लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

इब्‍सा फोरम

  • 16 Aug 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र, इब्सा, बांडुंग सम्मेलन 1955, गुटनिरपेक्ष आंदोलन

मेन्स के लिये:

IBSA का गठन एवं इसके उद्देश्य, एक अवसर के रुप में IBSA 

चर्चा के क्यों?  

हाल ही में भारत द्वारा भारत-ब्राज़ील-दक्षिण अफ्रीका (India-Brazil-South Africa- IBSA) के पर्यटन मंत्रियों की वर्चुअल बैठक का आयोजन किया गया।

  • भारत वर्तमान में IBSA का अध्यक्ष है।

IBSA-Forum

प्रमुख बिंदु 

IBSA के बारे में:

  • IBSA, दक्षिण-दक्षिण सहयोग और विनिमय (South-South Cooperation and Exchange) को बढ़ावा देने हेतु भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका के मध्य एक त्रिपक्षीय विकासात्मक पहल है।
  • दक्षिण-दक्षिण सहयोग (SSC) का विचार कोई नया नहीं है बल्कि इस फोरम के उद्भव की पहल  बांडुंग सम्मेलन 1955, गुटनिरपेक्ष आंदोलन 1961, जी77 समूह, अंकटाड, ब्यूनस आयर्स प्लान ऑफ एक्शन-1978 और वर्ष 2009 की नैरोबी घोषणा में देखी जा सकती है। 

गठन: 

  • इस समूह को औपचारिक रूप और IBSA संवाद मंच/फोरम का नाम उस दौरान दिया गया जब तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने 6 जून, 2003 को ब्रासीलिया (ब्राज़ील) में मुलाकात की और ब्रासीलिया घोषणा जारी की गई।

मुख्यालय: 

  • IBSA का कोई मुख्यालय या स्थायी कार्यकारी सचिवालय नहीं है।
  • उच्चतम स्तर पर इसे राज्य और सरकार के प्रमुखों के शिखर सम्मेलन में के रुप में देखा जाता है।
    • अब तक IBSA के पांँच शिखर सम्मेलनों का आयोजन किया जा चुका है। 5वांँ IBSA शिखर सम्मेलन वर्ष 2011 में प्रिटोरिया (दक्षिण अफ्रीका) में आयोजित किया गया था। छठे IBSA शिखर सम्मेलन की मेज़बानी भारत द्वारा की जानी है।

संयुक्त नौसेना अभ्यास:

  • IBSAMAR (इब्सा समुद्री अभ्यास), IBSA त्रिपक्षीय रक्षा सहयोग का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
  • IBSAMAR के अब तक छह संस्करण आयोजित किये जा चुके हैं, नवीनतम अक्तूबर 2018 में दक्षिण अफ्रीका के तट पर आयोजित किया गया था।

IBSA फंड/कोष:

  • वर्ष 2004 में इस कोष की स्थापना की गई। IBSA कोष (भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका गरीबी एवं भूख उन्मूलन सुविधा) एक अनूठा कोष है जिसके माध्यम से सदस्य विकासशील देशों में इब्सा वित्तपोषण के साथ विकास परियोजनाओं को निष्पादित किया जाता है।
  • इस कोष का प्रबंधन संयुक्त राष्ट्र (UN) ऑफिस फॉर साउथ-साउथ कोऑपरेशन (UNOSSC) द्वारा किया जाता है। प्रत्येक IBSA सदस्य देश को इस कोष में प्रतिवर्ष 1 मिलियन डालर का योगदान करना आवश्यक है।
  • उद्देश्य:
    • दक्षिणी देशों में गरीबी एवं भूख का उन्मूलन करना
    • वैश्विक दक्षिण देशों में प्रतिकृति एवं स्केलेबल परियोजनाओं के निष्पादन की सुविधा के माध्यम से गरीबी एवं भूख के खिलाफ लड़ाई में सर्वोत्तम प्रथाओं का विकास करना
    • दक्षिण-दक्षिण सहयोग एजेंडा का नेतृत्व करना
    • विकास के लिये नई साझेदारियों का निर्माण करना।

IBSA फैलोशिप कार्यक्रम:

  • यह विश्व स्तर पर सतत् विकास के समन्वय और समर्थन के लिये एक बहुपक्षीय संस्थागत ढाँचे; मैक्रो-अर्थव्यवस्था, व्यापार व विकास के क्षेत्र में सहयोग एवं सूचना के आदान-प्रदान हेतु संयुक्त अनुसंधान तथा किसी अन्य क्षेत्र जो IBSA ढाँचे के भीतर महत्त्वपूर्ण हो सकता है, पर ध्यान केंद्रित  करता है।

अब तक का प्रदर्शन

  • ब्रिक्स के उदय के मद्देनज़र इसकी प्रासंगिकता:
    • ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) जैसे समान समूहों के उद्भव के मद्देनज़र समूह को अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिये एक मौलिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
    • IBSA अब तक अपना छठा शिखर सम्मेलन आयोजित करने हेतु भी असमर्थ था।
  • मानव विकास परियोजनाओं का निष्पादन:
    • बीते कुछ वर्षों में इसने 39 मिलियन डॉलर का योगदान दिया है और कुल 26 परियोजनाओं को लागू करने के लिये ‘वैश्विक दक्षिण’ (Global South) के 19 देशों के साथ साझेदारी की है।
    • इन परियोजनाओं को गिनी बिसाऊ, सिएरा लियोन, केप वर्डे, बुरुंडी, कंबोडिया, हैती, फिलिस्तीन, वियतनाम और अन्य देशों में वित्तपोषित किया गया है।
    • IBSA फंड को विभिन्न क्षेत्रों में इसके बेहतर कार्य के लिये मान्यता दी गई है और इसे ‘संयुक्त राष्ट्र साउथ-साउथ पार्टनरशिप अवार्ड 2006’, ‘यूएन मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स अवार्ड 2010 और वर्ष 2012 में ‘साउथ-साउथ एंड ट्राएंगुलर कोऑपरेशन चैंपियंस अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है।

    अवसर:

    • ब्रिक्स के उदय में:
      • पहले (MERCOSUR -SACU-India) त्रिपक्षीय PTA (अधिमान्य व्यापार समझौता) और अंततः एक मुक्त व्यापार क्षेत्र (FTA) सुनिश्चित करने की दिशा में सामूहिक रूप से काम करना, समूह की प्रासंगिकता सुनिश्चित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। (ब्राज़ील के लिये मर्कोसुर और दक्षिण अफ्रीका हेतु SACU)।
        • सदर्न कॉमन मार्केट (इसके स्पेनिश आद्याक्षर के लिये MERCOSUR) एक क्षेत्रीय एकीकरण प्रक्रिया है, जिसे शुरू में अर्जेंटीना, ब्राज़ील, पराग्वे और उरुग्वे द्वारा स्थापित किया गया था तथा बाद में वेनेजुएला और बोलीविया इसमें शामिल हो गए।
        • दक्षिणी अफ्रीकी सीमा शुल्क संघ (SACU) में बोत्सवाना, लेसोथो, नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका और स्वाज़ीलैंड शामिल हैं। SACU सचिवालय नामीबिया में स्थित है। SACU की स्थापना 1910 में हुई थी, जिससे यह दुनिया का सबसे पुराना सीमा शुल्क संघ बन गया।
      • समूह को ब्रिक्स और जी-20 जैसे अन्य समूहों में एक संयुक्त लॉबी के रूप में एक साथ काम करना चाहिये, जिसके वे सदस्य हैं।
    • बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार:
      • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी), आईएमएफ आदि जैसे सुधार संस्थान विकासशील देशों के बीच आर्थिक विकास के सिद्धांत के संबंध में आम सहमति बनाने के लिये कुछ आवश्यक शर्त रखते हैं।
        • भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका की यूएनएससी के स्थायी सदस्य बनने की प्रबल आकांक्षाएँ हैं।

    आगे की राह:

    • फोरम भविष्य के वैश्विक संस्थागत सुधारों हेतु एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है, यह सामूहिक रूप से एक नियम-आधारित और पारदर्शी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं वित्त प्रणाली स्थापित करने का प्रयास करता है।
    • विकास में सहयोग हेतु एक नया साझेदारी आधारित मॉडल पेश करके इस मंच ने वैश्विक दक्षिण के विकास के एजेंडे को तेज़ करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।
    • 'जन केंद्रित' दृष्टिकोण वह है जो दक्षिण-दक्षिण सहयोग को अन्य साझेदारी मॉडल से अलग करता है और इसके उन्नयन को निर्धारित करता है। विशेष रूप से जन-केंद्रित सामाजिक नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने से अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के पुनर्गठन और वैश्विक शासन सुधार संस्थानों के विकास  में तेज़ी लाने में मदद मिलेगी।

    स्रोत: पी.आई.बी.

    close
    एसएमएस अलर्ट
    Share Page
    images-2
    images-2