अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-रूस व्यापार
- 25 Oct 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:ब्रह्मोस मिसाइल, अभ्यास इंद्र, कामोव का -226, S-400 ट्रायम्फ। मेन्स के लिये:भारत-रूस व्यापार, भारत-रूस संबंधों में बदलते रुझान। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने डेटा जारी किया है जिसमें दर्शाया गया है कि रूस के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2022-23 के केवल पाँच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में 18,229.03 मिलियन अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है।
जाँच-परिणाम:
- अवलोकन:
- दोनों देशों के बीच कुल वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2021-22 में 13,124.68 मिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2020-21 में 8,141.26 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
- कोविड से पहले यह वर्ष 2019-20 में 10,110.68 मिलियन अमेरिकी डॉलर तथा 2018-19 में 8,229.91 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 2017-18 में 10,686.85 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
- रूस पिछले वर्ष अपने 25वें स्थान से बढ़कर अब भारत का सातवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
- अमेरिका, चीन, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इराक और इंडोनेशिया ऐसे छह देश थे जिन्होंने वर्ष 2022-23 के पहले पाँच महीनों के दौरान भारत के साथ व्यापार की उच्च मात्रा दर्ज की।
- कुल 18,229.03 अमेरिकी डॉलर में से रूस से भारत का आयात 17,236.29 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि मॉस्को को भारत का निर्यात केवल 992.73 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था, जिससे 16,243.56 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नकारात्मक व्यापार संतुलन बना रहा।
- आँकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत के कुल व्यापार में रूस की हिस्सेदारी वर्ष 2021-22 के 1.27% से बढ़कर 3.54% हो गई है। जबकि वर्ष 1997-98 में भारत के कुल व्यापार में रूस की हिस्सेदारी 2.1% थी, यह पिछले 25 वर्षों से 2% से नीचे है।
- दोनों देशों के बीच कुल वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2021-22 में 13,124.68 मिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2020-21 में 8,141.26 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
- ड्राइव:
- यह मुख्य रूप से रूस से तेल और उर्वरक के आयात में अचानक उछाल के कारण हुआ, यह वर्ष 2022 के पहले से ही बढ़ना शुरू हुआ था।
- पिछले वर्ष के समान महीनों की तुलना में तीन महीनों (जून में 561.1%, जुलाई में 577.63% और अगस्त में 642.68%) में 500% की वृद्धि हुई थी।
- पेट्रोलियम तेल और अन्य ईंधन वस्तुओं (खनिज ईंधन, खनिज तेल एवं उनके आसवन के उत्पाद, बिटुमिनस पदार्थ, खनिज मोम) में रूस से भारत के कुल आयात का 84% हिस्सा है।
- इस वर्ष रूस से कुल आयात में उर्वरक और ईंधन की हिस्सेदारी 91% से अधिक है।
- यह मुख्य रूप से रूस से तेल और उर्वरक के आयात में अचानक उछाल के कारण हुआ, यह वर्ष 2022 के पहले से ही बढ़ना शुरू हुआ था।
भारत-रूस संबंधों के विभिन्न पहलू:
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- शीत युद्ध के दौरान भारत और सोवियत संघ के बीच मज़बूत रणनीतिक, सैन्य, आर्थिक और राजनयिक संबंध थे। सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस को भारत के साथ घनिष्ठ संबंध विरासत में मिले, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों ने एक विशेष सामरिक संबंध साझा किये।
- हालांँकि पिछले कुछ वर्षों में खासकर पोस्ट-कोविड परिदृश्य में संबंधों में भारी गिरावट आई है। इसका सबसे बड़ा कारण रूस के चीन और पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध होना है, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में भारत के लिये कई भू-राजनीतिक मुद्दों को उत्पन्न कर दिया है।
- राजनीतिक संबंध:
- वर्ष 2019 में राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस के सर्वोच्च सम्मान - “ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल” प्रदान किया। रूस और भारत के बीच एक विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के विकास एवं रूसी तथा भारतीय लोगों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों के
- में उनके विशिष्ट योगदान के लिये प्रधानमंत्री को यह समान प्रदान किया गया था।
- दो अंतर-सरकारी आयोग स्तर की वार्षिक बैठकें होती हैं - पहली व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग (IRIGC-TEC) पर तथा दूसरी सैन्य-तकनीकी सहयोग (IRIGC-MTC) पर।
- व्यापारिक संबंध:
- दोनों देश वर्ष 2025 तक द्विपक्षीय निवेश को 50 अरब अमेरिकी डॉलर और द्विपक्षीय व्यापार को 30 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने पर ज़ोर दे रहे हैं।
- रक्षा और सुरक्षा संबंध:
- दोनों देश नियमित रूप से त्रि-सेवा अभ्यास 'इंद्र' आयोजित करते हैं।
- भारत और रूस के बीच संयुक्त सैन्य कार्यक्रमों में शामिल हैं:
- ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल कार्यक्रम
- 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू जेट कार्यक्रम
- सुखोई एसयू-30एमकेआई कार्यक्रम
- इल्यूशिन/एचएएल सामरिक परिवहन विमान
- KA-226T ट्विन-इंजन यूटिलिटी हेलीकॉप्टर
- कुछ युद्धपोत
- भारत द्वारा रूस से खरीदे/पट्टे पर लिये गए सैन्य हार्डवेयर में शामिल हैं:
- एस-400 ट्रायम्फ
- मेक इन इंडिया पहल के तहत भारत में बनेगी 200 कामोव Ka-226
- टी-90एस भीष्म
- आईएनएस विक्रमादित्य विमान वाहक कार्यक्रम
- परमाणु संबंध:
- कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KKNPP) भारत में बनाया जा रहा है।
- भारत और रूस दोनों बांग्लादेश में रूपपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना को स्थापित कर रहे हैं।
भारत के लिये रूस का महत्त्व:
- चीन को संतुलित करना: पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी आक्रमण ने भारत-चीन संबंधों को एक ऐसे मोड़ पर ला दिया है, इससे यह भी प्रदर्शित हुआ कि रूस, चीन के साथ तनाव को कम करने में योगदान दे सकता है।
- लद्दाख के विवादित क्षेत्र में गलवान घाटी में घातक झड़पों के बाद रूस ने रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक आयोजित की।
- आर्थिक जुड़ाव के उभरते नए क्षेत्र: हथियार, हाइड्रोकार्बन, परमाणु ऊर्जा और हीरे जैसे सहयोग के पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा आर्थिक जुड़ाव के नए क्षेत्रों के उभरने की संभावना है - खनन, कृषि-औद्योगिक और उच्च प्रौद्योगिकी,रोबोटिक्स, नैनोटेक, और बायोटेक।
- रूस के सुदूर पूर्व और आर्कटिक में भारत के पदचिह्नों का विस्तार होना तय है। इससे कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को भी बढ़ावा मिल सकता है।
- आतंकवाद का मुकाबला: भारत और रूस अफगानिस्तान के बीच की खाई को पाटने हेतु कार्य कर रहे हैं तथा दोनों देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने का आह्वान किया गया है।
- बहुपक्षीय मंचों पर समर्थन: इसके अतिरिक्त रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) की स्थायी सदस्यता के लिये भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है।
- रूस का सैन्य निर्यात: रूस भारत के लिये सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक रहा है। यहाँ तक कि वर्ष 2011-2015 की तुलना में पिछले पाँच साल की अवधि में भारत के हथियारों के आयात में रूस की हिस्सेदारी 50% से अधिक गिर गई।
- वैश्विक हथियारों के व्यापार पर नज़र रखने वाले स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में भारत ने रूस से 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर के हथियार आयात किये हैं।
आगे की राह
- रूस आने वाले दशकों तक भारत का प्रमुख रक्षा साझेदार बना रहेगा।
- दूसरी ओर रूस और चीन के बीच वर्तमान में एक अर्द्ध-गठबंधन व्यवस्था है। रूस बार-बार दोहराता रहा है कि वह खुद को किसी के कनिष्ठ साझेदार के रूप में नहीं देखता है। इसलिये रूस चाहता है कि भारत एक संतुलनकर्त्ता की तरह कार्य करे।
- दोनों देश इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि वे तीसरे देशों को रूसी उपकरणों और सेवाओं के निर्यात के लिये भारत को उत्पादन आधार के रूप में उपयोग करने में कैसे सहयोग कर सकते हैं।
- इसे संबोधित करने के लिये रूस ने 2019 में हस्ताक्षरित एक अंतर-सरकारी समझौते के बाद इसके लिये अपनी कंपनियों को भारत में संयुक्त उद्यम स्थापित करने की अनुमति देते हुए विधायी परिवर्तन किये हैं।
- इस समझौते को समयबद्ध तरीके से कार्यान्वित करने की ज़रूरत है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विगत वर्ष के प्रश्न:प्रीलिम्सप्रश्न. हाल ही में भारत ने निम्नलिखित में से किस देश के साथ 'परमाणु क्षेत्र में सहयोग की प्राथमिकता और कार्यान्वयन के लिये कार्ययोजना' नामक एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं? (2019) (a) जापान उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न. भारत-रूस रक्षा समझौते पर भारत-अमेरिका रक्षा समझौते का क्या महत्त्व है? हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के संदर्भ में चर्चा कीजिये। (2020) |