नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

भारत का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट

  • 02 Jul 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट, सौर पैनल्स

मेन्स के लिये:

फ्लोटिंग सोलर पैनल के लाभ और चुनौतियाँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 100 मेगावाट की रामागुंडम फ्लोटिंग सोलर पीवी प्रोजेक्ट अर्थात् तैरती सौर ऊर्जा परियोजना के वाणिज्यिक संचालन की अंतिम 20 मेगावाट की घोषणा की गई है।

  • इसके साथ ही तेलंगाना में 100 मेगावाट की रामागुंडम फ्लोटिंग सोलर पीवी परियोजना को 1 जुलाई, 2022 से चालू घोषित किया गया है।
  • यह भारत में अपनी तरह की सबसे बड़ी परियोजना है।

फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट:

  • ये फोटोवोल्टिक (Photovoltaic-PV) मॉड्यूल होते हैं जो प्लेटफाॅर्मों पर लगे होते हैं तथा जलाशयों, झीलों पर तैरते हैं जहाँ की स्थितियाँ समुद्र और महासागर जैसी होती हैं।
  • इन प्लेटफॅार्मों को आमतौर पर तालाबों, झीलों या जलाशयों जैसे पानी के शांत निकायों पर लगाया जाता है।
  • इन सोलर पैनल का निर्माण अपेक्षाकृत जल्दी होता है और इन्हें स्थापित करने के लिये भूमि को समतल करने या वनस्पति को हटाने की आवश्यकता नहीं होती है।

Floating-Solar-Power-Project

रामागुंडम परियोजना की मुख्य विशेषताएँ:

यह उन्नत तकनीक और पर्यावरण के अनुकूल सुविधाओं से संपन्न है।

यह परियोजना जलाशय के 500 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है जो 40 ब्लॉकों में विभाजित है तथा प्रत्येक ब्लॉक की क्षमता 2.5 मेगावाट है।

प्रत्येक ब्लॉक में एक फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म और 11,200 सौर मॉड्यूल की एक सारणी होती है।

यह परियोजना जलाशय के 500 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है जो 40 ब्लॉकों में विभाजित है तथा प्रत्येक ब्लॉक  की क्षमता 2.5 मेगावाट है।

  • संपूर्ण फ्लोटिंग सिस्टम को विशेष प्रकार के हाईमॉड्यूल्स पॉलीइथाइलीन (HMPE) रस्सी के माध्यम से संतुलित रूप से जलाशय में स्थापित किया गया है।
  • यह परियोजना इस मायने में अनूठी है कि इन्वर्टर, ट्रांसफॉर्मर, एचटी पैनल और पर्यवेक्षी नियंत्रण तथा डेटा अधिग्रहण (SCADA) सहित सभी विद्युत उपकरण फ्लोटिंग फेरो सीमेंटेड प्लेटफॉर्म पर ही उपलब्ध होते हैं

परियोजना के पर्यावरणीय लाभ:

  • सीमित भूमि की आवश्यकता:
    • पर्यावरणीय दृष्टिकोण से सबसे स्पष्ट लाभ भूमि की न्यूनतम आवश्यकता है जो ज़्यादातर संबद्ध निकासी व्यवस्था के लिये है।
  • कम जल वाष्पीकरण दर:
    • इसके अलावा फ्लोटिंग सौर पैनलों की उपस्थिति के साथ जल निकायों से वाष्पीकरण दर कम हो जाती है, इस प्रकार जल संरक्षण में मदद मिलती है।
    • लगभग 32.5 लाख घन मीटर जल को प्रिवर्ष वाष्पीकरण से बचाया जा सकता है।
  • CO2 उत्सर्जन कम करने में कुशल:
    • सौर मॉड्यूल के नीचे का जल निकाय उनके परिवेश के तापमान को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे उनकी दक्षता और उत्पादन में सुधार होता है। इसी तरह प्रतिवर्ष 1,65,000 टन कोयले की खपत को रोका जा सकता है; जिससे प्रतिवर्ष 2,10,000 टन CO2 के उत्सर्जन से बचा जा सकता है।

संबंधित चुनौतियांँ:

  • स्थापित करने में महंँगा:
    • पारंपरिक पीवी सिस्टम की तुलना में फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाने के लिये अधिक धन की आवश्यकता होती है।
    • मुख्य कारणों में से एक यह है कि प्रौद्योगिकी अपेक्षाकृत नई है, इसलिये विशेष ज्ञान और उपकरणों की आवश्यकता होती है।
      • हालाँकि जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ती है, इसकी स्थापना लागत में भी कमी आने की उम्मीद होती है।
  • सीमित अनुप्रयोग:
    • कई अस्थायी सौर प्रतिष्ठान बड़े पैमाने पर हैं और वे बड़े समुदायों, कंपनियों या उपयोगिता कंपनियों को विद्युत प्रदान करते हैं।
    • इसलिये रूफटॉप इंस्टॉलेशन या ग्राउंड-माउंटेड सोलर चुनना अधिक व्यावहारिक है।
  • वाटर-बेड स्थलाकृति की समझ:
    • फ्लोटिंग सौर परियोजनाओं को विकसित करने के लिये वाटर-बेड टोपोग्राफी और फ्लोट्स हेतु लंगर स्थापित करने की उपयुक्तता की गहन समझ की आवश्यकता होती है।

अन्य सौर ऊर्जा पहल:

  • सौर पार्क योजना:
    • कई राज्यों में लगभग 500 मेगावाट की क्षमता वाले कई सौर पार्क बनाने की योजना है।
  • रूफटॉप सौर योजना:
    • घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा का दोहन करना।
  • अटल ज्योति योजना (AJAY):
    • अटल ज्योति योजना (AJAY) अजय योजना सितंबर 2016 में उन राज्यों में सौर स्ट्रीट लाइटिंग (SSL) सिस्टम की स्थापना के लिये शुरू की गई थी, जहाँ ग्रिड पावर 50% से कम घरों (2011 की जनगणना के अनुसार) को उपलब्ध हो पाई थी।

स्रोत: पी.आई.बी.

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow