विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
भारत का रक्षा निर्यात
- 09 Jul 2022
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प्रिलिम्स के लिये:रक्षा प्रौद्योगिकी। मेन्स के लिये:प्रौद्योगिकी, रक्षा निर्यात, प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण |
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2021-22 के लिये भारत का रक्षा निर्यात 13,000 करोड़ रुपए अनुमानित था जो अब तक का सबसे अधिक है।
- अमेरिका एक प्रमुख खरीदार था साथ ही दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के राष्ट्र भी शामिल थे।
प्रमुख बिंदु
- निजी क्षेत्र का निर्यात में 70% हिस्सा था, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की फर्म बाकी के लिये ज़िम्मेदार थी।
- पहले निजी क्षेत्र का 90% हिस्सा हुआ करता था लेकिन अब रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों का हिस्सा बढ़ गया।
- जबकि हाल के वर्षों में अमेरिका से भारत का रक्षा आयात काफी बढ़ गया है, भारतीय कंपनि तेज़ी से अमेरिकी रक्षा कंपनियों की आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बन रही हैं।
रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने हेतु हाल के पहल:
- जनवरी 2022 में भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के तट-आधारित एंटी-शिप संस्करण की तीन बैटरियों की आपूर्ति के लिये फिलीपींस के साथ 374.96 मिलियन अमेरिकी डाँलर के समझौते पर हस्ताक्षर किये, जो उसका सबसे बड़ा रक्षा निर्यात आदेश है।
- भारत ने पिछले दो वर्षों के दौरान 310 विभिन्न हथियारों और प्रणालियों पर चरणबद्ध आयात प्रतिबंध लगाया है, जिससे निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिली है।
- इन हथियारों और प्लेटफॉर्मों का अगले पाँच से छह वर्षों में कई चरणों में स्वदेशीकरण किया जाएगा।
- निजी क्षेत्र के साथ बढ़ी हुई भागीदारी से रक्षा निर्यात में पर्याप्त वृद्धि हुई है।
भारत का रक्षा निर्यात:
- रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिये रक्षा निर्यात सरकार के अभियान का प्रमुख स्तंभ है।
- 30 से अधिक भारतीय रक्षा कंपनियों ने इटली, मालदीव, श्रीलंका, रूस, फ्राँस, नेपाल, मॉरीशस, श्रीलंका, इज़रायल, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, इथियोपिया, सऊदी अरब, फिलीपींस, पोलैंड, स्पेन जैसे देशों को हथियारों और उपकरणों का निर्यात किया है।
- निर्यात में व्यक्तिगत सुरक्षा सामग्री, रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स प्रणाली, इंजीनियरिंग यांत्रिक उपकरण, अपतटीय गश्ती ज़हाज़, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर, एवियोनिक्स सूट, रेडियो सिस्टम तथा रडार सिस्टम शामिल हैं।
- हालाँकि भारत का रक्षा निर्यात अभी भी अपेक्षित सीमा तक नहीं पहुँच पाया है।
- स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने 2015-2019 के लिये प्रमुख हथियार निर्यातकों की सूची में भारत को 23वें स्थान पर रखा।
- भारत अभी भी वैश्विक हथियारों का केवल 0.17% हिस्सा ही निर्यात करता है।
- भारत के रक्षा निर्यात में निराशाजनक प्रदर्शन का कारण यह है कि भारत के रक्षा मंत्रालय के पास अब तक निर्यात के लिये कोई समर्पित एजेंसी नहीं है।
- भारत ने 2024 तक 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है।
रक्षा क्षेत्र से संबंधित पहल:
- रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्द्धन नीति 2020 (DPEPP 2020):
- DPEPP 2020 को आत्मनिर्भरता और निर्यात के लिये देश की रक्षा उत्पादन क्षमताओं पर एक केंद्रित संरचित एवं महत्त्वपूर्ण रूप से बल प्रदान करने के लिये व्यापक मार्गदर्शक दस्तावेज़ के रूप में परिकल्पित किया गया है।
- आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र की दिशा में बहुआयामी कदम:
- निजी उद्योग को सशक्त बनाने के लिये फोकस के साथ प्रगतिशील परिवर्तन हुए हैं।
- डीपीपी 2016 भारतीय आईडीडीएम (स्वदेशी रूप से डिज़ाइन, विकसित और निर्मित) नामक एक नई श्रेणी के साथ सामने आया है।
- यदि कोई भारतीय कंपनी भारतीय आईडीडीएम का विकल्प चुनती है तो उसे अन्य सभी श्रेणियों पर वरीयता दी जाती है।
- रणनीतिक साझेदारी:
- एक रणनीतिक साझेदारी मॉडल भारतीय कंपनियों को विदेशी ओईएम के साथ सहयोग और प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण करने तथा भारत के निर्माण और भारत में परियोजनाओं को बनाए रखने की अनुमति प्रदान करता है।
- कामकाज में पारंपरिक पनडुब्बियों के लिये पहला आरएफपी।
- सकारात्मक स्वदेशीकरण:
- पहली बार सरकार किसी वस्तु के आयात पर खुद पर प्रतिबंध लगा रही है, सरकार स्वदेशी उद्योग को सशक्त बनाना चाहती है।
- 101 वस्तुओं तथा 108 वस्तुओं की दो सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ हैं जिसकी रेंज़ प्लेटफार्मों से लेकर हथियार प्रणालियों तक तथा सेंसर से लेकर अधिकतम वस्तुओं तक हैं।