भारत द्वारा सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग के स्थायी समाधान की मांग | 25 Apr 2024
प्रिलिम्स के लिये:विश्व व्यापार संगठन, सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग, न्यूनतम समर्थन मूल्य, सामाजिक कल्याण कार्यक्रम, कृषि पर विश्व व्यापार संगठन समझौता। मेन्स के लिये:सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग से संबंधित लाभ एवं मुद्दे |
स्रोत: लाइव मिंट
चर्चा में क्यों?
विश्व व्यापार संगठन (WTO) के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में, भारत द्वारा खाद्य सुरक्षा के लिये सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग के स्थायी समाधान करने पर बल दिया गया।
भारत द्वारा स्पष्ट किये गए प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- WHO का दायरा व्यापक करना: भारत ने मांग की है कि WTO अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार करे और केवल उन किसानों की व्यावसायिक आवशयकताओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना बंद करे जो अपनी उपज का निर्यात करते हैं।
- इसके स्थान पर संगठन को खाद्य सुरक्षा एवं आजीविका बनाए रखने जैसी बुनियादी चिंताओं को संबोधित करने को प्राथमिकता देनी चाहिये।
- विकासशील देश की आवश्यकताएँ: भारत का तर्क है कि विकासशील देशों के लिये उनकी जनसंख्या, (विशेषकर समाज के कमज़ोर वर्गों) के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग कार्यक्रम आवश्यक हैं।
- वर्तमान WTO नियम सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग कार्यक्रमों के संबंध में विकासशील देशों को कुछ छूट प्रदान करते हैं।
- हालाँकि, ये प्रावधान अस्थायी हैं और भारत एक ऐसा स्थायी समाधान चाहता है जो उनकी विकास आवश्यकताओं को स्वीकार करे।
- हाल ही में G-33 देशों ने भी प्रमुख आयात वृद्धि अथवा आकस्मिक मूल्य में कमी के विरुद्ध एक महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में विशेष सुरक्षा तंत्र (SSM) का उपयोग करने के विकासशील देशों के अधिकार को बनाए रखा।
- समान अवसर का आह्वान: भारत ने अंतर्राष्ट्रीय कृषि व्यापार में, विशेष रूप से दुनिया भर में कम आय वाले निर्धन किसानों के लिये समान अवसर सृजित करने की आवश्यकता पर बल दिया। यह व्यापार प्रथाओं में निष्पक्षता एवं समानता को बढ़ावा देने के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप है।
- भारत ने देशों द्वारा अपने किसानों को प्रदान की जाने वाली घरेलू सहायता में स्पष्ट असमानताओं को इंगित किया।
- विशेष रूप से कुछ विकसित देशों में सब्सिडी विकासशील देशों की तुलना में 200 गुना अधिक है।
- साथ ही G-33 देशों के सदस्य के रूप में भारत ने भी WTO से सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग का स्थायी समाधान खोजने का आग्रह किया।
- भारत ने देशों द्वारा अपने किसानों को प्रदान की जाने वाली घरेलू सहायता में स्पष्ट असमानताओं को इंगित किया।
पब्लिक स्टॉकहोल्डिंग क्या है?
- परिचय: पब्लिक स्टॉकहोल्डिंग से तात्पर्य सरकारों द्वारा खाद्यान्न खरीदने, उसका भंडारण करने और अंततः वितरित करने की प्रथा से है। कई अन्य देशों के साथ भारत अपनी जनसँख्या के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये इस प्रणाली का उपयोग करता है।
- लाभ:
- खाद्य सुरक्षा: सार्वजनिक भंडार सूखे, फसल की विफलता, या बाज़ार व्यवधान जैसे कारकों के कारण होने वाली संभावित भोजन की कमी के विरुद्ध एक बफर सुनिश्चित करते हैं।
- इससे जनसँख्या के लिये भोजन की उपलब्धता, खासकर आपात स्थिति के दौरान बनाए रखने में सहायता मिलती है।
- मूल्य स्थिरीकरण: कम आपूर्ति के कारण कीमतें बढ़ने पर स्टॉक जारी करके, सरकारें स्टॉक की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित कर सकती हैं और तेज़ी से होने वाली बढ़ोतरी को नियंत्रित कर सकती हैं जो उपभोक्ताओं, विशेष रूप से निम्न आय वाले परिवारों पर बोझ डाल सकती हैं।
- किसानों को समर्थन: सरकारें किसानों को कुछ आय सुरक्षा प्रदान करते हुए पूर्व निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज खरीद सकती हैं। इससे उत्पादन को प्रोत्साहन मिल सकता है और कृषि उत्पादन को बनाए रखा जा सकता है।
- सामाजिक कल्याण कार्यक्रम: भंडारित भोजन का उपयोग सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के लिये किया जा सकता है, जिससे कमज़ोर आबादी और खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों को सब्सिडी वाला भोजन उपलब्ध कराया जा सके।
- खाद्य सुरक्षा: सार्वजनिक भंडार सूखे, फसल की विफलता, या बाज़ार व्यवधान जैसे कारकों के कारण होने वाली संभावित भोजन की कमी के विरुद्ध एक बफर सुनिश्चित करते हैं।
- क्षति:
- राजकोषीय भार: बड़े स्तर पर भंडारण करना सरकारों के लिये महँगा हो सकता है। भंडारण और रखरखाव की लागत सार्वजनिक वित्त पर दबाव डाल सकती है तथा संसाधनों को अन्य विकास प्राथमिकताओं से अलग कर सकती है।
- बाज़ार में विकृति: सार्वजनिक भंडार से सब्सिडी वाले खाद्यान्न की बाज़ार कीमतें कम हो सकती हैं, जिससे कृषि में निजी क्षेत्र का निवेश हतोत्साहित हो सकता है और संभावित रूप से समग्र उत्पादन क्षमता प्रभावित हो सकती है।
- खराबी और बर्बादी: अनुचित भंडारण से खाद्यान्न खराब हो जाता है तथा उसकी बर्बादी होती है, जिससे आर्थिक हानि होती है और कार्यक्रम की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
- भ्रष्टाचार के जोखिम: सार्वजनिक भंडार का प्रबंधन भ्रष्टाचार एवं कुप्रबंधन के प्रति संवेदनशील है, जिससे सिस्टम के भीतर अक्षमताएँ और अव्यवस्थाएँ उत्पन्न होती हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मुद्दे: सब्सिडीयुक्त भंडारण प्रथाएँ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में जटिलताएँ उत्पन्न कर सकती हैं।
- कुछ देशों का तर्क है कि ऐसी प्रथाएँ निष्पक्ष बाज़ार प्रतिस्पर्धा को विकृत करती हैं और अन्य देशों के निर्यातकों को हानि पहुँचाती हैं।
- उदाहरण के लिये, थाईलैंड ने हाल ही में भारत पर निर्यात बाज़ार में अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिये घरेलू खाद्य सुरक्षा के लिये रखे गए चावल के सार्वजनिक भंडार का उपयोग करने का आरोप लगाया।
कृषि पर विश्व व्यापार संगठन का समझौता:
- परिचय: कृषि पर विश्व व्यापार संगठन का समझौता (AoA), व्यापार वार्ता के उरुग्वे दौर के दौरान स्थापित अंतर्राष्ट्रीय नियमों का एक समूह है, जो वर्ष 1995 में लागू हुए।
- इनका उद्देश्य कृषि उत्पादों में निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देना है:
- व्यापार बाधाओं को कम करना: AoA सदस्य देशों को कृषि आयात पर टैरिफ, कोटा और अन्य प्रतिबंधों को कम करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- घरेलू सहायता: यह सब्सिडी के प्रकार और स्तर को नियंत्रित करता है, जो सरकारें अपने घरेलू कृषि उत्पादकों को प्रदान कर सकती हैं।
- बाज़ार पहुँच: AoA आयात बाधाओं को कम करके कृषि निर्यात के लिये अधिक बाज़ार पहुँच को बढ़ावा देता है।
- इनका उद्देश्य कृषि उत्पादों में निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देना है:
- कृषि सब्सिडी: WTO के मानदंडों के अनुसार, विकासशील देशों के लिये कृषि सब्सिडी कृषि उत्पादन के मूल्य के 10% से अधिक नहीं होनी चाहिये। जबकि विकासशील देशों को कुछ संरक्षण प्राप्त होता है।
- हालाँकि दिसंबर 2013 के शांति खंड (Peace Clause) के तहत, WTO के सदस्यों ने विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटान मंच पर विकासशील देशों द्वारा निर्धारित सीमा में किसी भी उल्लंघन को चुनौती से बचने पर सहमति व्यक्त की है।
- चावल पर भारत की सब्सिडी कई मौकों पर निर्धारित सीमा से अधिक हो गई थी, जिससे उसे 'शांति खंड' लागू करने के लिये मजबूर होना पड़ा।
विश्व व्यापार संगठन क्या है?
- यह वर्ष 1995 में अस्तित्व में आया। विश्व व्यापार संगठन, द्वितीय विश्व युद्ध के मद्देनज़र स्थापित प्रशुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौते (General Agreement on Tariffs and Trade- GATT) का उत्तराधिकारी है।
- यह अपने 164 सदस्य राष्ट्रों के बीच सहज, मुक्त और पूर्वानुमानित व्यापार को बढ़ावा देता है, जो वैश्विक व्यापार का 98% प्रतिनिधित्व करता है।
- व्यापार वार्ता (Negotiation) के रूप में विकसित, इसके नियमों का उद्देश्य कोटा को समाप्त करना और टैरिफ को कम करना है, वर्तमान ढाँचे को बड़े पैमाने पर वर्ष 1986-94 के उरुग्वे दौर की वार्ता द्वारा आकार दिया गया है।
- WTO का मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में स्थित है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: वैश्विक व्यापार और खाद्य सुरक्षा पर कृषि सब्सिडी के प्रभाव पर चर्चा कीजिये, घरेलू कृषि को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका बनाम बाज़ारों को विकृत करने और व्यापार असंतुलन पैदा करने की उनकी क्षमता पर भी विचार कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न . भारत ने वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 को किसके दायित्वों का पालन करने के लिये अधिनियमित किया? (2018) (a) अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन उत्तर: (d) प्रश्न. 'एग्रीमेंट ओन एग्रीकल्चर', 'एग्रीमेंट ओन द एप्लीकेशन ऑफ सेनेटरी एंड फाइटोसेनेटरी मेज़र्स और 'पीस क्लाज़' शब्द प्रायः समाचारों में किसके मामलों के संदर्भ में आते हैं; (2015) (a) खाद्य और कृषि संगठन उत्तर: (c) प्रश्न 3. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में आपको कभी-कभी समाचारों में 'ऐम्बर बॉक्स, ब्लू बॉक्स और ग्रीन बॉक्स' शब्द देखने को मिलते हैं? (2016) (a) WTO मामला उत्तर: (a) प्रश्न 4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) प्रश्न 5. ‘व्यापार-संबंधित निवेश उपायों’ (TRIMS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) प्रश्न . WTO एक महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जहाँ लिये गए निर्णय देशों को गहराई से प्रभावित करते हैं। WTO का क्या अधिदेश (मैंडेट) है और उसके निर्णय किस प्रकार बंधनकारी हैं? खाद्य सुरक्षा पर विचार-विमर्श के पिछले चक्र पर भारत के दृढ़-मत का समालोचनापूर्वक विश्लेषण कीजिये। (2014) प्रश्न . “WTO के अधिक व्यापक लक्ष्य और उद्देश्य वैश्वीकरण के युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रबंधन तथा प्रोन्नति करना है। परंतु (संधि) वार्ताओं की दोहा परिधि मृतोंमुखी प्रतीत होती है जिसका कारण विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेद है।'' भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस पर चर्चा कीजिये। (2016) प्रश्न . यदि 'व्यापार युद्ध' के वर्तमान परिदृश्य में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू. टी. ओ.) को ज़िंदा बने रहना है, तो उसके सुधार के कौन-कौन से प्रमुख क्षेत्र हैं, विशेष रूप से भारत के हित को ध्यान में रखते हुए? (2018) |