हंगर हॉटस्पॉट्स रिपोर्ट: FAO-WFP | 03 Aug 2021
प्रिलिम्स के लिये:खाद्य और कृषि संगठन, विश्व खाद्य कार्यक्रम, हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र, रेगिस्तानी टिड्डी मेन्स के लिये:खाद्य असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न करने वाले कारक |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में खाद्य और कृषि संगठन (FAO) तथा विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने ‘हंगर हॉटस्पॉट्स - अगस्त से नवंबर 2021’ (Hunger Hotspots - August to November 2021) नाम से एक रिपोर्ट जारी की।
- मई 2021 में जारी वर्ष 2021 की ग्लोबल फूड क्राइसिस (Global Food Crises Report) रिपोर्ट में पहले ही तीव्र खाद्य असुरक्षा की चेतावनी दी गई थी, इसके अनुसार खाद्य असुरक्षा अपने पांँच वर्ष के उच्च स्तर पर पहुंँच गई थी, जिसके कारण वर्ष 2020 में कम-से-कम 155 मिलियन लोग तीव्र खाद्य असुरक्षा के चक्र में फँस चुके थे।
प्रमुख बिंदु
प्रमुख हंगर हॉटस्पॉट्स:
- इथियोपिया, मेडागास्कर, दक्षिण सूडान, उत्तरी नाइजीरिया और यमन उन 23 देशों में शामिल हैं जहांँ अगस्त से नवंबर, 2021 तक खाद्य असुरक्षा की स्थिति तीव्रता से और अधिक खराब जाएगी।
- इथियोपिया और मेडागास्कर विश्व के सबसे नए "उच्चतम अलर्ट" भूख वाले हॉटस्पॉट हैं।
- इथियोपिया एक विनाशकारी खाद्य आपातकाल का सामना कर रहा है जिसका कारण टाइग्रे क्षेत्र में चल रहा संघर्ष है।
- इस बीच दक्षिणी मेडागास्कर में 40 वर्षों में सबसे भीषण सूखे के कारण वर्ष 2021 के अंत तक 28,000 लोगों के अकाल जैसी स्थिति का सामना करने की आशंका है।
खाद्य असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न करने वाले कारक:
- हिंसा:
- जनसंख्या का विस्थापन, कृषि भूमि का परित्याग, जन धन और संपत्ति का नुकसान, व्यापार एवं व्यवधान तथा संघर्षों के कारण बाज़ारों तक पहुंँच की हानि खाद्य असुरक्षा की स्थिति को और अधिक बढ़ा सकती है।
- अफगानिस्तान, मध्य साहेल क्षेत्र, मध्य अफ्रीकी गणराज्य आदि में हिंसक गतिविधियों के तीव्र होने की भविष्यवाणी की गई है।
- हिंसा से मानवीय सहायता तक पहुंँच बाधित होने की भी संभावना है।
- जनसंख्या का विस्थापन, कृषि भूमि का परित्याग, जन धन और संपत्ति का नुकसान, व्यापार एवं व्यवधान तथा संघर्षों के कारण बाज़ारों तक पहुंँच की हानि खाद्य असुरक्षा की स्थिति को और अधिक बढ़ा सकती है।
- महामारी के झटके:
- वर्ष 2020 में लगभग सभी निम्न और मध्यम आय वाले देश महामारी से ग्रसित आर्थिक मंदी से प्रभावित थे।
- प्राकृतिक खतरे:
- मौसम की चरम स्थिति और जलवायु परिवर्तनशीलता की अवधि के दौरान विश्व के कई हिस्सों के प्रभावित होने की संभावना है।
- उदाहरण के लिये हैती में मई के मौसम में कम वर्षा से उपज प्रभावित होने की संभावना है। दूसरी ओर औसत से कम बारिश से मुख्य चावल उगाने वाले मौसम के दौरान उपज में कमी आने की संभावना है।
- जुलाई 2021 की शुरुआत में हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र में रेगिस्तानी टिड्डी का संक्रमण एक बड़ी चिंता थी, जबकि अन्य क्षेत्र इससे अप्रभावित थे।
- खराब’ मानवीय पहुँच:
- मानवीय पहुँच विभिन्न तरीकों से सीमित है, जिसमें प्रशासनिक/नौकरशाही, आंदोलन प्रतिबंध, सुरक्षा प्रतिबंध और पर्यावरण से संबंधित भौतिक बाधाएँ शामिल हैं।
- वर्तमान में सबसे महत्त्वपूर्ण बाधाओं का सामना करने वाले देश, सहायता को उन लोगों तक पहुँचने से रोक रहे हैं, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है, जिनमें शामिल हैं अफगानिस्तान, इथियोपिया, मध्य अफ्रीकी गणराज्य आदि।
सुझाव:
- अल्पकालिक हस्तक्षेप:
- नई मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने से पूर्व' अल्पकालिक सुरक्षात्मक हस्तक्षेपों को लागू किया जाना चाहिये तथा मौजूदा मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिये।
- नीतियों का एकीकरण:
- संघर्षरत क्षेत्रों में मानवीय, विकास और शांति निर्माण नीतियों को एकीकृत करना- उदाहरण के लिये सामाजिक सुरक्षा उपायों के माध्यम से परिवारों को भोजन के लिये अल्प संपत्ति को बेचने से रोकना।
- जलवायु स्थिति को लचीला बनाना:
- लघु हितधारक किसानों को जलवायु जोखिम बीमा तथा पूर्वानुमान आधारित वित्तपोषण तक व्यापक पहुँच प्रदान करके खाद्य प्रणालियों में जलवायुविक लचीलेपन को बढ़ाना।
- लचीलेपन को सुदृढ़ करना:
- महामारी जैसे आपदा के प्रभाव' या खाद्य मूल्य अस्थिरता के प्रभाव को कम करने के लिये इन-काइंड या नकद सहायता कार्यक्रमों के माध्यम से आर्थिक स्थिति के प्रतिकूल प्रभाव हेतु सबसे कमज़ोर लोगों में लचीलेपन को मज़बूत करना।
खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु भारत द्वारा उठाए गए कदम
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन:
- इसका उद्देश्य क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता में वृद्धि के माध्यम से चावल, गेहूँ, दालें, मोटे अनाज तथा वाणिज्यिक फसलों का उत्पादन बढ़ाना है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKAY):
- इसका उद्देश्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से पहले से उपलब्ध कराए जा रहे 5 किलोग्राम सब्सिडी वाले खाद्यान्न के अलावा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को अतिरिक्त 5 किलोग्राम अनाज (गेहूँ या चावल) निशुल्क प्रदान करना है।
वन नेशन वन राशन कार्ड:
- यह भारत में भुखमरी की समस्या को संबोधित करेगा। उल्लेखनीय है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत को 117 देशों में से 102वें स्थान पर रखा गया है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि:
- यह प्रत्येक फसल चक्र के अंत में प्रत्याशित कृषि आय के अनुरूप उचित फसल स्वास्थ्य और उचित पैदावार सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न आदानों की खरीद में छोटे और सीमांत किसानों (Small and Marginal Farmers- SMF) की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने का इरादा रखता है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013:
- इसके अंतर्गत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत रियायती दर पर खाद्यान्न प्राप्त करने के लिये ग्रामीण आबादी का 75 प्रतिशत और शहरी आबादी का 50 प्रतिशत के कवरेज का लक्ष्य रखा गया है।
- अधिनियम के तहत राशन कार्ड जारी करने के उद्देश्य से घर की 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की सबसे बड़ी महिला का घर का मुखिया होना अनिवार्य है।
खाद्य और कृषि संगठन
- खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष एजेंसी है जो भूख को समाप्त करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्त्व करती है।
- प्रत्येक वर्ष विश्व में 16 अक्तूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है।
- खाद्य और कृषि संगठन की स्थापना वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ के तहत की गई थी।
- यह संयुक्त राष्ट्र के खाद्य सहायता संगठनों में से एक है जो रोम (इटली) में स्थित है। इसके अलावा विश्व खाद्य कार्यक्रम और कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष (IFAD) भी इसमें शामिल हैं।
विश्व खाद्य कार्यक्रम
- विश्व खाद्य कार्यक्रम’ (World Food Programme-WFP) एक अग्रणी मानवीय संगठन है जो आपात स्थिति में लोगों के जीवन को बचाने और परिवर्तन हेतु खाद्य सहायता प्रदान करता है, यह पोषण स्तर में सुधार करने एवं लचीलापन लाने हेतु समुदायों के साथ मिलकर कार्य करता है।
- इसे भुखमरी को समाप्त करने के प्रयासों के लिये वर्ष 2020 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था।
- इसकी स्थापना वर्ष 1961 में ‘खाद्य एवं कृषि संगठन’ (Food and Agriculture Organization- FAO) तथा ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ (United Nations General Assembly-UNGA) द्वारा अपने मुख्यालय रोम, इटली में की गई थी।
- WFP आपातकालीन सहायता के साथ-साथ पुनर्वास एवं विकास सहायता पर भी केंद्रित है।
- इसका दो-तिहाई काम संघर्ष प्रभावित देशों में होता है, जहाँ अन्य जगहों की तुलना में लोगों के तीन गुना कुपोषित होने की संभावना है।