राज्यसभा
विशेष/इन-डेप्थ: भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (A.I.) और मशीन लर्निंग (M.L.)
- 10 May 2018
- 24 min read
संदर्भ एवं पृष्ठभूमि
पिछले कुछ वर्षों से विभिन्न कारणों और मुद्दों को लेकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता बराबर चर्चा में बनी हुई है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंप्यूटर विज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जिसका काम बुद्धिमान मशीन बनाना है। हाल ही में सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग और गूगल के बीच इस बात पर सहमति बनी है कि दोनों भारत की उदीयमान कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelliegence-AI) और मशीन लर्निंग (Machine Learning-ML) के पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई पहलों पर मिलकर एक साथ काम करेंगे, जिससे देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पारिस्थितिक तंत्र निर्मित करने में मदद मिलेगी। नीति आयोग को एआई जैसी प्रौद्योगिकियाँ विकसित करने और अनुसंधान के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस जिम्मेदारी पर नीति आयोग राष्ट्रीय डाटा और एनालिटिक्स पोर्टल के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर राष्ट्रीय कार्य नीति विकसित कर रहा है, ताकि व्यापक रूप से इसका उपयोग किया जा सके।
- विदित हो कि गूगल की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी डीपमाइंड, ब्रिटिश नेशनल हेल्थ सर्विस के साथ मिलकर कई प्रोजेक्ट पर काम कर रही है।
सामान्य तौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग को समानार्थी समझा जाता है, लेकिन ऐसा है नहीं। आगे इन दोनों के बीच अंतर को स्पष्ट किया गया है, ताकि भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो।
क्या है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस?
सरलतम शब्दों में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है एक मशीन में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कंप्यूटर साइंस का सबसे उन्नत रूप माना जाता है और इसमें एक ऐसा दिमाग बनाया जाता है, जिसमें कंप्यूटर सोच सके...कंप्यूटर का ऐसा दिमाग, जो इंसानों की तरह सोच सके।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रकार
- पूर्णतः प्रतिक्रियात्मक (Purely Reactive)
- सीमित स्मृति (Limited Memory)
- मस्तिष्क सिद्धांत (Brain Theory)
- आत्म-चेतन (Self Conscious)
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है-- बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक जॉन मैकार्थी के अनुसार यह बुद्धिमान मशीनों, विशेष रूप से बुद्धिमान कंप्यूटर प्रोग्राम को बनाने का विज्ञान और अभियांत्रिकी है अर्थात् यह मशीनों द्वारा प्रदर्शित की गई इंटेलिजेंस है।
- इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है, जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट या फिर मनुष्य की तरह इंटेलिजेंस तरीके से सोचने वाला सॉफ़्टवेयर बनाने का एक तरीका है।
- यह इसके बारे में अध्ययन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता है।
हॉलीवुड में जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्टार वार, आई रोबोट, टर्मिनेटर, ब्लेड रनर आदि जैसी फिल्में बन चुकी हैं, उनसे आपको यह पता चल सकता है कि आखिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है क्या बला! भारत में भी प्रख्यात अभिनेता रजनीकांत की फिल्म 'रोबोट' में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को देखा-समझा जा सकता है। वैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाला कंप्यूटर सिस्टम 1997 में शतरंज के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में शामिल रूस के गैरी कास्पोरोव को हरा चुका है। (टीम दृष्टि इनपुट) |
ऐसे हुई थी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आरंभ 1950 के दशक में ही हो गया था, लेकिन इसकी महत्ता को 1970 के दशक में पहचान मिली।
- जापान ने सबसे पहले इस ओर पहल की और 1981 में फिफ्थ जनरेशन नामक योजना की शुरुआत की थी।
- इसमें सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिये 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी।
- इसके बाद अन्य देशों ने भी इस ओर ध्यान दिया। ब्रिटेन ने इसके लिये 'एल्वी' नाम का एक प्रोजेक्ट बनाया।
- यूरोपीय संघ के देशों ने भी 'एस्प्रिट' नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
- इसके बाद 1983 में कुछ निजी संस्थाओं ने मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर लागू होने वाली उन्नत तकनीकों, जैसे-Very Large Scale Integrated सर्किट का विकास करने के लिये एक संघ ‘माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी’की स्थापना की।
कहाँ-कहाँ हो रहा उपयोग?
वर्तमान दौर को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर किये जा रहे प्रयोगों का दौर कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रमुख अनुप्रयोग
- कंप्यूटर गेम (Computer Gaming)
- प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (Natural Language Processing)
- प्रवीण प्रणाली (Expert System)
- दृष्टि प्रणाली (Vision System)
- वाक् पहचान (Speech Recognition)
- बुद्धिमान रोबोट (Intelligent Robot)
इसके अलावा, किसी बेहद जटिल सिस्टम को चलाने...नई दवाएं तैयार करने...नए केमिकल तलाशने...खनन उद्योग से लेकर अंतरिक्ष...शेयर बाज़ार से लेकर बीमा कंपनियां...मानव जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है, जिसमें आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का दखल न हो।
इसे इस उदहारण से समझने का प्रयास करते हैं...
- आज विश्वभर में हवाई जहाज़ों की आवाजाही पूर्णतः कंप्यूटर पर निर्भर है। कौन-सा हवाई जहाज़ कब, किस रास्ते से गुज़रेगा...कहां सामान पहुंचाएगा...यह सब मशीनें तय करके निर्देश देती हैं। यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोल के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जा रहा है।
तात्पर्य यह कि जिस काम को करने में मनुष्य को समय अधिक लगता है या जो काम जटिल तथा दुष्कर है, वह इन मशीनी दिमाग़ों की मदद से चुटकियों में निपटाया जा सकता है।
भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की संभावनाएँ
सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर 7-सूत्री रणनीति
(टीम दृष्टि इनपुट) |
सावधानी भी ज़रूरी है
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से हमारे रहने और कार्य करने के तरीकों में व्यापक बदलाव आएगा। रोबोटिक्स और वर्चुअल रियलिटी जैसी तकनीकों से तो उत्पादन और निर्माण के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेगा। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के मुताबिक अकेले अमेरिका में अगले दो दशकों में डेढ़ लाख रोज़गार खत्म हो जाएंगे।
संभवतया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में रोज़गार जनित चुनौतियों से हम निपट लें, लेकिन सबसे बड़े खतरे को टालना मुश्किल होगा। अतः स्पष्ट है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त मशीनों से जितने फायदे हैं, उतने ही खतरे भी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सोचने-समझने वाले रोबोट अगर किसी कारण या परिस्थिति में मनुष्य को अपना दुश्मन मानने लगें तो मानवता के लिये खतरा पैदा हो सकता है। सभी मशीनें और हथियार बगावत कर सकते हैं। ऐसी स्थिति की कल्पना हॉलीवुड की 'टर्मिनेटर' जैसी फिल्म में की गई है।
बन रहे हैं इंटेलिजेंट रोबोट
इस समय का नवीनतम आविष्कार कृत्रिम बुद्धिमत्ता मशीनों की बुद्धि को दर्शाता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से रोबोट को इफेक्टिव और इंटेलिजेंट बनाया जाता है। इस प्रकार के रोबोट विदेशों में एवं देश की कई बड़ी कंपनियों में अपनी जगह बना चुके है और ऐसे काम कर रहे हैं, जिन्हें करने में श्रमिकों और तकनीकी कर्मचारियों को बेहद कठिनाई का अनुभव होता है।
सऊदी अरब का इंटेलिजेंट रोबोट सोफिया
भारत आ चुकी है सोफिया: मुंबई में जब एशिया का सबसे बड़ा टेक फेस्ट-2017 आयोजित किया गया था तब इसके टेलीफेस्ट में रोबोट सोफिया भी आई थी। सोफिया ने इस कार्यक्रम में भारतीय अंदाज़ को अपनाया और इस प्रोगाम में भारतीय वेशभूषा में सफेद और संतरी रंग की साड़ी पहनी हुई थी। सोफिया ने 'नमस्ते इंडिया, मैं सोफिया' कहकर वहाँ मौजूद लोगों का अभिवादन किया। टेक फेस्ट-2017 में तीन हजार लोगों में इस बात को लेकर उत्सुकता थी कि आखिर सोफिया किस तरह बात करती है और सवालों के जवाब कैसे देती है। सोफिया ने सभी सवालों के जवाब बड़ी ही चतुराई और प्रभावी तरीके से दिये। सोफिया ने वहाँ मौजूद लोगों से हिंदी में बात की। (टीम दृष्टि इनपुट) |
मशीन लर्निंग (Machine Learning) क्या है?
जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऐसे कंप्यूटर प्रोग्रामों के लिये इस्तेमाल किया जाता है, जो उन समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है, जिसे मनुष्य आसानी से कर सकते हैं, जैसे किसी फ़ोटो को देखकर उसके बारे में बताना। उसी प्रकार एक अन्य काम जो इंसान आसानी से कर लेते हैं, वह है उदाहरणों से सीखना...और मशीन लर्निंग प्रोग्राम भी यही करने की कोशिश करते हैं अर्थात् कंप्यूटरों को उदाहरणों से सीखने के बारे में बताना। इसके लिये बहुत सारे अल्गोरिद्म आदि जुटाने पड़ते हैं, ताकि कंप्यूटर बेहतर अनुमान लगाना सीख सकें। लेकिन अब कम अल्गोरिद्म से मशीनों को तेज़ी से सिखाने के लिये मशीनों को ज़्यादा कॉमन सेंस देने के प्रयास किये जा रहे हैं, जिन्हें तकनीकी भाषा में 'रेग्यूलराइज़ेशन' कहा जाता है।
इसे एक उदहारण से और अधिक स्पष्ट करने का प्रयास करते हैं...
- हॉलीवुड की फिल्म ‘माइनॉरिटी रिपोर्ट’ में टॉम क्रूज अभिनीत पुलिसमैन तीन पारलौकिक सी प्रतीत होने वाली शक्तियों से मिली सूचना के आधार पर भावी अपराधियों को कानून तोड़ने के पहले ही पकड़ लेता है।
वास्तव में ऐसा पूर्वानुमान लगाना अधिक कठिन है, लेकिन कंप्यूटर की पूर्वानुमान लगाने की बढ़ती क्षमता के कारण अब ऐसी संभावना कल्पना जगत तक ही सीमित नहीं प्रतीत होती। मशीन लर्निंग प्रोग्राम उल्लेखनीय रूप से सटीक पूर्वानुमान लगा सकता है। यह डेटा की भारी-भरकम मात्रा में पैटर्न तलाशने के सिद्धांत पर काम करता है।
इसे इस उदाहरण से स्पष्ट करने का प्रयास करते हैं...
- किसी रेस्तराँ में साफ-सफाई को ही लीजिये। यह मशीन लर्निंग प्रोग्राम पता करता है कि नज़र में न आने वाले कौन से कारकों के मिलने से समस्या उत्पन्न होती है, लेकिन यदि एक बार मशीन को प्रशिक्षित कर दिया जाए तो वह रेस्तराँ के गंदे होने के जोखिम का आकलन कर सकेगा।
Learn with Google AI आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का विकास मानव के विभिन्न दृष्टिकोणों और ज़रूरतों की विविधता को दर्शाता है। Google AI सभी को यह जानकारी निःशुल्क दे रहा है और यह कोर्स उन सभी के लिये है, जो मशीन लर्निंग के बारे में जानना चाहते हैं। Learn with Google AI में ऑनलाइन कोर्स की सुविधा भी है। इसे आप गूगल के मशीन लर्निंग एक्सपर्ट के फीचर वीडियो और दृश्य चित्रण के जरिए जानकारी हासिल कर सकते हैं। इस कोर्स की अवधि 15 घंटे की है, जिसमें गूगल के रिसर्चर लेक्चर देंगे। इस कोर्स को गूगल की इंजीनियरिंग एजुकेशन टीम ने तैयार किया है। (टीम दृष्टि इनपुट) |
निष्कर्ष: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की संकल्पना बहुत पुरानी है। ग्रीक मिथकों में 'मैकेनिकल मैन' की अवधारणा से संबंधित कहानियाँ मिलती हैं अर्थात् एक ऐसा व्यक्ति जो हमारे किसी व्यवहार की नकल करता है। प्रारंभिक यूरोपीय कंप्यूटरों को 'लॉजिकल मशीन' की तरह डिजाइन किया गया था यानी उनमें बेसिक गणित, मेमोरी जैसी क्षमताएँ विकसित कर इनका मैकेनिकल मस्तिष्क के रूप में इस्तेमाल किया गया था। लेकिन जैसे-जैसे तकनीक उन्नत होती गई और कैलकुलेशंस जटिल होते गए, उसी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की संकल्पना भी बदलती गई। इसके तहत इनको मानव व्यवहार की तरह विकास करने की कोशिश की गई, ताकि ये अधिकाधिक इस तरह से इंसानी कामों को करने में सक्षम हो सकें, जिस तरह से आमतौर पर हम सभी करते हैं।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई का कहना है कि मानवता के फायदे के लिये हमने आग और बिजली का इस्तेमाल तो करना सीख लिया, पर इसके बुरे पहलुओं से उबरना जरूरी है। इसी प्रकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी ऐसी ही तकनीक है और इसका इस्तेमाल कैंसर के इलाज में या जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में भी किया जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का निर्माण हमारी सभ्यता के इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में से है। लेकिन सच यह भी है कि यदि इसके जोखिम से बचने का तरीका नहीं ढूँढा, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, क्योंकि तमाम लाभों के बावजूद आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस के अपने खतरे हैं। कुल मिलाकर एक शक्तिशाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उदय हमारे लिये फायदेमंद भी हो सकता है और नुकसानदेह भी। फिलहाल हम नहीं जानते कि इसका स्वरूप आगे क्या होगा, इसीलिये इस संदर्भ में और ज़्यादा शोध किये जाने की ज़रूरत है।