DAP पर सब्सिडी बढ़ी | 24 May 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार ने किसानों के लिये बिक्री मूल्य को मौजूदा स्तर पर बनाए रखने हेतु डी-अमोनियम फॉस्फेट (Di-Ammonium Phosphate- DAP) उर्वरक पर सब्सिडी को बढ़ाकर 140 प्रतिशत कर दिया है।
- हाल ही में DAP में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें 60% से 70% तक बढ़ गई हैं।
प्रमुख बिंदु
डी-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) के बारे में:
- यूरिया के बाद DAP भारत में दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उर्वरक है।
- किसान आमतौर पर इस उर्वरक का प्रयोग बुवाई से ठीक पहले या शुरुआत में ही करते हैं, क्योंकि इसमें फॉस्फोरस (P) की मात्रा अधिक होती है जो जड़ के विकास में वृद्धि करता है।
- DAP (46% पी, 18% नाइट्रोजन) किसानों के लिये फॉस्फोरस का पसंदीदा स्रोत है। यह यूरिया के समान है, जो उनका पसंदीदा नाइट्रोजन युक्त उर्वरक है जिसमें 46% N होता है।
उर्वरकों के लिये सब्सिडी योजना के बारे में:
- वर्तमान योजना के तहत यूरिया की MRP तय है लेकिन सब्सिडी अलग-अलग हो सकती है, जबकि DAP की MRP नियंत्रणमुक्त है (यानी सब्सिडी तय है लेकिन MRP अलग-अलग हो सकती है)।
- सभी गैर-यूरिया आधारित उर्वरकों को पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी योजना के तहत विनियमित किया जाता है।
पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS )
- NBS के तहत इन उर्वरकों में निहित पोषक तत्त्वों (N, P, K & S) के आधार पर किसानों को रियायती दरों पर उर्वरक प्रदान किये जाते हैं।
- साथ ही जिन उर्वरकों को माध्यमिक और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों जैसे मोलिब्डेनम (Molybdenum- Mo) और ज़स्ता के साथ मज़बूत किया जाता है, उन्हें अतिरिक्त सब्सिडी दी जाती है।
- फॉस्फेटिक और पोटैसिक (P&K) उर्वरकों पर सब्सिडी की घोषणा सरकार द्वारा प्रति किलो के आधार पर प्रत्येक पोषक तत्त्व के लिये वार्षिक आधार पर की जाती है जो कि P&K उर्वरकों की अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू कीमतों, विनिमय दर, देश में सूची स्तर आदि को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की जाती है।
- NBS नीति का इरादा P&K उर्वरकों की खपत में वृद्धि करना है ताकि NPK उर्वरक का इष्टतम संतुलन (N:P:K= 4:2:1) हासिल किया जा सके।
- इससे मृदा के स्वास्थ्य में सुधार होगा और परिणामस्वरूप फसलों की उपज में वृद्धि होगी, जिसके परिणामस्वरूप किसानों की आय में वृद्धि होगी।
- साथ ही सरकार को उर्वरकों के तर्कसंगत उपयोग की उम्मीद है, इससे उर्वरक सब्सिडी का बोझ भी कम होगा।
- इसे उर्वरक और रसायन मंत्रालय के उर्वरक विभाग द्वारा अप्रैल 2010 से क्रियान्वित किया जा रहा है।
NBS से संबंधित मुद्दे:
- उर्वरकों की कीमत में असंतुलन:
- इस योजना में यूरिया को छोड़ दिया गया है और इसलिये इसका मूल्य नियंत्रण में रहता है क्योंकि केवल अन्य उर्वरकों पर ही NBS लागू किया गया है।
- उर्वरकों (यूरिया के अलावा) की कीमत जो कि विनियंत्रित थी, 2010-2020 दशक के दौरान 2.5 से चार गुना तक बढ़ गई है।
- हालाँकि वर्ष 2010 के बाद से यूरिया की कीमत में केवल 11% की वृद्धि हुई है। इससे किसान पहले की तुलना में अधिक यूरिया का उपयोग कर रहे हैं, जिससे उर्वरक असंतुलन में और अधिक वृद्धि हुई है।
- अर्थव्यवस्था और पर्यावरण लागत:
- खाद्य सब्सिडी के बाद उर्वरक सब्सिडी दूसरी सबसे बड़ी सब्सिडी है, NBS नीति न केवल अर्थव्यवस्था के वित्तीय स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा रही है बल्कि देश की मिट्टी के स्वास्थ्य के लिये भी हानिकारक साबित हो रही है।
- कालाबाज़ारी: सब्सिडी वाले यूरिया को थोक खरीदारों/व्यापारियों या यहाँ तक कि गैर-कृषि उपयोगकर्त्ताओं जैसे कि प्लाईवुड और पशु चारा निर्माताओं को दिया जा रहा है।
- इसकी तस्करी बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में की जा रही है।
DAP पर सब्सिडी बढ़ाने के निहितार्थ:
- चूँकि किसान खरीफ फसलों के लिये बुवाई का कार्य शुरू कर देंगे, इसलिये उनके लिये सब्सिडी दर पर उर्वरक प्राप्त करना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है ताकि मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखा जा सके।
- राजनीतिक रूप से सरकार चाहती है कि कोविड की दूसरी लहर के समय किसान विरोध को रोका जाए।