भारत और इज़रायल संबंध | 27 Jan 2022

प्रिलिम्स के लिये:

इज़रायल और इसके पड़ोसी देश। 

मेन्स के लिये:

भारत और इज़रायल संबंध, संबंधित मुद्दे और आगे की राह।

चर्चा में क्यों?

 भारत-इज़रायल राजनयिक संबंधों की 30वीं वर्षगाँठ को आकार देने के लिये भारत और इज़रायल द्वारा एक स्मारक लोगो ( commemorative logo) का शुभारंभ किया गया है।

  • इस लोगो में डेविड का सितारा और अशोक चक्र- दो प्रतीक हैं जो दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वज में प्रदर्शित होते हैं और द्विपक्षीय संबंधों की 30वीं वर्षगाँठ को दर्शाते हुए 30 का अंक बनाते है।

India-Israel

प्रमुख बिंदु

  • राजनयिक गठबंधन:
    • हालाँकि भारत ने वर्ष 1950 में इज़रायल को आधिकारिक रूप से मान्यता दे दी थी, लेकिन दोनों देशों द्वारा 29 जनवरी, 1992 को ही पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित किया गया। भारत दिसंबर 2020 तक इज़रायल के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले 164 संयुक्त राष्ट्र (UN) सदस्य राज्यों में से एक था।
  • आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध:
    • दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 1992 के 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल 2020-फरवरी 2021 की अवधि के दौरान 4.14 बिलियन अमेरिकी डॉलर (रक्षा को छोड़कर) तक पहुँच गया था, जिसमें व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में था। 
      • हीरे का व्यापार इस द्विपक्षीय व्यापार का लगभग 50% है।
    • भारत, एशिया में इज़रायल  का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और विश्व स्तर पर सातवाँ सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।
      • इज़रायल  की कंपनियों ने भारत में ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, दूरसंचार, रियल एस्टेट और जल प्रौद्योगिकियों में निवेश किया है तथा भारत में अनुसंधान एवं विकास केंद्र या उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
    • भारत एक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के समापन हेतु भी इज़रायल के साथ वार्ता कर रहा है।
  • रक्षा
    • भारत, इज़रायल के सैन्य उपकरणों का सबसे बड़ा खरीदार है, वहीं इज़रायल  रूस के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्त्ता है।
    • भारतीय सशस्त्र बलों ने पिछले कुछ वर्षों में इज़रायली हथियार प्रणालियों की एक विस्तृत शृंखला को अपने बेड़े में शामिल किया है, जिसमें फाल्कन ‘AWACS’ (एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम्स) और हेरॉन, सर्चर-II व हारोप ड्रोन, बराक एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम एवं स्पाइडर क्विक-रिएक्शन एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल प्रणाली शामिल हैं।
    • इस अधिग्रहण में कई इज़रायली मिसाइलें और सटीक-निर्देशित युद्ध सामग्री भी शामिल है, जिसमें पायथन और डर्बी हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लेकर क्रिस्टल मेज़ (Crystal Maze) और स्पाइस-2000 बम (Spice-2000 Bombs) शामिल हैं।
    • भारत और इज़रायल के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर संयुक्त कार्य समूह (JWG) की 15वीं बैठक में सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान करने के लिये एक व्यापक दस वर्षीय रोडमैप तैयार करने हेतु टास्क फोर्स बनाने पर सहमति व्यक्त की गई।
  • कृषि में सहयोग:
    • मई 2021 में कृषि विकास में सहयोग  के लिये "तीन वर्ष  के कार्य समझौते" पर हस्ताक्षर किये गए थे।
    • कार्यक्रम का उद्देश्य मौजूदा उत्कृष्टता केंद्रों को विकसित करना, नए केंद्र स्थापित करना, सीओई की मूल्य शृंखला को बढ़ाना, उत्कृष्टता केंद्रों को आत्मनिर्भर मोड में लाना और निजी क्षेत्र की कंपनियों व सहयोग को प्रोत्साहित करना है।
  • विज्ञान प्रौद्योगिकी:
    • हाल ही में भारत और इज़रायल के विशेषज्ञों ने अपनी 8वीं शासी निकाय की बैठक में भारत-इज़रायल औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास और तकनीकी नवाचार कोष (I4F) के दायरे को व्यापक बनाने पर विचार-विमर्श किया।
    • उन्होंने 5.5 मिलियन अमेरिकी डाॅलर की 3 संयुक्त रिसर्च एंड डेवलपमेंट परियोजनाओं को मंजूरी दी और एक व्यापक भारत-इज़रायल सहयोगी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के उपायों का सुझाव दिया गया।
      • I4F 'प्रमुख क्षे त्रो' में चुनौतियों का समाधान करने के लिये भारत और इज़रायल की कंपनियों के बीच संयुक्त औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने, सुविधा प्रदान करने एवं समर्थन करने हेतु दोनों देशों के बीच एक सहयोग है।
  • अन्य:
    • इज़रायल, भारत के नेतृत्व वाले अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) में भी शामिल हो रहा है, जो दोनों देशों के अक्षय ऊर्जा में सहयोग बढ़ाने और स्वच्छ ऊर्जा में भागीदारी उद्देश्यों के साथ अच्छी तरह से संरेखित है।

Israel

आगे की राह

  • दोनों देशों के बीच संबंधों में वर्ष 1992 से मुख्य रूप से साझा रणनीतिक हितों और सुरक्षा खतरों के कारण वृद्धि हुई है।
  • भारत इज़रायल के प्रति सहानुभूति रखता है और सरकार अपने राष्ट्रीय हित के आधार पर अपनी पश्चिम एशिया नीति को संतुलित एवं  पुनर्गठित कर रही है।
  • भारत और इज़रायल को अपने धार्मिक चरमपंथी पड़ोसियों की भेद्यता व  जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी, जनसंख्या विस्फोट तथा  भोजन की कमी जैसे वैश्विक मुद्दों पर उत्पादक रूप से काम करने की आवश्यकता है।
  • एक अधिक आक्रामक और सक्रिय मध्य पूर्वी नीति भारत के लिये समय की आवश्यकता है ताकि अब्राहम समझौते द्वारा धीरे-धीरे किये जा रहे भू-राजनीतिक पुनर्गठन का अधिकतम लाभ उठाया जा सके।

स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स