अंतर्राष्ट्रीय संबंध
सेबी ने पी-नोट्स नियमों को किया सख्त
- 31 May 2017
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संदर्भ
सेबी ने विदेशी निवेशकों द्वारा जारी किये जाने वाले प्रत्येक सहभागी-नोट (Participatory notes) के लिये 1,000 डॉलर का नियामक शुल्क लगाने की योजना बनाई है ताकि सट्टे (Speculation) के लिये पी-नोट्स का प्रयोग न किया जा सके है। अब, यह शुल्क प्रत्येक पी-नोट्स जारी करने वाले सभी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर लगाया जाएगा।
क्या है पी-नोट्स (p -notes)?
पी-नोट्स या ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स (ODIs), पंजीकृत एफ.पी.आई. (FPIs) द्वारा विदेशी निवेशकों, हेज फंड और विदेशी संस्थानों को जारी किये जाते हैं, जो सेबी में पंजीकृत हुए बिना भारतीय शेयर बाज़ार में निवेश करना चाहते हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- सेबी ने उन पी-नोट्स पर भी प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया है जिनका प्रयोग विशुद्ध रूप से सट्टे के लिये किया जाता है।
- अप्रैल 2017 के अंत में इस तरह के उपकरणों का मूल्य 1.68 खरब रुपए था जो भारतीय शेयरों एवं इक्विटी डेरिवेटिव बाज़ार में कुल विदेशी निवेश का लगभग 6% था।
- अपनी अपारदर्शी प्रकृति के कारण पी-नोट्स को काले धन का निवेश करने के साधन के रूप में जाना जाता रहा है।
- सेबी, पी-नोट्स जारी करने वाले पर प्रत्येक तीन साल में 1,000 डॉलर का शुल्क लगाएगा। इसका मतलब यह है कि अगर कोई एफ.पी.आई. पाँच अलग-अलग निवेशकों को पी-नोट जारी करता है, तो उसे 5,000 डॉलर का भुगतान शुल्क के रूप में करना पड़ेगा।
- ओ.डी.आई. जारीकर्त्ताओं की रिपोर्ट के आधार पर यह पाया गया कि कई ओ.डी.आई. ग्राहकों ने अलग-अलग पी-नोट्स जारीकर्त्ताओं के माध्यम से निवेश किया है।
- सेबी ने यह भी सुझाव दिया है कि जो निवेशक पी-नोट्स का उपयोग सट्टे के लिये करते हैं, वे इसे 2020 तक बंद कर दें।
- सरकार और बाज़ार नियामक लगातार ओ.डी.आई. नियमों को मज़बूत कर रहे हैं ताकि एफ.पी.आई. के माध्यम से प्रत्यक्ष पंजीकरण को बढ़ावा दिया जा सके और आभासी अर्थव्यवस्था (Shadow Economy) को नियंत्रित किया जा सके।
- सेबी ने ओ.डी.आई. के स्थानांतरण को प्रतिबंधित किया है, साथ ही यह भी कहा कि अनिवासी भारतीयों को पी-नोट्स जारी नहीं किये जाएँ।
क्या होगा लाभ?
- यह ओ.डी.आई. को सीधे एफ.पी.आई. के तौर पर पंजीकरण कराने के लिये प्रोत्साहित करेगा।
- 1,000 डॉलर के विनियामक शुल्क द्वारा मध्यस्थता के अवसरों को कम किया जा सकेगा।
- इससे अधिक एफ.पी.आई. पंजीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
- इस घोषणा से नकली सट्टेबाजों (Naked Speculators) पर रोक लग सकेगी, जो कि भारतीय बाज़ारों में वायदा कारोबार (Future Trading) जैसे व्यापार करने के लिये ही निवेश करते थे।
- इन नियमों से ओ.डी.आई. जारी करने और निगरानी रखने की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। साथ ही, काले धन पर भी लगाम लग सकेगी।
निष्कर्ष
सेबी के इस कदम से शेयर बाज़ार में होने वाले अनावश्यक उतार-चढाओं को रोकने में मदद मिलेगी। अर्थव्यवस्था में शैल कंपनियों के माध्यम से होने वाले काले धन के निवेश को भी रोकने में मदद मिलेगी। ज्ञातव्य है कि शैल कंपनी एक कॉर्पोरेट इकाई होती है जो बिना सक्रिय व्यवसाय संचालन या महत्त्वपूर्ण परिसंपत्तियों के कार्य करती है। इन कम्पनियों को अक्सर करों से बचने के लिए बनाया जाता है।