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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत-जापान के बीच चिप आपूर्ति शृंखला साझेदारी

  • 27 Oct 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला साझेदारी, एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेज़ (AMD), G20

मेन्स के लिये:

भारत की आर्थिक वृद्धि और विकास में अर्द्धचालक(सेमीकंडक्टर) आपूर्ति शृंखला का महत्त्व और प्रभाव

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सेमीकंडक्टर/अर्द्धचालक आपूर्ति शृंखला साझेदारी के विकास पर भारत और जापान के बीच सहयोग ज्ञापन ( Memorandum of Cooperation- MoC) को मंज़ूरी दी है।

  • बीते कुछ समय से भारत अर्द्धचालक आपूर्ति के क्षेत्र में अपनी विश्वसनीय उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास कर रहा है, विशेषकर ऐसे समय में जब बहुत सारी कंपनियाँ सेमीकंडक्टर के लिये चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रही हैं, जो कि काफी लंबे समय से इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्पादन का केंद्र रहा है।

सहयोग ज्ञापन का महत्त्व:

  • भारत-जापान के बीच सेमीकंडक्टर क्षेत्र में सहयोग:
    • सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला में भारत-जापान के बीच सहयोग ज्ञापन (MoC) उद्योग और डिजिटल प्रगति की दिशा में सेमीकंडक्टर के महत्त्व को चिह्नित करता है।
    • इस सहयोग ज्ञापन पर सर्वप्रथम जुलाई में भारत के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्रालय के बीच हस्ताक्षर किये गए थे।
  • भारत की महत्त्वाकांक्षाएँ:
    • इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के साथ भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला में एक विश्वसनीय अभिकर्त्ता के रूप में उभरने की ओर अग्रसर है, खासकर जब विभिन्न विदेशी कंपनियाँ कोविड महामारी के बाद से चीन पर निर्भरता के विकल्प तलाश रही हैं।
    • भारत ने स्थानीय चिप उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये 10 अरब डॉलर की योजना शुरू की है, जिसमें माइक्रोन टेक्नोलॉजी जैसी कंपनियाँ गुजरात में असेंबलिंग और पैकेजिंग केंद्र की स्थापना का कार्य शुरू कर चुकी हैं।
  • सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत-अमेरिका सहयोग:
    • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका सेमीकंडक्टर चिप आपूर्ति शृंखला को मज़बूत बनाने के लिये परस्पर सहयोग कर रहे हैं। दोनों देशों ने लचीली वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला के निर्माण के लिये अपनी वचनबद्धता की पुष्टि की है
  • भारत द्वारा सेमीकंडक्टर क्षेत्र में किये जाने वाले प्रमुख निवेश:
    • माइक्रोचिप टेक्नोलॉजी और AMD जैसी अमेरिकी चिप कंपनियाँ अपने परिचालन का विस्तार करने तथा अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित करने के लिये भारत में लाखों डॉलर का निवेश कर रही हैं।
    • इसके अतिरिक्त लैम रिसर्च एंड एप्लाइड मटेरियल्स भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र में इंजीनियरिंग और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में पर्याप्त निवेश की योजना तैयार कर रहा है।

सेमीकंडक्टर/अर्द्धचालक:

  • अर्द्धचालक एक ऐसी सामग्री है जिसमें सुचालक (आमतौर पर धातु) और कुचालक या ऊष्मारोधी (जैसे- अधिकांश सिरेमिक) के बीच चालन की क्षमता होती है। 
  • सेमीकंडक्टर का उपयोग डायोड, ट्रांज़िस्टर और एकीकृत सर्किट सहित विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में किया जाता है।
  • कॉम्पैक्टनेस (आकार में काफी छोटे होने), विश्वसनीयता, ऊर्जा दक्षता और कम लागत के कारण ऐसे उपकरणों के काफी व्यापक अनुप्रयोग हैं।
  • इनका उपयोग सॉलिड-स्टेट लेज़र, विद्युत उपकरणों और ऑप्टिकल सेंसर तथा प्रकाश उत्सर्जकों में अलग-अलग घटकों के रूप में किया जाता है।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM):

  • परिचय:
    • ISM को वर्ष 2021 में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तत्त्वावधान में कुल 76,000 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था।
    • यह देश में स्थायी अर्द्धचालक और प्रदर्शन पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिये व्यापक कार्यक्रम का हिस्सा है।
    • इस कार्यक्रम का उद्देश्य अर्द्धचालक, डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग और डिज़ाइन इकोसिस्टम में निवेश करने वाली कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
  • घटक:
    • भारत में सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करने के लिये योजना:
      • यह सेमीकंडक्टर फैब की स्थापना के लिये पात्र आवेदकों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है जिसका उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर वफर फैब्रिकेशन सुविधाओं की स्थापना हेतु बड़े निवेश को आकर्षित करना है।
    • भारत में डिस्प्ले फैब स्थापित करने के लिये योजना:
      • यह योजना डिस्प्ले फैब की स्थापना के लिये पात्र आवेदकों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिसका उद्देश्य देश में TFT एलसीडी/AMOLED आधारित डिस्प्ले फैब्रिकेशन सुविधाओं की स्थापना के लिये बड़े निवेश को आकर्षित करना है।
    • भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर फैब और सेमीकंडक्टर असेंबलिंग, टेस्टिंग, मार्किंग एवं पैकेजिंग (एटीएमपी)/ओएसएटी सुविधाओं की स्थापना के लिये योजना: 
      • यह योजना भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स/सिलिकॉन फोटोनिक्स (एसआईपीएच)/सेंसर (एमईएमएस सहित) फैब और सेमीकंडक्टर एटीएमपी/ओएसएटी (आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट) केंद्रों की स्थापना के लिये पात्र आवेदकों को पूंजीगत व्यय के 30% की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। 
    • डिज़ाइन लिंक्ड प्रोत्साहन (DLI) योजना:
      • यह इंटीग्रेटेड सर्किट (IC), चिपसेट, सिस्टम ऑन चिप्स (एसओसी), सिस्टम और IP कोर तथा सेमीकंडक्टर लिंक्ड डिज़ाइन के विकास एवं तैनाती के विभिन्न चरणों में बुनियादी ढाँचा व वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है।

भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण संबंधी चुनौतियाँ:

  • सेमीकंडक्टर फैब की स्थापना की लागत काफी अधिक:  
    • एक अर्द्धचालक निर्माण केंद्र (जिसे फैब भी कहा जाता है) को अपेक्षाकृत छोटे पैमाने पर भी स्थापित करने में कम-से-कम कई अरब डॉलर की लागत आ सकती है और यह नवीनतम प्रौद्योगिकी से एक या दो पीढ़ी पीछे भी है।
  • उच्च निवेश:  
    • सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण एक अत्यंत ही जटिल तथा प्रौद्योगिकी-गहन क्षेत्र है जिसमें भारी पूंजी निवेश, उच्च जोखिम, लंबी भुगतान अवधि तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेज़ी से हो रहे दैनंदिन बदलाव शामिल हैं, जिसके लिये निरंतर व काफी बड़े निवेश की आवश्यकता होती है।
  • सरकार से न्यूनतम वित्तीय सहायता:
    • वर्तमान में सेमीकंडक्टर उद्योग के विभिन्न उप-क्षेत्रों में विनिर्माण क्षमता स्थापित करने में लगने वाले आवश्यक निवेश हेतु सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता बहुत कम है।
  • निर्माण क्षमताओं का अभाव:
    • भारत उन्नत चिप डिज़ाइन की प्रतिभा से युक्त है किंतु इसने कभी भी अपना उपयोग पूर्ण रूप से नहीं किया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की स्वयं की फैब फाउंड्री हैं, किंतु वे मुख्य रूप से उनकी अपनी आवश्यकताओं के लिये हैं तथा विश्व में मौजूद नवीनतम फैब फाउंड्री जितनी परिष्कृत नहीं हैं।
    • भारत में केवल एक ही फैब है जो पंजाब के मोहाली में स्थित है।
  • अपर्याप्त  संसाधन: 
    • चिप  फैब्स इकाइयों की संसाधन खपत बहुत अधिक होती है जिनके लिये लाखों लीटर साफ जल, स्थिर बिजली आपूर्ति, बड़ा भू क्षेत्र और अत्यधिक कुशल कार्यबल की आवश्यकता होती है। 

आगे की राह 

  • सभी तत्त्वों के लिये लगातार राजकोषीय समर्थन: 
    • भारत की पर्याप्त प्रतिभा और अनुभव को देखते हुए नए मिशन को कम-से-कम कुछ समय के लिये चिप-निर्माण शृंखला हेतु वित्तीय सहायता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये, जिसमें डिज़ाइन केंद्र, परीक्षण सुविधाएँ, पैकेजिंग आदि शामिल हैं।
  • आत्मनिर्भरता बनना:
    • भविष्य में चिप उत्पादन केवल एक कदम मात्र ही नहीं होना चाहिये बल्कि इसके डिज़ाइन से लेकर निर्माण, पैकिंग और परीक्षण तक एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जाना चाहिये। भारत को भी इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास कार्य में सुधार करना चाहिये जहाँ वर्तमान में इसकी कमी है।
  • सहयोग:
    • अमेरिका के अलावा भारत को घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आयात निर्भरता को कम करने के लिये ताइवान या अन्य तकनीकी रूप से उन्नत मित्र राष्ट्रों जैसे अन्य देशों के साथ सहयोग करने के समान अवसर तलाशने चाहिये ।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न. भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2018)

  1. फोटोवोल्टिक इकाइयों में प्रयोग होने वाले सिलिकॉन वेफर्स के निर्माण में भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा देश है। 
  2. सौर ऊर्जा शुल्क भारतीय सौर ऊर्जा निगम द्वारा निर्धारित किये जाते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

 (A) केवल 1
 (B) केवल 2
 (C) 1 और 2 दोनों 
 (D) न तो 1 और न ही 2

 उत्तर: (D)


प्रश्न. निम्नलिखित में से किस लेज़र प्रकार का उपयोग लेज़र प्रिंटर में किया जाता है? (वर्ष 2008)

(a) डाई लेज़र
(b) गैस लेज़र
(c) सेमीकंडक्टर लेज़र
(d) एक्साइमर लेज़र

उत्तर: (C)

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