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शासन व्यवस्था

इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर रिपोर्ट 2023

  • 07 Dec 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

शहरी नियोजन, शहरी स्थानीय निकाय, नगर निगम बॉण्ड, इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर रिपोर्ट, शहरी ताप द्वीप 

मेन्स के लिये:

भारत के शहरी क्षेत्र से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ, शहरी विकास से संबंधित हालिया पहल

स्रोत: पी.आई.बी. 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शहरी नियोजन और विकास पर भारत इंफ्रास्ट्रक्चर रिपोर्ट (IIR) 2023 जारी की गई, यह एक व्यापक दस्तावेज़ है जो देश में बुनियादी ढाँचे की योजना, वित्त एवं शासन के विभिन्न पहलुओं को शामिल करता है।

  • IIR 2023 IDFC फाउंडेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (कर्नाटक) लिमिटेड (iDeCK) तथा राष्ट्रीय नगर कार्य संस्थान (National Institute of Urban Affairs- NIUA) का एक सहयोगात्मक प्रयास रहा है।

नोट:

  • IDFC फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत में सामाजिक बुनियादी ढाँचे, अनुसंधान तथा वकालत का समर्थन करता है
    • यह रिपोर्ट तथा शोध प्रकाशित करता है जो बुनियादी ढाँचे के विकास हेतु नवीन अंतर्दृष्टि एवं समाधान प्रदान करता है।
  • iDeCK कर्नाटक सरकार, IDFC फाउंडेशन तथा HDFC का एक संयुक्त उद्यम है जो सतत् बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं पर कार्य करता है। यह IDFC फाउंडेशन एवं ICAP ट्रस्ट के माध्यम से अनुसंधान व क्षमता निर्माण गतिविधियों का समर्थन करता है।

इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? 

  • शहरी चुनौतियों पर विषयगत फोकस:
    • IIR उन प्रमुख विषयों का व्यवस्थित रूप से समाधान करता है जो भारत की शहरी चुनौतियों के केंद्र में हैं।
      • इनमें योजना और शासन, स्मार्ट पहल, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) तथा  वित्तपोषण, आवास एवं प्रवासन, सार्वजनिक सेवा वितरण, बुनियादी ढाँचे का एकीकरण और शहरी पुनर्विकास शामिल हैं।
  • योजना तंत्र की समीक्षा:
    • शहरों को "आवास के योग्य (Unlivable)" बनाने और मलिन बस्तियों के उद्भव में योगदान देने के लिये मौजूदा योजना तंत्र, विशेष रूप से भवन निर्माण पर प्रतिबंधों की आलोचना की गई है।
      • शहरी चुनौतियों में एक प्रमुख कारक के रूप में खराब योजना की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।
  • लो फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) और अव्यवस्थित शहरी विस्तार:
    • उच्च-घनत्व विकास और शहरी विस्तार (शहरों एवं कस्बों की अविकसित भूमि पर तेज़ी से विस्तार) पर लो फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) या फ्लोर एरिया अनुपात (FAR) के प्रभाव को रेखांकित करता है।
      • लो फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) का मतलब है कि प्लॉट का एक छोटा क्षेत्र विकसित किया जाएगा। यह एक भूखंड पर अधिकतम स्वीकार्य निर्माण घनत्व निर्धारित करने के लिये शहरी नियोजन में उपयोग किया जाने वाला एक पैरामीटर है।
    • यह कम FSI को मलिन बस्तियों के निर्माण से जोड़ता है, जिसमें नियोजन त्रुटियों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, इससे जनसंख्या घनत्व बढ़ जाता है।
      • इस रिपोर्ट के अनुसार, शहरों को पुनर्विकास नीति को अपनाना चाहिये, जिसमें उच्च फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) और बेहतर सड़क कनेक्टिविटी के बदले निजी मालिकों से भूमि की पुनर्प्राप्ति पर बल दिया गया है।
      • साथ ही यह गतिशील शहरों के निर्माण की वकालत करती है जिसमें शहरों के विकास के साथ-साथ वहन क्षमता में भी वृद्धि की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
    • शहरी स्थानीय निकायों का वित्तीय प्रबंधन:
      • इस रिपोर्ट में शहरी स्थानीय निकायों के वित्तीय प्रबंधन के विश्लेषण पर प्रकाश डालते हुए वित्तीय स्थायित्व की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है।
      • रिपोर्ट में PPP और नगरपालिका बंधपत्र (बॉण्ड) को शहरी विकास पहलों के वित्तपोषण के लिये महत्त्वपूर्ण उपकरणों के रूप में प्रचारित किया गया है।
        • रिपोर्ट के अनुसार, सड़कों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों और ऊर्जा क्षेत्र में PPP में भारत अग्रणी रहा है, वहीं शहरी क्षेत्र में PPP की कम भागीदारी देखी गई है।

इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर रिपोर्ट (IIR):

  • IIR 2023 में भारत में शहरी विकास की वर्तमान स्थिति पर शहरी विकास एवं नीति पारिस्थितिकी तंत्र के 25 अध्याय शामिल हैं।
  • वार्षिक रूप से प्रकाशित होने वाली यह रिपोर्ट बुनियादी ढाँचे के विकास से संबंधित समसामयिक विषयों से संबद्ध विधिक, राजकोषीय, विनियामक, तकनीकी, सामाजिक तथा वैचारिक पहलुओं की पहचान एवं विश्लेषण करने में सहायक रही है।
  • यह शहरी नीति तैयार करने में शामिल लोगों के साथ-साथ भारत के बुनियादी ढाँचे व शहरीकरण के विकास में रुचि रखने वालों, जैसे- नीति निर्माताओं, निवेशकों, शिक्षाविदों, फाइनेंसर एवं बहुपक्षीय एजेंसियों के लिये एक अमूल्य संसाधन है।

भारत में वर्तमान शहरी परिदृश्य क्या है?

  • भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इसके विकास को शहरों से गति मिलती है।
  • भारत में शहरीकरण की गति अपेक्षाकृत धीमी रही है, आधिकारिक तौर पर 2001-2011 तक वर्गीकृत शहरी बस्तियों में रहने वाली आबादी का हिस्सा प्रतिवर्ष केवल 1.15% से अधिक की दर से बढ़ा है।
  • भारत के सात सबसे बड़े महानगरीय क्षेत्र मुंबई, दिल्ली, बंगलूरू, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद और अहमदाबाद हैं।

शहरी विकास से जुड़ी पहलें क्या हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. कई वर्षों से उच्च तीव्रता की वर्षा के कारण शहरों में बाढ़ की बारंबारता बढ़ रही है। शहरी क्षेत्रों में बाढ़ के कारणों पर चर्चा करते हुए इस प्रकार की घटनाओं के दौरान जोखिम को कम करने की तैयारियों की क्रियाविधि पर प्रकाश डालिये। (2016)

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