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भारतीय अर्थव्यवस्था

खाद्य प्रणाली और पोषण पर दिशा-निर्देश: CFS

  • 15 Feb 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

विश्व खाद्य सुरक्षा समिति (CFS) ने खाद्य प्रणालियों और पोषण पर स्वैच्छिक दिशा-निर्देशों (VGFSyN) का समर्थन किया है, जिसका उद्देश्य खाद्य प्रणाली दृष्टिकोण का उपयोग कर भूख और कुपोषण के सभी रूपों को समाप्त करने के लिये देशों की सहायता करना है।

  • विश्व खाद्य सुरक्षा समिति (CFS) द्वारा यह समर्थन उसके 47वें सत्र के दौरान किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • दिशा-निर्देशों के बारे में
    • खाद्य प्रणाली दृष्टिकोण
      • ये दिशा-निर्देश स्थायी खाद्य प्रणालियों और स्वस्थ आहारों के बीच जटिल एवं बहुआयामी अंतर-संबद्धता को दर्शाते हैं।
      • खाद्य प्रणाली उत्पादन, प्रसंस्करण, हैंडलिंग, भंडारण, वितरण, विपणन, खरीद, खपत, खाद्य हानि और अपशिष्ट के साथ-साथ इन गतिविधियों के आउटपुट, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय परिणाम शामिल हैं, का एक जटिल तंत्र होती है।
    • सात नीतिगत क्षेत्र
      • पारदर्शी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह शासन।
      • स्वस्थ आहार और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में सतत् खाद्य आपूर्ति शृंखलाएँ।
      • स्वस्थ आहार तक समान और न्यायोचित पहुँच।
      • खाद्य सुरक्षा।
      • व्यक्ति-केंद्रित पोषण ज्ञान, शिक्षा और सूचना।
      • खाद्य प्रणाली में लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण।
      • मानवीय संदर्भ में लचीली खाद्य प्रणाली।
    • महत्त्व
      • इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय निकायों के कार्य और जनादेश जैसे- ‘यूएन डिकोड ऑफ एक्शन ऑन न्यूट्रिशन’ (2016-2025) और ‘ज़ीरो हंगर’ सतत् विकास लक्ष्य- 2 आदि को आगे बढ़ाना और उनके पूरक के रूप में कार्य करना है।
      • ये दिशा-निर्देश सभी के लिये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में पर्याप्त भोजन के अधिकार की वकालत करते हैं, विशेष तौर पर कमज़ोर और संवेदनशील समूहों के लिये।
      • ये निर्देश नीति नियोजन और शासन पर ध्यान केंद्रित करते हैं, ताकि खाद्य प्रणालियों को अधिक लचीला और उत्तरदायी बनाया जा सके एवं वे उपभोक्ताओं और उत्पादकों की ज़रूरतों विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों की ज़रूरतों के अनुसार हों।


विश्व खाद्य सुरक्षा समिति (CFS)

  • सभी हितधारकों की खाद्य सुरक्षा और पोषण सुनिश्चित करने हेतु एक साथ काम करने के लिये यह सबसे महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय और अंतर-सरकारी मंच है।
  • यह समिति आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र (UN) महासभा को और खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) सम्मेलन को रिपोर्ट करती है।
  • विश्व खाद्य सुरक्षा समिति (CFS) द्वारा ‘खाद्य और कृषि संगठन’ के रोम स्थित मुख्यालय में प्रत्येक वर्ष अक्तूबर माह में एक वार्षिक सत्र का आयोजन किया जाता है।
  • विश्व खाद्य सुरक्षा समिति को ‘खाद्य और कृषि संगठन’, ‘इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट’ (IFAD) और ‘वर्ल्ड फूड प्रोग्राम’ (WFP) द्वारा समान रूप से वित्तपोषित किया जाता है।
  • भारतीय परिदृश्य
    • भारत में भूख और कुपोषण की स्थिति
      • खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा जारी 'विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण की स्थिति, 2020' नामक रिपोर्ट के मुताबिक,
        • भारत में 189.2 मिलियन लोग कुपोषित हैं यानी तकरीबन 14 प्रतिशत आबादी कुपोषण का सामना कर रही है।
        • 15 से 49 वर्ष की प्रजनन आयु की 51.4 प्रतिशत महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित हैं।
        • पाँच वर्ष से कम आयु के 34.7 प्रतिशत बच्चे ‘स्टंटिंग’ (उम्र की तुलना में कम वज़न) से, जबकि 20 प्रतिशत बच्चे ‘वेस्टिंग’ (ऊँचाई की तुलना में कम वज़न) से पीड़ित हैं।
      • इसके अलावा ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2020 में भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर है।
    • इस संबंध में किये गए प्रयास
      • वर्ष 2017-18 में शुरू किये गए ‘पोषण अभियान’ का उद्देश्य विभिन्न कार्यक्रमों के बीच तालमेल, बेहतर निगरानी और सामुदायिक लामबंदी के माध्यम से स्टंटिंग, अल्प-पोषण, और एनीमिया से संबंधित मामलों में कमी लाना है।
      • अंत्योदय अन्न योजना (AAY) का उद्देश्य गरीब परिवारों को रियायती मूल्य पर भोजन उपलब्ध कराना है।
      • वर्ष 1975 में शुरू की गई एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) का उद्देश्य 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों का सर्वांगीण विकास (स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा) करना, साथ ही शिशु मृत्यु दर, बाल कुपोषण को कम करना और पूर्व-विद्यालय शिक्षा प्रदान करना है।
      • ‘मिड-डे मील’ (MDM) योजना का उद्देश्य स्कूली बच्चों के बीच पोषण स्तर में सुधार करना है, साथ ही इस योजना का स्कूलों में नामांकन, प्रतिधारण और उपस्थिति के स्तर पर भी प्रत्यक्ष और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
      • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना’ (PMMVY) के तहत गर्भवती महिलाओं को सीधे उनके बैंक खाते में नकद 6000 रुपए प्रदान किये जाते हैं, ताकि बढ़ी हुई पोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा किया जा सके और वेतन हानि की आंशिक क्षतिपूर्ति की जा सके।
      • ‘नेशनल मिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन एंड टेक्नोलॉजी’ किसानों के लिये उपयुक्त प्रौद्योगिकियों और उन्नत कृषि प्रथाओं के वितरण को सक्षम बनाती है।
      • ‘नेशनल मिशन ऑन सस्टेनेबल एग्रीकल्चर’ का उद्देश्य कृषि उत्पादकता को बढ़ाना है, और ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ (PMKSY) का उद्देश्य जल-उपयोग दक्षता में सुधार करना है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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