भारत-भूटान संबंध | 18 Mar 2024
प्रिलिस्म के लिये:भारत भूटान संबंध, खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण, भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध, सतत् विकास मेन्स के लिये:भारत-भूटान संबंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भूटान के प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा किया जिस दौरान भारत ने भूटान के साथ व्यापक वार्ता की और दोनों देशों ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
- भारत और भूटान के बीच घनिष्ठ तथा सौहार्दपूर्ण संबंध विश्वास, सद्भावना एवं साझा मूल्यों में गहराई से निहित हैं, जो सभी स्तरों पर साझीदारी के माध्यम से व्याप्त हैं।
- दोनों देशों की यह चिरस्थाई मित्रता दक्षिण एशिया में पारस्परिक समृद्धि और क्षेत्रीय स्थिरता के लिये आधारशिला का कार्य करती है।
नोट: अंतरिम बजट 2024-25 में विदेश मंत्रालय (MEA) को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये 22,154 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं। भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के अनुरूप भूटान को सहायता पोर्टफोलियो का सबसे बड़ा हिस्सा प्रदान किया गया है। वर्ष 2023-24 में 2,400 करोड़ रुपए के आवंटन की तुलना में वर्ष 2024-25 में भूटान को 2,068 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
भारत-भूटान द्विपक्षीय वार्ता से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- पेट्रोलियम समझौता:
- दोनों देशों ने हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में आर्थिक सहयोग और विकास को बढ़ावा देने, भारत से भूटान को विश्वसनीय तथा निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- खाद्य सुरक्षा सहयोग:
- भूटान के खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण तथा भारत के खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने खाद्य सुरक्षा उपायों में सहयोग बढ़ाने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- यह समझौता खाद्य सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित कर और अनुपालन लागत को कम करके दोनों देशों के बीच व्यापार को सुविधाजनक बनाएगा।
- ऊर्जा दक्षता और संरक्षण:
- दोनों देशों ने ऊर्जा दक्षता और संरक्षण पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये जो सतत् विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- भारत का लक्ष्य घरों में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने, ऊर्जा-कुशल उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने और मानकों तथा लेबलिंग योजनाओं को विकसित करने में भूटान की सहायता करना है।
- सीमा विवाद समाधान:
- भूटान के प्रधानमंत्री का यह दौरा चीन और भूटान के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिये चल रही चर्चा के साथ मेल खाती है जिसका क्षेत्रीय सुरक्षा, विशेषकर डोकलाम क्षेत्र में, पर प्रभाव पड़ता है।
- अगस्त 2023 में चीन और भूटान ने अपनी सीमा विवाद का समाधान करने हेतु एक योजना पर सहमति व्यक्त की।
- इसके बाद अक्तूबर 2021 में समझौते पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किये गए।
- यह समझौता डोकलाम में भारत और चीन के बीच जारी संघर्ष के चार वर्ष बाद हुआ जो वर्ष 2017 में चीन द्वारा संबद्ध क्षेत्र में सड़क बनाने के प्रयास के कारण शुरू हुआ था।
- गेलफू में भूटान का क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र:
- गेलेफू में एक क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र के लिये भूटान की यह योजना क्षेत्रीय विकास एवं कनेक्टिविटी की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- दिसंबर 2023 में भूटान के राजा द्वारा शुरू की गई इस परियोजना का लक्ष्य 1,000 वर्ग किलोमीटर में फैले "गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी" की स्थापना करना है। गगनचुंबी इमारतों की विशेषता वाले पारंपरिक वित्तीय केंद्रों के विपरीत, गेलेफू आईटी, शिक्षा, आतिथ्य एवं स्वास्थ्य देखभाल जैसे गैर-प्रदूषणकारी उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सतत् विकास को प्राथमिकता देगा।
- भारत की "एक्ट ईस्ट" नीति तथा दक्षिण-पूर्व एशिया एवं भारत-प्रशांत क्षेत्र में उभरती कनेक्टिविटी पहल के चौराहे पर स्थित, गेलेफू आर्थिक एकीकरण तथा व्यापार सुविधा को बढ़ावा देने में रणनीतिक महत्त्व रखता है।
- गेलेफू में एक क्षेत्रीय आर्थिक केंद्र के लिये भूटान की यह योजना क्षेत्रीय विकास एवं कनेक्टिविटी की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
भारत के लिये भूटान का महत्त्व क्या है?
- सामरिक महत्त्व:
- भूटान की सीमाएँ भारत और चीन के साथ लगती हैं तथा इसकी रणनीतिक स्थिति इसे भारत के सुरक्षा हितों के लिये एक महत्त्वपूर्ण बफर राज्य बनाती है।
- भारत ने भूटान को रक्षा, बुनियादी ढाँचे एवं संचार जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान की है, जिससे भूटान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने में सहायता प्राप्त हुई है।
- भारत ने भूटान को अपनी रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने तथा अपनी क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिये सड़क और पुल जैसे सीमावर्ती बुनियादी ढाँचे के निर्माण तथा रखरखाव में सहायता प्रदान की है।
- वर्ष 2017 में भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध के दौरान, भूटान ने चीनी घुसपैठ का विरोध करने के लिये भारतीय सैनिकों को अपने क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- आर्थिक महत्त्व:
- भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार तथा भूटान का प्रमुख निर्यात गंतव्य है।
- भूटान की जलविद्युत क्षमता उसके राजस्व का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है साथ ही भारत ने भूटान की जलविद्युत परियोजनाओं को विकसित करने में भी सहायता की है।
- सांस्कृतिक महत्त्व:
- भूटान तथा भारत मज़बूत सांस्कृतिक संबंध साझा करते हैं, क्योंकि दोनों देशों में मुख्य रूप से बौद्ध धर्म को मानने वाली जनसंख्या निवास करती हैं।
- भारत ने भूटान को उसकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में सहायता की है एवं कई भूटानी छात्र उच्च शिक्षा के लिये भारत भी आते हैं।
- पर्यावरणीय महत्त्व:
- भूटान विश्व के उन कुछ देशों में से एक है जिसने कार्बन-तटस्थ रहने का संकल्प लिया है एवं भारत, भूटान को इस लक्ष्य को प्राप्त कराने में प्रमुख सहायक रहा है।
- भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा, वन संरक्षण एवं सतत् पर्यटन जैसे क्षेत्रों में भूटान को सहायता प्रदान की है।
भारत-भूटान संबंधों में चुनौतियाँ क्या हैं?
- चीन का बढ़ता प्रभाव:
- भूटान में, विशेषकर भूटान और चीन के बीच विवादित सीमा पर चीन की बढ़ती उपस्थिति ने भारत की चिंताएँ बढ़ा दी हैं। भारत भूटान का सबसे करीबी सहयोगी रहा है और उसने भूटान की संप्रभुता तथा सुरक्षा की रक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- चीन और भूटान ने अभी तक राजनयिक संबंध स्थापित नहीं किये हैं, लेकिन मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान बनाए रखा है।
- सीमा विवाद:
- भारत तथा भूटान के बीच 699 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो काफी हद तक शांतिपूर्ण रही है।
- हालाँकि, हाल के वर्षों में चीनी सेना द्वारा सीमा पर घुसपैठ की कुछ घटनाएँ हुई हैं।
- वर्ष 2017 में डोकलाम गतिरोध भारत-चीन-भूटान ट्राइ-जंक्शन में एक प्रमुख टकराव का बिंदु था। ऐसे किसी भी विवाद के बढ़ने से भारत-भूटान संबंधों में तनाव आ सकता है।
- जलविद्युत परियोजनाएँ:
- भूटान का जलविद्युत क्षेत्र इसकी अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है और भारत इसके विकास में एक प्रमुख भागीदार रहा है।
- हालाँकि, भूटान में कुछ जलविद्युत परियोजनाओं की शर्तों को लेकर चिंताएँ हैं, जिन्हें भारत के लिये बहुत अनुकूल माना जाता है।
- इसके कारण भूटान में इस क्षेत्र में भारतीय भागीदारी का कुछ लोगों ने विरोध किया है।
- भूटान का जलविद्युत क्षेत्र इसकी अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है और भारत इसके विकास में एक प्रमुख भागीदार रहा है।
- व्यापार मुद्दे:
- भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका भूटान के कुल आयात और निर्यात में 80% से अधिक योगदान है। हालाँकि, व्यापार असंतुलन को लेकर भूटान में कुछ चिंताएँ हैं, भूटान निर्यात की तुलना में भारत से अधिक आयात करता है।
- भूटान अपने उत्पादों के लिये भारतीय बाज़ार तक अधिक पहुँच की मांग कर रहा है, जिससे व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है।
- भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका भूटान के कुल आयात और निर्यात में 80% से अधिक योगदान है। हालाँकि, व्यापार असंतुलन को लेकर भूटान में कुछ चिंताएँ हैं, भूटान निर्यात की तुलना में भारत से अधिक आयात करता है।
भूटान से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- परिचय:
- भूटान भारत और चीन के बीच बसा हुआ है तथा चारों तरफ से भू-आबद्ध देश है। भूटान के परिदृश्य पर पहाड़ एवं घाटियाँ की बहुलता है।
- थिम्पू भूटान की राजधानी है।
- देश में प्रथम लोकतांत्रिक चुनाव होने के बाद वर्ष 2008 में भूटान एक लोकतंत्र बन गया। भूटान के राजा राष्ट्र के प्रमुख हैं।
- भूटान का आधिकारिक नाम ‘किंगडम ऑफ भूटान' है, जिसे भूटानी भाषा में ‘ड्रुक ग्याल खाप’ (Druk Gyal Khap) कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'लैंड ऑफ थंडर ड्रैगन'।
- भूटान भारत और चीन के बीच बसा हुआ है तथा चारों तरफ से भू-आबद्ध देश है। भूटान के परिदृश्य पर पहाड़ एवं घाटियाँ की बहुलता है।
- नदी:
- भूटान की सबसे लंबी नदी मानस नदी है जिसकी लंबाई 376 किमी. से अधिक है।
- मानस नदी दक्षिणी भूटान और भारत के बीच हिमालय की तलहटी में सीमा बनाती है।
- भूटान की सबसे लंबी नदी मानस नदी है जिसकी लंबाई 376 किमी. से अधिक है।
आगे की राह
- भारत बुनियादी ढाँचे के विकास, पर्यटन और अन्य क्षेत्रों में निवेश करके भूटान को उसकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। इससे न केवल भूटान को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी बल्कि वहाँ के लोगों के लिये रोज़गार के अवसर भी उत्पन्न होंगे।
- भारत और भूटान एक-दूसरे की संस्कृति, कला, संगीत तथा साहित्य की अधिक समझ एवं सराहना को बढ़ावा देने के लिये सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा दे सकते हैं।
- दोनों देशों के लोगों की वीज़ा-मुक्त आवागमन उप-क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत कर सकती है।
- भारत और भूटान साझा सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिये अपने रणनीतिक सहयोग को मज़बूत कर सकते हैं। वे आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिये मिलकर काम कर सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:Q. दुर्गम क्षेत्र एवं कुछ देशों के साथ शत्रुतापूर्ण संबंधों के कारण सीमा प्रबंधन एक कठिन कार्य है। प्रभावशाली सीमा प्रबंधन की चुनौतियों एवं रणनीतियों पर प्रकाश डालिये। (2016) |