भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक | 11 May 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने भारत-यूरोपीय संघ नेताओं की बैठक (India-European Union Leaders’ Meeting) में भाग लिया।

  • इस बैठक का आयोजन सभी 27 यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के शीर्ष नेताओं के साथ-साथ यूरोपीय परिषद और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष की भागीदारी के साथ किया गया था।
  • यह पहली बार है जब यूरोपीय संघ ने भारत के साथ यूरोपीय संघ+27 प्रारूप में एक बैठक का आयोजन किया है।
    • इस बैठक का आयोजन यूरोपीय संघ परिषद के वर्तमान अध्यक्ष पुर्तगाल के प्रधानमंत्री की पहल पर किया गया।

European-Union

प्रमुख बिंदु

मुक्त व्यापार वार्ता:

  • इस बैठक में द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौते (Bilateral Trade and Investment Agreement- BTIA) पर निलंबित वार्ता को फिर से शुरू करके मुक्त व्यापार वार्ता को पुनः शुरू करने के लिये सहमति व्यक्त की गई।
  • भारत और यूरोपीय संघ ने व्यापक रूप से मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement) पर वार्ता की गई, जिसे आधिकारिक तौर पर वर्ष 2007 में व्यापक BTIA कहा गया था।
    • BTIA ने व्यापार में माल, सेवाओं और निवेश को शामिल करने का प्रस्ताव किया था।
    • हालाँकि वर्ष 2013 में बाज़ार तक पहुँच और पेशेवरों की आवाजाही के अंतर को लेकर वार्ता रुक गई थी।
    • यूरोपीय संघ, भारत का वर्ष 2019-20 में वस्तुओं का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
  • यूरोपीय संघ वर्ष 2019-20 में चीन और अमेरिका की तुलना में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। इस अवधि में दोनों पक्षों के बीच कुल व्यापार 90 बिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब था।

कनेक्टिविटी भागीदारी:

  • भारत और यूरोपीय संघ ने डिजिटल, ऊर्जा, परिवहन और लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने पर केंद्रित एक महत्त्वाकांक्षी और व्यापक संपर्क साझेदारी का भी शुभारंभ किया।
    • यह साझेदारी सामाजिक, आर्थिक, राजकोषीय, जलवायु और पर्यावरणीय स्थिरता तथा अंतरराष्ट्रीय कानून एवं प्रतिबद्धताओं के सम्मान के साझा सिद्धांतों पर आधारित है।
    • यह साझेदारी संपर्क परियोजनाओं के लिये निजी और सार्वजनिक वित्त पोषण को प्रोत्साहन देगी। यह भारत-प्रशांत सहित अन्य देशों में संपर्क पहल का समर्थन करने हेतु नए संबंधों को बढ़ावा देगी।
  • पुणे मेट्रो रेल परियोजना के लिये यूरोपीय संघ से 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर के वित्त अनुबंध पर भी हस्ताक्षर किये गए।

जलवायु परिवर्तन:

  • भारत और यूरोपीय संघ के नेताओं ने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के शमन, अनुकूलन तथा लचीलेपन के संयुक्त प्रयासों को और दृढ़ बनाने के साथ-साथ COP-26 के संदर्भ में वित्तपोषण सहित कार्यान्वयन के साधन प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की।

प्रौद्योगिकी:

  • भारत और यूरोपीय संघ ने डिजिटल तथा उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे- 5जी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्वांटम और हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग पर द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिये भी सहमति व्यक्त की, जिसमें एआई एवं डिजिटल निवेश फोरम पर संयुक्त कार्यबल का प्रारंभिक परिचालन शामिल है।

साझेदारी का सुदृढ़ीकरण:

  • इस बैठक के दौरान लोकतंत्र, मौलिक स्वतंत्रता, कानून के अनुरूप शासन और बहुपक्षवाद के लिये एक साझा प्रतिबद्धता के आधार पर भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत बनाने की इच्छा व्यक्त की गई।
  • भारत ने दूसरी कोविड लहर का मुकाबला करने के लिये यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देशों द्वारा प्रदान की गई त्वरित सहायता की सराहना की।
  • भारत ने विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) में वैक्सीन उत्पादन से संबंधित पेटेंट परट्रेड रिलेटेड आस्पेक्ट्स ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स’ (Trade Related Aspects of Intellectual Property- TRIPS) में छूट देने के लिये दक्षिण अफ्रीका के साथ अपने संयुक्त प्रस्ताव पर यूरोपीय संघ के समर्थन का भी अनुरोध किया।
    • अमेरिका ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। हालाँकि भारत यूरोपीय नेताओं का समर्थन पाने में विफल रहा।

आगे की राह

  • भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक ने सामरिक भागीदारी को एक नई दिशा प्रदान करते हुए जुलाई 2020 में आयोजित 15वें भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में अपनाए गए महत्त्वाकांक्षी भारत-यूरोपीय संघ प्रारूप वर्ष 2025 को लागू करने हेतु एक नई प्रेरणा के साथ इस मामले में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है।
  • दोनों पक्षों के बीच एक ऐसे व्यापक व्यापार समझौते की आवश्यकता है जो मज़बूत नियमों को लाता है, वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार तथा निवेश की बाधाओं को दूर करता है। पारस्परिक विश्वास, लोगों के आवागमन और कनेक्टिविटी को सुविधाजनक बनाने से आपसी रिश्तों में सुधार हो सकता है तथा नवाचार एवं विकास के अवसर पैदा हो सकते हैं।
  • यूरोपीय संघ और भारत के बीच उन्नत व्यापारिक सहयोग से इनकी रणनीतिक मूल्य शृखलाओं में विविधता आ सकती है और इनकी आर्थिक निर्भरता विशेष रूप से चीन पर कम हो सकती है।

स्रोत: पी.आई.बी.