पी-नोट्स के माध्यम से निवेश में वृद्धि | 22 Aug 2020
प्रिलिम्स के लिये:पी-नोट्स, डेरीवेटिव, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड मेन्स के लिये:पी-नोट्स के माध्यम से भारत में बढ़ता निवेश |
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय पूंजी बाज़ारों में पी-नोट्स (P-Notes) के माध्यम से निवेश बढ़कर जुलाई, 2020 के अंत तक 63288 करोड़ रुपए हो गया है। पी-नोट्स के माध्यम से निवेश में यह लगातार चौथी मासिक वृद्धि है।
प्रमुख बिंदु:
- निवेश से संबंधित आँकड़े
- पी-नोट्स (P-Notes) के माध्यम से जुलाई 2020 के अंत तक 63288 करोड़ रुपए का निवेश हुआ। जिसके अंतर्गत इक्विटी में 52,356 करोड़ रुपए का, ऋणों में 10,429 करोड़ रुपए का, हाइब्रिड प्रतिभूतियों में 250 करोड़ रुपए का, डेरीवेटिव्स में 190 करोड़ रुपए का निवेश किया गया।
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डेरीवेटिव (Derivative) एक वित्तीय साधन है जो अंतर्निहित परिसंपत्तियों से इसका मूल्य प्राप्त करता है।
- जून 2020 के अंत में पी-नोट्स के माध्यम से निवेश 62138 करोड़ रुपए था।
- इससे पहले मई एवं अप्रैल के अंत में निवेश क्रमशः 60027 करोड़ रुपए और 57100 करोड़ रुपए था।
- मार्च 2020 के अंत में निवेश 15 वर्ष के निचले स्तर 48,006 करोड़ रुपए पर आ गया था।
- मार्च 2020 के अंत में यह आंंकड़ा अक्तूबर 2004 के बाद से निवेश के सबसे निचले स्तर पर था जब भारतीय बाज़ारों में पी-नोट्स के माध्यम से निवेश का कुल मूल्य 44,586 करोड़ रुपए था।
पी-नोट्स (P-Notes):
- पी-नोट्स या ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स (ODIs), पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPIs) द्वारा विदेशी निवेशकों, हेज़ फंड और विदेशी संस्थानों को जारी किये जाते हैं, जो सेबी में पंजीकृत हुए बिना भारतीय शेयर बाज़ार में निवेश करना चाहते हैं।
- यद्यपि सेबी ने विदेशी निवेशकों द्वारा जारी किये जाने वाले प्रत्येक पी-नोट्स (Participatory Notes) के लिये 1,000 डॉलर का नियामक शुल्क लगाया है ताकि सट्टे (Speculation) के लिये पी-नोट्स का प्रयोग न किया जा सके है। अब, यह शुल्क प्रत्येक पी-नोट्स जारी करने वाले सभी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) पर लगाया जाता है।
- सेबी, पी-नोट्स जारी करने वाले पर प्रत्येक तीन वर्ष में 1,000 डॉलर का शुल्क लगाता है। इसका मतलब यह है कि यदि कोई FPI पाँच अलग-अलग निवेशकों को पी-नोट्स जारी करता है, तो उसे 5,000 डॉलर का भुगतान शुल्क के रूप में जमा करना पड़ता है।
वित्तीय बाज़ार (Financial Markets):
- वित्तीय बाज़ारों को उनमें कारोबार किये गए वित्तीय साधनों की परिपक्वता के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
- मुद्रा बाज़ार (Money Market) में एक वर्ष से कम की परिपक्वता वाले वित्तीय उपकरणों का कारोबार किया जाता है। जैसे- ट्रेजरी बिल, वाणिज्यिक पत्र आदि।
- पूंजी बाज़ार (Capital Market) में अधिक समय की परिपक्वता वाले उपकरणों का कारोबार होता है। जैसे- शेयर, डिबेंचर आदि।