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भारत दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक: SIPRI

  • 11 Mar 2025
  • 8 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट  के अनुसार, वैश्विक हथियार आयात में भारत की हिस्सेदारी वर्ष 2020-24 की अवधि में घटकर 8.3% हो गई, जिससे यह यूक्रेन के बाद दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक बन गया।

शस्त्र व्यापार पर रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • भारत: वर्ष 2015-19 की तुलना में भारत के हथियार आयात में 9.3% की गिरावट आई है। रूस, भारत का शीर्ष आपूर्तिकर्ता बना रहा लेकिन इसकी हिस्सेदारी 72% (वर्ष 2010-14) से घटकर 36% (वर्ष 2020-24) रह गई।
    • फ्राँस भारत का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा (इसके कुल निर्यात का 28% भारत को गया है) है।
  • भारत के पड़ोसी देश: पाकिस्तान के हथियार आयात में 61% की वृद्धि हुई है। चीन द्वारा पाकिस्तान के कुल हथियार आयात के 81% की आपूर्ति की गई।
    • वर्ष 1990-94 के बाद पहली बार चीन शीर्ष 10 हथियार आयातकों से बाहर हो गया, क्योंकि उसके हथियार आयात में 64% की गिरावट आई है, जिससे इसके मज़बूत घरेलू रक्षा उद्योग पर प्रकाश पड़ता है।
  • एशिया और ओशियानिया: भारत, पाकिस्तान, जापान और ऑस्ट्रेलिया वर्ष 2020-24 के अनुसार वैश्विक स्तर पर 10 सबसे बड़े हथियार आयातकों में शामिल हैं।
    • अमेरिका: यह सबसे बड़े हथियार निर्यातक के रूप में अपनी स्थिति बनाए हुए है तथा प्रमुख रूप से यूक्रेन, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के सहयोगियों एवं एशिया-प्रशांत देशों को हथियार आपूर्ति करता है।
  • यूरोप: यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की प्रतिक्रिया में देशों द्वारा रक्षा व्यय बढ़ाए जाने के कारण यूरोपीय हथियारों के आयात में 155% की वृद्धि हुई है।
    • फ्राँस, रूस को पीछे छोड़कर दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक बन गया है, भारत (28%) शीर्ष खरीदार है, उसके बाद कतर का स्थान है। 
      • भारत ने फ्राँस से राफेल जेट और स्कॉर्पीन पनडुब्बियाँ खरीदीं।
    • रूस के साथ युद्ध के कारण यूक्रेन में हथियारों के आयात में 100 गुना वृद्धि देखी गई। वैश्विक हथियारों के आयात में यूक्रेन का हिस्सा 8.8% रहा, जिसमें अमेरिका, जर्मनी और पोलैंड शीर्ष आपूर्तिकर्त्ता थे।
  • रूस: पश्चिमी प्रतिबंधों और उत्पादन बाधाओं के कारण रूस का वैश्विक हथियार निर्यात 64% घटकर 7.8% (तीसरे स्थान) रह गया।
    • हालाँकि, भारत (38%), चीन (17%), और कज़ाकिस्तान (11%) इसके शीर्ष खरीदार बने रहे।
  • मध्य पूर्व: हथियारों के आयात में 20% की गिरावट आई, लेकिन यह क्षेत्र प्रमुख आयातक बना हुआ है, कतर विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक बन गया है।
  • वैश्विक हथियार हस्तांतरण: वैश्विक शस्त्र हस्तांतरण 2015-19 और 2010-14 की तुलना में स्थिर रहा, लेकिन 2005-09 की तुलना में 18% अधिक था, जिसमें यूरोप और अमेरिका में बढ़ते आयात की भरपाई चीन जैसे अन्य क्षेत्रों में कमी से हुई।

हथियारों के आयात को कम करने के लिये भारत की क्या पहल हैं?

  • बजट: बजट 2024-25 में रक्षा के लिये 6.21 लाख करोड़ रुपए आवंटित किये गए, जिसमें 75% पूंजीगत खरीद घरेलू निर्माताओं के लिये आरक्षित है।
    • भारतीय विक्रेताओं से खरीद को सुविधाजनक बनाने के लिये संयुक्त कार्यवाही के माध्यम से आत्मनिर्भर पहल (सृजन) पोर्टल शुरू किया गया।
  • उत्पादन: भारत का रक्षा उत्पादन वर्ष 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड मूल्य तक पहुँच गया, जो वर्ष 2014-15 से 174% अधिक है।
    • वर्ष 2023-24 में भारत के रक्षा निर्यात के लिये शीर्ष तीन गंतव्य अमेरिका, फ्राँस और आर्मेनिया थे।
  • सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ: रक्षा वस्तुओं से संबंधित पाँच 'सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ' जारी की गई हैं। इन सूचियों में इन वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है, तथा यह सुनिश्चित किया गया है कि इनका उत्पादन भारत में ही किया जाए।
  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020: विदेशी खरीद की तुलना में घरेलू खरीद को प्राथमिकता दी गई।
    • "खरीदारी (भारतीय-स्वदेशी रूप से तैयार, विकसित एवं निर्मित-IDDM)" जैसी श्रेणियाँ शुरू की गईं।
    • रक्षा विनिर्माण में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये मेक-I और मेक-II परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाता है।
  • रक्षा औद्योगिक गलियारे (DIC): रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो गलियारे स्थापित किये गए।
  • निजी क्षेत्र एवं FDI भागीदारी: रक्षा विनिर्माण में स्वचालित मार्ग से 74% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और सरकारी मार्ग से 100% निर्धारित किया गया।
    • भारत के कुल रक्षा उत्पादन में 21% योगदान निजी क्षेत्र का है।
  • रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयाँ (DPSU): भारत में 16 DPSU हैं, जिनमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स शामिल हैं।
    • DPSU के नेतृत्व में प्रमुख स्वदेशीकरण परियोजनाओं में INS विक्रांत (भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक), LCA तेजस (HAL द्वारा विकसित उन्नत लड़ाकू जेट) शामिल हैं।
  • अनुसंधान एवं विकास एवं नवाचार: iDEX (रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार) पहल अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी विकसित करने में स्टार्टअप्स और MSME को बढ़ावा देती है।
  • भावी लक्ष्य: वर्ष 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपए के उत्पादन के साथ भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपए मूल्य का रक्षा उत्पादन करना है। 

Atmanirbhar_in_Defence

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. हाल के वर्षों में भारत के रक्षा उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये सरकार की पहलों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:  

प्रश्न. रक्षा क्षेत्रक में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफ.डी.आई.) को अब उदारीकृत करने की तैयारी है। भारत की रक्षा और अर्थव्यवस्था पर अल्पकाल और दीर्घकाल में इसके क्या प्रभाव अपेक्षित हैं? (2014)

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