हीटवेव की स्थिति | 14 Jun 2023
प्रिलिम्स के लिये:हीटवेव के लिये मानदंड, अल नीनो, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, जलवायु परिवर्तन के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) मेन्स के लिये:हीटवेव के कारण, प्रभाव, हीटवेव के न्यूनीकरण हेतु रणनीतियाँ, अर्बन हीट आइलैंड, आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये सेंदाई फ्रेमवर्क |
चर्चा में क्यों?
ओडिशा वर्तमान में अप्रैल 2023 से तीव्र हीटवेव का सामना कर रहा है, राज्य भर के अधिकांश निगरानी केंद्रों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक देखा गया है।
- मानसून आने में देरी को इस हीटवेव में योगदान देने वाला कारक माना जा सकता है। वर्ष 2023 में 8 जून को केरल तट पर मानसून का आगमन हुआ, जो कि 1 जून की सामान्य शुरुआत की तुलना में देरी को इंगित करता है।
हीटवेव:
- परिचय:
- हीटवेव, चरम गर्म मौसम की लंबी अवधि होती है जो मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
- भारत एक उष्णकटिबंधीय देश होने के कारण विशेष रूप से हीटवेव के प्रति अधिक संवेदनशील है, जो हाल के वर्षों में लगातार और अधिक तीव्र हो गई है।
- भारत में हीटवेव घोषित करने के लिये भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मानदंड:
- यदि किसी स्थान का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम-से-कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक एवं पहाड़ी क्षेत्रों में कम-से-कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुँच जाता है तो इसे हीटवेव की स्थिति माना जाता है।
- इसके अतिरिक्त सामान्य तापमान से 7 डिग्री सेल्सियस अथवा उससे अधिक की वृद्धि को गंभीर हीटवेव की स्थिति माना जाता है।
- यदि किसी स्टेशन का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से अधिक है, तो सामान्य तापमान से 4°C से 5°C की वृद्धि को लू की स्थिति माना जाता है। इसके अलावा 6 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक की वृद्धि को गंभीर हीटवेव की स्थिति माना जाता है।
- इसके अतिरिक्त यदि सामान्य अधिकतम तापमान के बावजूद वास्तविक अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक रहता है, तो हीटवेव घोषित किया जाता है।
- यदि किसी स्थान का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम-से-कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक एवं पहाड़ी क्षेत्रों में कम-से-कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुँच जाता है तो इसे हीटवेव की स्थिति माना जाता है।
हीटवेव के कारण:
- ग्लोबल वार्मिंग:
- यह भारत में हीटवेव के प्राथमिक कारणों में से एक है जो मानव गतिविधियों जैसे कि जीवाश्म ईंधन जलाने, वनों की कटाई और औद्योगिक गतिविधियों के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि को संदर्भित करता है।
- ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप उच्च तापमान और मौसम के पैटर्न में बदलाव हो सकता है, जिससे हीटवेव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- शहरीकरण:
- तेज़ी से शहरीकरण और शहरों में कंक्रीट संरचनाओं की वृद्धि "नगरीय ऊष्मा द्वीप प्रभाव (Urban Heat Island Effect)" के रूप में जानी जाने वाली घटनाओं को जन्म दे सकता है।
- उच्च जनसंख्या घनत्त्व वाले शहरी क्षेत्र, इमारतें और कंक्रीट की सतह अधिक गर्मी को अवशोषित करती है तथा ऊष्मा को बनाए रखती है जिस कारण हीटवेव के दौरान तापमान उच्च होता है।
- पूर्व-मानसून मौसम की विरल वर्षा:
- कई क्षेत्रों में कम नमी भारत के बड़े हिस्से को शुष्क कर रही है।
- पूर्व-मानसून वर्षा की बौछारों का अचानक न होना भारत में इस असामान्य प्रवृत्ति ने हीटवेव में योगदान दिया है।
- अल नीनो प्रभाव:
- अल नीनो घटना के दौरान प्रशांत महासागर का गर्म होना वैश्विक मौसम प्रतिरूप को प्रभावित कर सकता है जिससे विश्व भर में तापमान, वर्षा और वायु के पैटर्न में बदलाव हो सकता है।
- दक्षिण अमेरिका से आने वाली व्यापारिक हवाएँ दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान सामान्य रूप से पश्चिम की ओर अर्थात् एशिया की ओर बहती हैं एवं प्रशांत महासागर के गर्म होने से ये हवाएँ कमज़ोर हो जाती हैं।
- इस प्रकार नमी एवं ऊष्मा की मात्रा सीमित हो जाती है और इसके परिणामस्वरूप भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा में कमी एवं उसके असमान वितरण की स्थिति बनती है।
इसके प्रभाव:
- स्वास्थ्य प्रभाव:
- गर्मी में तेज़ी से वृद्धि तापमान को नियंत्रित करने की शरीर की क्षमता से समझौता कर सकती है और इसके परिणामस्वरूप गर्मी में ऐंठन, थकावट, हीटस्ट्रोक तथा हाइपरथर्मिया सहित कई बीमारियाँ हो सकती हैं।
- गर्मी से होने वाली मौतें और अस्पताल में भर्ती होने की घटनाएँ बहुत तेज़ी से हो सकती हैं या उनका प्रभाव धीमा पड़ सकता है।
- जल संसाधन पर प्रभाव:
- हीटवेव भारत में पानी की कमी के मुद्दों को बढ़ा सकती है, जल निकायों को सुखा सकती है, कृषि और घरेलू उपयोग के लिये पानी की उपलब्धता कम कर सकती है, तथा जल संसाधनों हेतु प्रतिस्पर्द्धा बढ़ा सकती है।
- इससे जल को लेकर टकराव उत्पन्न हो सकता है, सिंचाई के तरीके प्रभावित हो सकते हैं और पानी पर निर्भर उद्योगों पर असर पड़ सकता है।
- हीटवेव भारत में पानी की कमी के मुद्दों को बढ़ा सकती है, जल निकायों को सुखा सकती है, कृषि और घरेलू उपयोग के लिये पानी की उपलब्धता कम कर सकती है, तथा जल संसाधनों हेतु प्रतिस्पर्द्धा बढ़ा सकती है।
- ऊर्जा पर प्रभाव:
- हीटवेव कूलिंग उद्देश्यों के लिये बिजली की मांग को बढ़ा सकती है, जिससे पावर ग्रिड पर दबाव पड़ सकता है और संभावित ब्लैकआउट की स्थिति हो सकती है।
- यह आर्थिक गतिविधियों को बाधित कर सकता है, उत्पादकता और उन कमज़ोर आबादी को प्रभावित कर सकता है, जिनके पास हीटवेव के दौरान बिजली तक पहुँच नहीं हो।
आगे की राह
- हीटवेव्स एक्शन प्लान:
- चूँकि हीटवेव के कारण होने वाली मौतों को रोका जा सकता है, इसलिये सरकार को मानव जीवन, पशुधन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिये दीर्घकालिक कार्ययोजना तैयार करने को प्राथमिकता देनी चाहिये।
- समय की आवश्यकता है कि ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये सेंडाई फ्रेमवर्क 2015-30’ (Sendai Framework for Disaster Risk Reduction 2015-30) का प्रभावी कार्यान्वयन किया जाए जिसमें राज्य प्रमुख भूमिका निभाएँ और अन्य हितधारकों के साथ ज़िम्मेदारी साझा करें।
- जलवायु कार्य योजनाओं को लागू करना:
- समावेशी विकास और पारिस्थितिक स्थिरता के लिये जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) को सच्ची भावना से लागू किया जाना चाहिये।
- प्रकृति-आधारित समाधानों को ध्यान में रखा जाना चाहिये, न केवल जलवायु परिवर्तन से प्रेरित हीटवेव से निपटने के लिये बल्कि इसे एक ऐसे तरीके से करना चाहिये जो नैतिक हो और अंतर-पीढ़ीगत न्याय को बढ़ावा दे।
- सतत् शीतलन:
- आवासीय और वाणिज्यिक भवनों के लिये शहरी ताप को संबोधित करने हेतु निष्क्रिय शीतलन तकनीक एक महत्त्वपूर्ण विकल्प हो सकती है, स्वाभाविक रूप से हवादार इमारतों को बनाने के लिये व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली रणनीति।
- जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) ने अपने AR6 के तीसरे भाग में कहा कि प्राचीन भारतीय भवन डिज़ाइन को ग्लोबल वार्मिंग के संदर्भ में आधुनिक सुविधाओं के अनुकूल बनाया जा सकता है जिन्होंने इस तकनीक का इस्तेमाल किया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. वर्तमान में और निकट भविष्य में भारत की ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में संभावित सीमाएँ क्या हैं? (2010)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. संसार के शहरी निवास-स्थानों में ताप द्वीपों के बनने के कारण बताइए। (2013) |