प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 17 अप्रैल, 2020
- 17 Apr 2020
- 12 min read
खरीफ फसलों पर राष्ट्रीय सम्मेलन: 2020
National Conference on Kharif Crops: 2020
16 अप्रैल, 2020 को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री (Union Minister of Agriculture and Farmers' Welfare) ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से खरीफ फसलों पर राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की।
उद्देश्य:
- इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के मद्देनज़र खरीफ की खेती के लिये तैयारियों के बारे में राज्यों के परामर्श से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करना एवं उचित कदम उठाना था।
मुख्य बिंदु:
- इस सम्मेलन में कहा गया कि सभी राज्यों को खरीफ फसलों से संबंधित लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिये और किसानों की आय दोगुनी करने का काम मिशन मोड में लिया जाना चाहिये।
- वर्ष 2020-21 के लिये खाद्यान्न का लक्ष्य 298 मिलियन टन निर्धारित किया गया है। जो वर्ष 2019-20 के लिये 291 मिलियन टन था।
- इस सम्मेलन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री द्वारा दो योजनाओं (प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना) पर मुख्य रूप से ज़ोर दिया गया।
- सम्मेलन में बताया गया कि अखिल भारतीय कृषि परिवहन कॉल सेंटर (All India Agri Transport Call Centre) को यह सुनिश्चित करने के लिये शुरू किया गया है कि लॉकडाउन के कारण कृषि प्रभावित न हो।
- इस सम्मेलन में COVID-19 के मद्देनज़र लॉकडाउन की स्थिति से निपटने के लिये कुछ अन्य पहलों पर भी चर्चा की गई। जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना के तहत ‘प्रति बूँद अधिक फसल’ (Per Drop More Crop) की गहनता पर ज़ोर दिया जा रहा है।
- पीएम-आशा योजना: इस योजना के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) उत्पादन लागत से कम-से-कम 2 गुना के स्तर पर तय किया जाना है।
- COVID-19 के कारण मंडियों में भीड़ कम करने एवं किसानों को अपनी उपज बेचने में मदद करने के लिये ई-नाम (e-NAM) पहल के लिये नए परिचालन दिशा-निर्देश तैयार किये गए हैं।
त्रिशूर पूरम उत्सव
Thrissur Pooram Festival
COVID-19 के कारण राष्ट्रव्यापी लाॅकडाउन की स्थिति को देखते हुए केरल में आयोजित होने वाले त्रिशूर पूरम उत्सव (Thrissur Pooram Festival) को पहली बार रद्द कर दिया गया है।
मुख्य बिंदु:
- इस वर्ष त्रिशूर पूरम उत्सव 2 मई को आयोजित किया जाएगा किंतु COVID-19 के कारण राष्ट्रव्यापी लाकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया गया है परिणामतः केरल सरकार ने इसे रद्द करने का निर्णय लिया।
- COVID-19 के कारण आमतौर पर अप्रैल से शुरू होने वाली वार्षिक पूरम प्रदर्शनी को भी रद्द कर दिया गया है।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान त्रिशूर पूरम उत्सव को सीमित तौर पर आयोजित किया गया था किंतु इस बार इसे पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है।
त्रिशूर पूरम उत्सव (Thrissur Pooram Festival):
- त्रिशूर पूरम भारत के केरल राज्य में आयोजित किया जाने वाला एक वार्षिक हिंदू त्योहार है।
- इसे प्रत्येक वर्ष त्रिशूर के वडक्कुनाथन मंदिर (Vadakkunnathan Temple) में पूरम दिन (मलयालम कैलेंडर के अनुसार पूरम वह दिन होता है जब मेडम (Medam) महीने में चंद्रमा पूरम तारे के साथ उदय होता है।) पर आयोजित किया जाता है। यह सभी पूरम में सबसे बड़ा एवं सबसे प्रसिद्ध है।
ऐतिहासिक संदर्भ:
- त्रिशूर पूरम उत्सव के लिये राजा राम वर्मा का योगदान उल्लेखनीय है जो कोचीन के महाराजा (1790–1805) थे और सक्थान थामपुरन (Sakthan Thampuran) के नाम से मशहूर थे।
- त्रिशूर पूरम की शुरुआत से पहले, केरल में सबसे बड़ा मंदिर उत्सव अरट्टुपुझा (Aarattupuzha) में आयोजित एक दिवसीय उत्सव था जिसे अरट्टुपुझा पूरम (Arattupuzha Pooram) के नाम से जाना जाता था।
प्रतिभागी:
- त्रिशूर के मुख्य मंदिरों जैसे- परमेक्कावु देवी (Paramekkavu Devi) मंदिर और तिरुवंबादि श्री कृष्ण (Thiruvambadi Sri Krishna) मंदिर में भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करनी होती है।
- उपर्युक्त दोनों मंदिर उत्सव के दौरान एक-दूसरे का विरोध करते हैं और उनकी ‘हाथियों की टीम’ एक दूसरे के साथ छठे दिन हाथी जुलूस, आतिशबाजी एवं समग्र सांस्कृतिक प्रतिनिधित्त्व के माध्यम से प्रतिस्पर्द्धा करती है।
- पंद्रह हाथियों का एक भव्य प्रदर्शन इस त्योहार के सबसे प्रमुख पहलुओं में से एक है। इन पंद्रह हाथियों को स्वर्ण धागों से सजाया जाता है।
- आतिशबाजी केरल के मंदिर समारोहों का एक अभिन्न हिस्सा है किंतु त्रिशूर पूरम को केरल में ‘सभी उत्सवों की माँ’ (Mother of All Festivals) के रूप में संदर्भित किया जाता है जो आतिशबाजी एवं मंदिर के उत्सवों की जननी है।
चित्रा जीनलैम्प-एन
Chitra GeneLAMP-N
केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज़ एंड टेक्नोलॉजी ने एक नैदानिक परीक्षण किट चित्रा जीनलैम्प-एन (Chitra GeneLAMP-N) विकसित की है जो कम लागत पर 2 घंटे में COVID-19 की पुष्टि कर सकती है।
- श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज़ एंड टेक्नोलॉजी भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology) के तहत कार्य करता है।
मुख्य बिंदु:
- चित्रा जीनलैम्प-एन, SARS-CoV-2N-जीन के लिये अत्यधिक विशिष्ट है और यह जीन के दो क्षेत्रों का पता लगा सकते हैं जो यह सुनिश्चित करता है कि वायरल जीन का एक क्षेत्र अपने मौजूदा प्रसार के दौरान उत्परिवर्तन से गुजरता है या नहीं।
- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research's- ICMR) के अंतर्गत केरल के अलप्पुझा में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) द्वारा किये गए परीक्षण बताते हैं कि चित्रा जीनलैम्प-एन 100% सटीक है और इसके द्वारा किये गए परीक्षण RT-PCR किट द्वारा किये गए परीक्षण के परिणामों से मैच करते हैं।
- भारत में COVID-19 परीक्षण के लिये, ICMR को इसे मंज़ूरी देने का अधिकार दिया गया है जिसके निर्माण के लिये CDSCO से लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता है।
- भारत में मौजूदा पीसीआर किट से स्क्रीनिंग के लिये ई-जीन और पुष्टि के लिये आरडीआरपी-जीन (Rdrp-Gene) का पता लगाते हैं। चित्रा जीनलैम्प-एन किट से जीन टेस्टिंग के खर्च में काफी कमी आएगी और स्क्रीनिंग टेस्ट के बिना ही पुष्टि हो सकेगी।
- इस किट के माध्यम से COVID-19 संक्रमण का पता लगाने का समय केवल 10 मिनट है जबकि अंतिम परिणाम देने में 2 घंटे तक का समय लग जाता है।
- इस किट में एक बार में कुल 30 नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है जिससे प्रत्येक दिन अधिक संख्या में नमूनों की जाँच की जा सकती है।
- इस चित्रा जीनलैम्प-एन परीक्षण किट के अलावा उपरोक्त संस्थान ने विशिष्ट RNA निष्कर्षण किट (RNA Extraction Kits) भी विकसित किये हैं।
- उपरोक्त तकनीक को एम/एस अगप्पे डायग्नोस्टिक्स लिमिटेड (M/S Agappe Diagnostics Ltd), एर्नाकुलम में निर्माण के लिये हस्तांतरित किया गया है जो राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय परिचालनों के साथ इन-विट्रो डायग्नोस्टिक्स (In-Vitro Diagnostics) की एक अग्रणी कंपनी है।
पत्रकारिता राहत कोष
Journalism Relief Fund
गूगल (Google) कंपनी ने 15 अप्रैल, 2020 को कहा कि वह COVID-19 महामारी के दौरान अपने परिचालन हेतु संघर्षरत स्थानीय समाचार आउटलेट्स की मदद के लिये एक आपातकालीन फंड ‘पत्रकारिता राहत कोष’ (Journalism Relief Fund) लॉन्च करेगा।
मुख्य बिंदु:
- गूगल कंपनी का पत्रकारिता राहत कोष मीडिया क्षेत्र को सहयोग देने के लिये है जो COVID-19 महामारी के दौरान वैश्विक उपभोक्ताओं की कमी, गहन आर्थिक मंदी एवं विज्ञापन राजस्व में गिरावट से जूझ रहा है।
- यह वित्तीय सहायता गूगल समाचार पहल के हिस्से के रूप में COVID-19 महामारी के आर्थिक संकट से प्रभावित स्थानीय समाचार-पत्रों के लिये है।
- न्यूयॉर्क टाइम्स ने अनुमान लगाया है कि स्वास्थ्य संकट और बाद में इसके आर्थिक प्रभाव के परिणामस्वरूप समाचार आउटलेट्स ने 28,000 नौकरियों में कटौती की है।
- वहीँ 30 मार्च, 2020 को फेसबुक ने कोरोनावायरस महामारी से वैश्विक स्तर पर संकट से जूझ रहे समाचार संस्थाओं को समर्थन देने के लिये $ 100 मिलियन की घोषणा की थी।