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गाम्बिया में भारत निर्मित सिरप और मौतें

  • 08 Oct 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

WHO, डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल, CDSCO, DGCI

मेन्स के लिये:

भारत में ड्रग रेगुलेटरी नॉर्म्स।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चार भारतीय निर्मित कफ सिरप के बारे में अलर्ट जारी किया, जो छोटे से पश्चिम अफ्रीकी राष्ट्र गाम्बिया में बच्चों में तीव्र गुर्दे की चोट और 66 मौतों से जुड़ा हुआ है।

  • इन उत्पादों में से प्रत्येक के नमूनों के WHO द्वारा किये गए विश्लेषण में "दूषित पदार्थों के रूप में डायथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकॉल की अस्वीकार्य मात्रा" की उपस्थिति की पुष्टि की गई थी। भोजन या दवाओं में इन सामग्रियों की अनुमति नहीं है, क्योंकि वे पेट दर्द, उल्टी, दस्त, सिरदर्द, गंभीर गुर्दे की चोट और न्यूरोलॉजिकल विषाक्तता का कारण बन सकते हैं।
  • कंपनी ने कहा कि ये भारत में नहीं बेचे गए थे और केवल निर्यात बाज़ारों के लिये हैं जो पहले से ही भारत के औषधि महानियंत्रक (DGCI) द्वारा अनुमोदित हैं।

DGCI

सिरप भारत में क्यों नहीं बेचे जाते हैं?

  • भारत ने अपनी निलंबन प्रकृति के कारण 2020 में सिरप को चरणबद्ध रूप से समाप्त कर दिया (निलंबन में दवा के कण पूरी तरह से विलायक में घुलते नहीं हैं)।
    • सिरप में सक्रिय दवा सामग्री (API) विलायक में पूरी तरह मिश्रित होती है, जबकि निलंबन में API कणों को विलायक में समान रूप से निलंबित कर दिया जाता है।
  • चार सिरप में निहित सक्रिय दवा सामग्री (API) जैसे पैरासिटामोल और अन्य, पानी में घुलनशील नहीं होते हैं इसलिये प्रोपलीन ग्लाइकाॅल जैसे क्षार विलायक की आवश्यकता होती है।
    • प्रोपलीन ग्लाइकाॅल दो किस्मों में उपलब्ध है, एक प्रकार औद्योगिक उपयोग के लिये है, दूसरा दवा उपयोग के लिये है। लागत बचाने के लिये कुछ कंपनियाँ औद्योगिक प्रोपलीन ग्लाइकाॅल का उपयोग करती हैं जिसमें डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल संदूषक के रूप में हो सकते हैं, जो न्यूरोलॉजिकल विषाक्तता एवं अन्य जटिलताओं को जन्म देते हैं तथा इस प्रकार बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं।

भारत में इससे संबंधित अधिनियम:

  • औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम:
    • औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 और 1945 ने दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों के विनियमन के लिये केंद्र और राज्य नियामकों को विभिन्न जिम्मेदारियाँ सौंपी हैं।
    • यह आयुर्वेदिक, सिद्ध, यूनानी दवाओं के निर्माण के लिये लाइसेंस जारी करने के लिये नियामक दिशानिर्देश प्रदान करता है।
    • निर्माताओं के लिये सुरक्षा और प्रभावशीलता के प्रमाण, अच्छी विनिर्माण प्रथाओं (GMP) के अनुपालन सहित विनिर्माण इकाइयों और दवाओं के लाइसेंस के लिये निर्धारित आवश्यकताओं का पालन करना अनिवार्य है।
    • निर्माताओं को विनिर्माण इकाइयों और दवा उत्पाद अनुमोदनों के संबंध में कुछ आवश्यकताओं का पालन करना चाहिये, जिसमें सुरक्षा एवं प्रभावकारिता का प्रमाण तथा अच्छी विनिर्माण प्रथाओं (GMP) का पालन शामिल है।
  • केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन(CDSCO)
    • यह देश में दवाओं, सौंदर्य प्रसाधन, निदान और उपकरणों की सुरक्षा, प्रभावकारिता तथा गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये मानकों एवं उपायों को निर्धारित करती है।
    • नई दवाओं और नैदानिक परीक्षण मानकों के बाज़ार प्राधिकरण को नियंत्रित करती है।
    • दवा आयात का पर्यवेक्षण करती है और उपर्युक्त उत्पादों के निर्माण के लिये लाइसेंसों को मंज़ूरी देती है।
    • CDSCO भारत में दवाओं के निर्यात को नियंत्रित करती है, CDSCO से प्रमाणीकरण वाला कोई भी निर्माता भारत के बाहर दवाओं का निर्यात कर सकता है।
  • भारत का औषधि महानियंत्रक (Drugs Controller General of India-DGCI):
    • DCGI, भारत सरकार के CDSCO के विभाग का प्रमुख है, जो भारत में रक्त और रक्त उत्पादों, IV तरल पदार्थ तथा टीके जैसी विशिष्ट श्रेणियों की दवाओं के लाइसेंस के अनुमोदन के लिये ज़िम्मेदार है।
    • DCGI भारत में दवाओं के निर्माण, बिक्री, आयात और वितरण के लिये मानक भी निर्धारित करता है।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

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