूक्रेन युद्ध) और आपूर्ति शृंखला के शस्त्रीकरण के कारण संरक्षणवादी व्यापार नीतियों की ओर बढ़ रहे हैं, जो भारत की निर्यात क्षमताओं को कम कर रहा है।

आगे की राह 

  • अवसंरचना में निवेश: निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिये बेहतर अवसंरचना और लॉजिस्टिक्स महत्त्वपूर्ण हैं।  
    • भारत को परिवहन नेटवर्क, बंदरगाहों, सीमा शुल्क निकासी प्रक्रियाओं और निर्यात-उन्मुख बुनियादी ढाँचे जैसे निर्यात प्रोत्साहन क्षेत्रों तथा विशेष विनिर्माण क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता देनी चाहिये।  
    • यह परिवहन लागत को कम कर सकता है, आपूर्ति शृंखला दक्षता में सुधार कर सकता है और निर्यात क्षमताओं को बढ़ावा दे सकता है।
  • कौशल विकास और प्रौद्योगिकी को अपनाना: निर्यातोन्मुखी उद्योगों में कुशल श्रम की उपलब्धता बढ़ाने के लिये कौशल विकास कार्यक्रम लागू किये जाने चाहिये।
    • इसके अतिरिक्त स्वचालन, डिजिटलीकरण और उद्योग 4.0 प्रौद्योगिकियों जैसे प्रौद्योगिकी अपनाने को प्रोत्साहन और बढ़ावा देने से निर्यात क्षेत्र में उत्पादकता, प्रतिस्पर्द्धा एवं नवाचार को बढ़ावा मिल सकता है। 
  • संयुक्त विकास कार्यक्रमों की खोज: विवैश्वीकरण की लहर और धीमी वृद्धि के बीच निर्यात विकास का एकमात्र इंजन नहीं हो सकता है।
    • भारत मध्यम अवधि के विकास की बेहतर संभावनाओं के लिये अंतरिक्ष, सेमीकंडक्टर, सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में अन्य देशों के साथ संयुक्त विकास कार्यक्रमों का भी पता लगा सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निरपेक्ष तथा प्रति व्यक्ति वास्तविक GNP की वृद्धि आर्थिक विकास के उच्च स्तर का संकेत नहीं करती, यदि: (2018) 

(a) औद्योगिक उत्पादन कृषि उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रहता है।
(b) कृषि उत्पादन औद्योगिक उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रहता है।
(c) निर्धनता और बेरोज़गारी में वृद्धि होती है।
(d) निर्यात की अपेक्षा आयात तेज़ी से बढ़ता है।

उत्तर: (c)


प्रश्न. फरवरी 2006 से प्रभाव में आए SEZ अधिनियम, 2005 के कुछ निर्धारित उद्देश्य हैं। इस संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2010)

  1. अवसंरचना सुविधाओं का विकास।
  2. विदेशी स्रोतों से निवेश को बढ़ावा देना।
  3. केवल सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देना।

उपर्युक्त में से कौन-से इस अधिनियम के उद्देश्य हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


प्रश्न. "बंद अर्थव्यवस्था" एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसमें: (2011)

(a) मुद्रा की आपूर्ति पूरी तरह से नियंत्रित होती है।
(b) घाटे का वित्तपोषण होता है।
(c) केवल निर्यात होता है।
(d) न तो निर्यात और न ही आयात होता है।

उत्तर: (d)

स्रोत: द हिंदू