पेरिस ओलंपिक- 2024 में भारत | 13 Aug 2024

प्रिलिम्स के लिये:

पेरिस ओलंपिक 2024, टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम, राष्ट्रीय खेल विकास कोष, राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार, ध्यानचंद पुरस्कार

मेन्स के लिये:

खेल प्रशासन और मुद्दे, खेल एवं मामले, भारतीय ओलंपिक खेलों में चुनौतियाँ तथा मुद्दे

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

पेरिस ओलंपिक 2024 का समापन हो गया है और भारत पदक तालिका में 71वें स्थान पर रहा, जबकि टोक्यो 2020 में यह 48वें स्थान पर था। एक रजत और पाँच कांस्य सहित छह पदक जीतने के बावजूद, देश को कई बार करीबी हार और निराशाजनक परिणामों का सामना करना पड़ा, जिससे भारतीय खेलों के भविष्य को लेकर चर्चा शुरू हो गई हैं।

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के प्रदर्शन की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय पदक विजेता

भारतीय एथलीट

पदक

स्पर्द्धा

मनु भाकर

कांस्य 

महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्द्धा

मनु भाकर और सरबजोत सिंह

कांस्य 

10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्द्धा

स्वप्निल कुसाले

कांस्य 

पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन

भारतीय हॉकी टीम

कांस्य 

पुरुष हॉकी

नीरज चोपड़ा

रजत 

पुरुषों की भाला फेंक

अमन सेहरावत

कांस्य 

कुश्ती, पुरुषों की 57 किग्रा फ्रीस्टाइल स्पर्द्धा

नोट: नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में 89.45 मीटर की दूरी तय करके रजत पदक जीता। यह उनका दूसरा ओलंपिक पदक था, जिससे वे भारत के पाँचवें दो बार ओलंपिक पदक विजेता बन गए।

  • मनु भाकर ओलंपिक शूटिंग में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। वह व्यक्तिगत और मिश्रित टीम स्पर्द्धाओं में पदक जीतकर एक ही खेल में दो पदक जीतने वाली स्वतंत्र भारत की पहली एथलीट भी बनीं।
  • भारत ने निशानेबाजी में तीन पदक जीते, जिसमें स्वप्निल कुसाले द्वारा हासिल किया गया 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में पहला ओलंपिक पदक भी शामिल है। यह ओलंपिक में निशानेबाजी में भारत का सर्वोच्च पदक था।
  • भारतीय एथलीटों ने तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, घुड़सवारी, गोल्फ, हॉकी, जूडो, नौकायन, निशानेबाजी, तैराकी, टेबल टेनिस और टेनिस जैसे 16 खेलों में 69 पदकों के लिए प्रतिस्पर्द्धा की।
  • लक्ष्य सेन ओलंपिक में पुरुष बैडमिंटन के सेमीफाइनल में पहुँचने वाले पहले भारतीय बने और चौथे स्थान पर रहे।
  • पहलवान विनेश फोगट महिलाओं के 50 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में पहुँचने के बाद, 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अयोग्य घोषित कर दी गईं।
  • आज तक भारत ने कुल 41 ओलंपिक पदक जीते हैं। उल्लेखनीय उपलब्धियों में नॉर्मन प्रिचर्ड के रजत पदक (1900 पेरिस), केडी जाधव का कांस्य (1952 हेलसिंकी), कर्णम मल्लेश्वरी का कांस्य (2000 सिडनी), अभिनव बिंद्रा का स्वर्ण (2008 बीजिंग) और नीरज चोपड़ा का स्वर्ण (2020 टोक्यो) शामिल हैं।
    • पुरुष हॉकी टीम ने आठ स्वर्ण सहित 13 पदक जीते हैं, जबकि भारत ने कुश्ती में आठ पदक प्राप्त किये हैं। भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ ओलंपिक प्रदर्शन टोक्यो 2020 में रहा, जिसमें इसे एक स्वर्ण सहित सात पदक प्राप्त हुए है। भारत का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन वर्ष 2012 के लंदन ओलंपिक में रहा था, जब इसने छह पदक (दो रजत और चार कांस्य) जीते थे।

भारत के लिये ओलंपिक पदक जीतने में इतना संघर्ष क्यों है?

  • प्रतिभा की पहचान: भारत में, प्रतिभा की पहचान अक्सर तदर्थ आधार पर होती है, जिसकी पहुँच और प्रभावशीलता सीमित होती है।
    • युवा एथलीटों की खोज और पहचान करने में प्रणालीगत समस्याएँ हैं, खासकर दूरदराज़ के क्षेत्रों में।
  • बुनियादी ढाँचा और संसाधन: भारत के कई क्षेत्रों में एथलीटों को प्रभावी ढंग से प्रशिक्षित करने के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे और संसाधनों की कमी है।
    • प्रशिक्षण सुविधाओं, कोचिंग विशेषज्ञता और वित्तीय सहायता तक सीमित पहुँच संभावित प्रतिभाओं के विकास में बाधा बन सकती है।
    • कई एथलीट सरकार से अपर्याप्त वित्तीय सहायता के कारण संघर्ष करते हैं। उदाहरण के लिये, भारत के शीर्ष शीतकालीन ओलंपियन शिवा केशवन को अपने प्रशिक्षण और भागीदारी के लिये क्राउडफंडिंग का सहारा लेना पड़ा
    • भारत में अरबपतियों और निजी संपत्ति की बढ़ती संख्या के बावजूद, क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों में प्रायोजन एवं निवेश में अभी भी एक महत्त्वपूर्ण अंतर है।
  • क्रिकेट का प्रभुत्व: भारत में क्रिकेट की अत्यधिक लोकप्रियता ने खेल परिदृश्य में असंतुलन उत्पन्न  कर दिया है, जिसमें 87% खेल पूंजी क्रिकेट को आवंटित की गई है और अन्य सभी खेलों के लिये  केवल 13%। इस असंगत आवंटन ने ओलंपिक खेलों के विकास में बाधा उत्पन्न की है। 
    • क्रिकेट के अलावा एक मज़बूत खेल संस्कृति और मीडिया प्रचार की कमी एक बाधा रही है। ओलंपिक खेलों को पर्याप्त रूप से समर्थन देने और भारत में अधिक समावेशी और प्रतिस्पर्धी
    • खेल संस्कृति बनाने के लिये खेल निवेश और प्रचार हेतु अधिक संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है। 
  • अपर्याप्त खेल नीतियाँ: भारत की खेल नीतियाँ ऐतिहासिक रूप से खंडित और कम वित्तपोषित रही हैं। 
    • खेल के बुनियादी ढाँचे में सुधार और एथलीटों का समर्थन करने हेतु टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम जैसे प्रयास किये गए हैं। हालाँकि, ये पहल अपेक्षाकृत हाल ही की हैं और अभी तक महत्त्वपूर्ण परिणाम नहीं दे पाई हैं।
  • दीर्घकालिक विकास: भारत के खेल कार्यक्रम अक्सर एथलीट के दीर्घकालिक विकास के बजाय अल्पकालिक सफलताओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
    • विश्व स्तरीय एथलीट तैयार करने हेतु कई वर्षों तक निरंतर निवेश और योजना की आवश्यकता होती है।
    • उदाहरण: सफल ओलंपिक देशों के पास दीर्घकालिक विकास योजनाएँ हैं जिनमें युवा प्रतिभाओं की खोज करना, उन्हें शुरुआती प्रशिक्षण प्रदान करना और उनके कॅरियर के दौरान उनका समर्थन करना शामिल है।
  • खेल प्रशासन में भ्रष्टाचार और राजनीति: भारत में खेल प्रशासन पर अक्सर राजनेताओं और नौकरशाहों का दबदबा होता है, जिससे खेल प्रशासन का राजनीतिकरण होता है।
    • भ्रष्टाचार और नौकरशाही बाधाएँ अक्सर एथलीटों के विकास में बाधा डालती हैं, जिसमें खिलाड़ियों के हित अक्सर पीछे छूट जाते हैं।
    • भारतीय खेल संगठन, विशेष रूप से शासी निकाय, पेशेवर और व्यावसायिक क्षेत्र की चुनौतियों के अनुकूल नहीं बन पाए हैं, वे कुशल पेशेवरों को नियुक्त करने के बजाय स्वयंसेवकों पर निर्भर हैं।
    • कुश्ती महासंघ के भीतर हाल के विवाद भारतीय खेल प्रशासन को परेशान करने वाले व्यापक मुद्दों का संकेत हैं।
  • खेल संस्कृति का अभाव: भारत में खेलों की तुलना में शिक्षा को सामाजिक प्राथमिकता दी जाती है। परिवार प्रायः चिकित्सा या लेखा जैसे क्षेत्रों में कॅरियर को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि वे खेल को वित्तीय सुरक्षा हेतु कम व्यवहार्य मानते हैं।
    • जाति और क्षेत्रीय पहचान से मज़बूत संबंधों के साथ भारत का जटिल सामाजिक स्तरीकरण एकीकृत खेल संस्कृति के विकास में बाधा डालता है। कई समुदाय पारंपरिक भूमिकाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए अभिजात वर्ग के स्तर पर खेलों को आगे बढ़ाने को हतोत्साहित करते हैं।    

भारत अपने ओलंपिक प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए क्या कर सकता है?

  • ज़मीनी स्तर पर विकास: ज़मीनी स्तर पर खेलों के विकास पर अधिक ज़ोर दिया जाना चाहिये। विभिन्न खेल-विधाओं में कम उम्र से ही प्रतिभा की पहचान करना और उसका पोषण करना एक मज़बूत आधार बनाने में सहायता कर सकता है।
  • बुनियादी अवसंरचना में निवेश: विश्व स्तरीय प्रशिक्षण सुविधाओं का निर्माण और एथलीटों को सर्वोत्तम कोचिंग व सहायता प्रणाली तक पहुँच प्रदान करना महत्त्वपूर्ण है। इसमें मनोवैज्ञानिक सहायता, पोषण और चोट प्रबंधन शामिल हैं।
    • जमैका और ग्रेनेडा जैसे छोटे देश, जिनकी आबादी बहुत कम है, ओलंपिक में नियमित रूप से भारत से बेहतर प्रदर्शन करते हैं। स्प्रिंटिंग जैसे विशिष्ट खेलों में उनका केंद्रित निवेश लक्षित विकास के महत्त्व को दर्शाता है।
  • एथलीटों को सशक्त बनाना: एथलीट खेलों में प्राथमिक हितधारक हैं तथा निर्णय लेने में उनकी भागीदारी खेल संगठनों में बहुत जरूरी जवाबदेही और पारदर्शिता ला सकती है। 
  • महाविद्यालय खेल तंत्र: भारत एक महाविद्यालय/कॉलेजिएट खेल तंत्र विकसित कर सकता है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में नेशनल कॉलेजिएट एथलेटिक्स एसोसिएशन (NCAA) को प्रतिबिंबित करता है।
    • NCAA ने न केवल अमेरिका के लिये बल्कि पूरे विश्व के देशों के लिये बड़ी संख्या में ओलंपिक चैंपियन तैयार किये हैं। अगर NCAA कोई देश होता तो वह पेरिस ओलंपिक 2024 में 60 स्वर्ण पदकों के साथ पदक तालिका में शीर्ष पर होता। 
    • छोटे और बड़े देशों के कई एथलीट अपनी ओलंपिक सफलता का श्रेय NCAA में प्रशिक्षण और प्रतिस्पर्धा को देते हैं, जिससे अमेरिकी कॉलेज खेल प्रणाली वैश्विक खेलों में एक प्रमुख खिलाड़ी बन गई है।
    • भारत के महाविद्यालय खेल तंत्र को छात्रवृत्ति और शैक्षणिक सहायता प्रदान करके शैक्षणिक एवं एथलेटिक्स के बीच संतुलन बनाना चाहिये, ताकि प्रतिभाशाली एथलीटों को आकर्षित किया जा सके, अन्यथा वे खेल से बाहर हो सकते हैं।
    • विभिन्न खेलों में नियमित अंतर-महाविद्यालय और अंतर-विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं को बढ़ावा देने से युवा एथलीटों को उच्च दबाव वाली स्थितियों का अधिक अनुभव प्राप्त होगा, जिससे वे ओलंपिक जैसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिये तैयार हो सकेंगे।
  • सांस्कृतिक बदलाव: खेलों के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव आवश्यक है। परिवारों को बच्चों को खेल में कॅरियर बनाने में सहायता करने के लिये प्रोत्साहित करना और शिक्षा प्रणाली में खेलों को शामिल करना मददगार हो सकता है।
    • चीन, जो भारत के साथ कुछ सामाजिक-आर्थिक समानताएँ साझा करता है, ने कम उम्र से ही प्रतिभाओं की व्यवस्थित पहचान करके और उन्हें बढ़ावा देकर उत्कृष्टता हासिल की है। 
    • खेलों में सरकार के उद्देश्यपूर्ण और निरंतर निवेश के परिणामस्वरूप ओलंपिक में पदक प्राप्त हुए हैं।
  • सरकारी सहायता में वृद्धि: सरकार को ओलंपिक खेलों के लिये अधिक सुसंगत और पर्याप्त निधि प्रदान करनी चाहिये। इसमें एथलीटों को प्रत्यक्ष सहायता के साथ-साथ प्रशिक्षण और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन में निवेश शामिल है।
  • विकास पर ध्यान केंद्रित करना: भारत को लॉस एंजिल्स ओलंपिक- 2028 के लिये अपने एथलीटों की संख्या को 117 से बढ़ाकर तीन गुना करने का लक्ष्य रखना चाहिये ताकि अमेरिका और जापान, जिनके पास क्रमशः 600 और 400 से अधिक एथलीट हैं, के साथ बेहतर प्रतिस्पर्द्धा की जा सके।
    • इस वृद्धि से स्वाभाविक रूप से अधिक पदक मिलेंगे। भारत को केवल वर्ष 2036 में होने वाले खेलों की मेज़बानी पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, लॉस एंजिल्स (ग्रीष्मकालीन) ओलंपिक- 2028 और उसके बाद के पदकों की संख्या में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये ताकि भारत को ओलंपिक खेल राष्ट्र के रूप में स्थापित किया जा सके। पेरिस ओलंपिक गंभीर अंतर्निरीक्षण/अंतर्दर्शन और अधिगम का एक अवसर है।

भारत में खेल विकास से संबंधित पहल क्या हैं?

  • खेलो इंडिया
  • राष्ट्रीय खेल विकास कोष (NSDF)
  • भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI): इसकी स्थापना वर्ष 1984 में खेलों को बढ़ावा देने के लिये सोसायटी अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत सोसायटी के रूप में की गई थी।
  • राष्ट्रीय खेल पुरस्कार: राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार, ध्यानचंद पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार
    • ये पुरस्कार भारत में सर्वोच्च खेल सम्मान हैं, जो भारतीय एथलीट के उत्कृष्ट प्रदर्शन को दर्शाते हैं और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं।
  • दिव्यांग जनों के लिये खेल और खेल योजना: वर्ष 2009-10 में एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में शुरू किया गया, यह कार्यक्रम दिव्यांग एथलीटों को विशेष प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करता है, खेलों में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करता है तथा उनके कौशल को बढ़ाता है।
  • फिट इंडिया मूवमेंट
  • राजीव गांधी खेल अभियान: वर्ष 2014 में शुरू किये गए इस संघीय वित्त पोषित कार्यक्रम का उद्देश्य ब्लॉक स्तर पर खेल परिसरों का निर्माण करना है, जो इनडोर व आउटडोर दोनों खेलों के लिये अवसंरचना प्रदान करते हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन का विश्लेषण कीजिये। भविष्य के ओलंपिक खेलों में भारत के प्रदर्शन को बढ़ाने के लिये कौन-सी रणनीतियाँ और सुधार लागू किये जा सकते हैं?"

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स 

प्रश्न. वर्ष 2000 में स्थापित लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)

  1. इस पुरस्कार के प्रथम विजेता अमेरिकी गोल्फर टाइगर वुड्स थे।
  2. यह पुरस्कार अधिकांश 'फॉर्मूला वन' खिलाड़ियों द्वारा प्राप्त किया गया है।
  3. यह पुरस्कार रोजर फेडरर को दूसरों की तुलना में सबसे अधिक बार प्राप्त हुआ है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2  
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)