अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत और खाड़ी देश
- 07 Jun 2022
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:व्यापार समझौतों के प्रकार, भारत और खाड़ी देश। मेन्स के लिये:भारत और उसके पड़ोसी, द्विपक्षीय समूह और समझौते, भारत-खाड़ी संबंधों का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के उपराष्ट्रपति ने कतर का दौरा किया, जो खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों (बहरीन, कुवैत, कतर, ओमान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात) में से एक है, जहाँ उन्होंने भारत-कतर के बीच मज़बूत संबंधों पर प्रकाश डाला और एक सक्षम वातावरण के निर्माण एवं पारस्परिक लाभ के लिये सहयोग बनाए रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
उपराष्ट्रपति की कतर यात्रा की मुख्य विशेषताएँ:
- भारत-कतर स्टार्टअप ब्रिज:
- उपराष्ट्रपति ने "भारत-कतर स्टार्टअप ब्रिज" का शुभारंभ किया जिसका उद्देश्य दोनों देशों के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को जोड़ना है।
- 70,000 से अधिक पंजीकृत स्टार्टअप के साथ भारत वैश्विक स्तर पर स्टार्टअप के लिये तीसरे सबसे बड़े पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में उभरा है।
- भारत में 100 यूनिकॉर्न हैं, जिनका कुल मूल्यांकन 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
- उपराष्ट्रपति ने "भारत-कतर स्टार्टअप ब्रिज" का शुभारंभ किया जिसका उद्देश्य दोनों देशों के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को जोड़ना है।
- पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन:
- भारत पर्यावरण की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिये निरंतर प्रयास कर रहा है।
- उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की स्थापना और अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने में भारत के नेतृत्त्वकर्त्ता की भूमिका का भी उल्लेख किया।
- उन्होंने कतर को अपनी ऊर्जा सुरक्षा में भारत के विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थिरता के लिये इस यात्रा में भागीदार बनने और ISA में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया।
- व्यापार मंडलों के बीच संयुक्त व्यापार परिषद:
- उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत और कतर के व्यापार मंडलों के बीच एक संयुक्त व्यापार परिषद की स्थापना की गई है जो निवेश पर एक संयुक्त कार्य बल के माध्यम से निवेश को बढ़ावा देगा।
- उन्होंने नए और उभरते अवसरों का दोहन करने के लिये दोनों पक्षों के व्यवसायों को मार्गदर्शन व सहायता हेतु साझेदारी करने के लिये इन्वेस्ट इंडिया एवं कतर इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एजेंसी की भी सराहना की।
- बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग:
- उन्होंने अंतर संसदीय संघ (IPU), एशियाई संसदीय सभा और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर भारत और कतर के बीच अधिक सहयोग का आह्वान किया।
खाड़ी क्षेत्र का भारत के लिये महत्त्व:
- भारत के ईरान जैसे देशों के साथ सदियों से अच्छे संबंध रहे हैं, जबकि प्राकृतिक गैस समृद्ध राष्ट्र कतर इस क्षेत्र में भारत के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है।
- भारत के अधिकांश खाड़ी देशों के साथ अच्छे संबंध रहे हैं।
- संबंधों के दो सबसे महत्त्वपूर्ण कारण तेल और गैस तथा व्यापार हैं।
- दो अतिरिक्त कारण खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीयों की बड़ी संख्या और उनके द्वारा घर वापस भेजे जाने वाले प्रेषण हैं।
भारत का इस क्षेत्र के देशों के साथ व्यापार:
- संयुक्त अरब अमीरात:
- संयुक्त अरब अमीरात वर्ष 2021-2022 में भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, और यदि आयात और निर्यात को अलग-अलग देखा जाये तो, निर्यात (28 बिलियन अमेरीकी डाॅलर) तथा आयात (45 बिलियन अमेरीकी डाॅलर) दोनों के लिये दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
- कुल व्यापार के संदर्भ में संयुक्त अरब अमीरात (72.9 बिलियन अमेरीकी डाँलर) संयुक्त राज्य अमेरिका (1.19 ट्रिलियन अमेरीकी डाॅलर) और चीन (1.15 ट्रिलियन अमेरीकी डाॅलर) के पीछे था।
- संयुक्त अरब अमीरात के साथ व्यापार पिछले वित्त वर्ष में भारत के कुल निर्यात का 6.6% और आयात का 7.3% था, जो पिछले वर्ष से 68.4% अधिक था जब अंतर्राष्ट्रीय व्यापार महामारी से प्रभावित हुआ था।
- सऊदी अरब:
- वर्ष 2021-22 में 42.9 अरब डॉलर के साथ, सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
- सऊदी अरब के साथ भारत का निर्यात 8.76 बिलियन अमेरिकी डॉलर (भारत के कुल निर्यात का 2.07%) तक कम हो गया, वहीं चौथे सबसे बड़े देश के रूप में आयात 34.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 50% अधिक था।
- इराक:
- यह वर्ष 2021-22 में 34.3 अरब डॉलर के साथ भारत का पांँचवांँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
- कतर:
- कुल व्यापार 15 बिलियन अमेरिकी डाॅलर था, जो भारत के कुल व्यापार का मात्र 1.4% है, लेकिन देश प्राकृतिक गैस का भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है।
- भारत के कुल प्राकृतिक गैस आयात में कतर की हिस्सेदारी 41% है।
- जबकि अन्य में UAE का 11% योगदान है
- ओमान:
- ओमान, भारत के लिये अपने आयात का तीसरा सबसे बड़ा (यूएई और चीन के बाद) स्रोत था तथा वर्ष 2019 में अपने गैर-तेल निर्यात के लिये तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार (UAEऔर सऊदी अरब के बाद) था।
- ओमान में प्रमुख भारतीय वित्तीय संस्थानों की उपस्थिति है। भारतीय कंपनियों ने ओमान में लोहा और इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, कपड़ा आदि जैसे क्षेत्रों में निवेश किया है।
भारत द्वारा तेल आयात:
- 77 बिलियन डाॅलर की लागत के साथ 239 मिलियन टन पेट्रोलियम तेल आयात किया गया और यह वर्ष 2021 में देश के कुल आयात का लगभग पांँचवांँ हिस्सा था।
- भारत के कच्चे तेल के आयात में फारस की खाड़ी के देशों की हिस्सेदारी पिछले 15 वर्षों में लगभग 60% पर बनी हुई है।
- 2021-2022 में भारत को तेल का सबसे बड़ा निर्यातक इराक था, जिसका हिस्सा 2009-2010 के 9% से बढ़कर 22% हो गया है।
- एक दशक से अधिक समय से भारत के तेल आयात में सऊदी अरब का योगदान 17-18% है। कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात भारत के लिये प्रमुख तेल निर्यातक बने हुए हैं। ईरान 2009-2010 में भारत के लिये दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक हुआ करता था, अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण 2020-21 में इसकी हिस्सेदारी घटकर 1% से भी कम हो गई।
खाड़ी और धन प्रेषण में भारतीयों का परिदृश्य:
- 13.46 मिलियन से अधिक भारतीय नागरिक विदेशों में काम करते हैं। यदि भारतीय मूल के व्यक्तियों (जिन्होंने अन्य देशों की नागरिकता ले ली है और उनके वंशज) को जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 32 मिलियन से अधिक हो जाती है।
- 13.4 मिलियन अनिवासी भारतीयों (NRI) की खाड़ी में सबसे बड़ी संख्या है।
- अनिवासी भारतीय की आधे से अधिक संख्या संयुक्त अरब अमीरात (3.42 मिलियन), सऊदी अरब (2.6 मिलियन) और कुवैत (1.03 मिलियन) में निवास करती है।
- विश्व बैंक के आँंकड़ों के अनुसार, विदेशों से धन प्रेषण के मामले में भारत 2020 में 83.15 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के साथ सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता था।
- यह 42.9 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के अगले उच्चतम प्राप्तकर्त्ता मेक्सिको के धन प्रेषण का लगभग दोगुना था।
- सबसे बड़ा योगदान खाड़ी में विशाल भारतीय डायस्पोरा का है।
- इसकी संयुक्त अरब अमीरात में 26.9%, सऊदी अरब में 11.6%, कतर में 6.4%, कुवैत में 5.5% और ओमान में 3% की हिस्सेदारी है। GCC से परे अमेरिका से 22.9% धन प्रेषण हुआ, जो संयुक्त अरब अमीरात के बाद दूसरा था।
हाल के घटनाक्रम:
- हाल ही में भारत और ओमान ने 2022-2025 की अवधि के लिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग कार्यक्रम (POC) पर हस्ताक्षर किये।
- ओमान सरकार तथा भारत सरकार के बीच 5 अक्तूबर, 1996 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सहयोग हेतु हुए समझौते के अनुरूप वर्ष 2022-2025 की अवधि के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को लेकर पीओसी पर हस्ताक्षर किये गए।
- सितंबर 2021 में भारत और UAE ने औपचारिक रूप से भारत-UAE व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) पर बातचीत शुरू की।
- वर्ष 2021 में भारतीय विदेश मंत्री ने सऊदी अरब के विदेश मंत्री से मुलाकात की, जहाँ दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र, जी-20 और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) जैसे बहुपक्षीय मंचों में द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की।
- वर्ष 2021 में भारत और बहरीन रक्षा और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्रों सहित अपने ऐतिहासिक संबंधों को मज़बूत करने पर सहमत हुए।
- वर्ष 2020 में कुवैत की नेशनल असेंबली की कानूनी और विधायी समिति ने प्रवासी कोटा बिल के मसौदे को मंज़ूरी दी।
- बिल के अनुसार, भारतीयों की आबादी 15% से अधिक नहीं होनी चाहिये और अगर इसे कानून बना दिया जाता है तो 8 लाख से अधिक भारतीयों को कुवैत से बाहर निकाला जा सकता है।.
- बिल के अनुसार, भारतीयों की आबादी 15% से अधिक नहीं होनी चाहिये और अगर इसे कानून बना दिया जाता है तो 8 लाख से अधिक भारतीयों को कुवैत से बाहर निकाला जा सकता है।.
आगे की राह
- तेल के अलावा अन्य क्षेत्र की ओर देख रहे खाड़ी देशों के साथ आर्थिक सहयोग की नई और दीर्घकालिक संभावनाओं पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
- खाड़ी देशों ने बड़े पैमाने पर आर्थिक विविधीकरण शुरू किया है और वे अक्षय ऊर्जा, उच्च शिक्षा, तकनीकी नवाचार, स्मार्ट शहरों तथा अंतरिक्ष वाणिज्य सहित कई नई परियोजनाओं में निवेश कर रहे हैं।
- खलीजी पूंजीवाद के उदय के साथ खाड़ी देश वर्तमान में मित्र देशों को आर्थिक और सुरक्षा सहायता प्रदान करते हैं, बंदरगाहों तथा बुनियादी ढाँचे का निर्माण करते हैं, सैन्य ठिकानों का अधिग्रहण करते हैं और युद्धरत दलों व राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करते हैं।
- संयुक्त अरब अमीरात वर्तमान में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) की अध्यक्षता करता है और संयुक्त बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के विकास में भारत के साथ काम करने के लिये उत्सुक है।
- भारत को हिंद महासागर में कनेक्टिविटी और सुरक्षा पर अपनी क्षेत्रीय पहलों को व्यापकता के साथ मज़बूती प्रदान करने की ज़रूरत है।
विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन 'खाड़ी सहयोग परिषद' का सदस्य नहीं है? (2016) (a) ईरान उत्तर: (a)
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