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भारतीय अर्थव्यवस्था

पीएमओ ने दी पोषण मानदंडों को मंज़ूरी

  • 10 Sep 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा तैयार पूरक पोषण दिशा-निर्देशों को मंज़ूरी दी है।

असहमति के मुख्य बिंदु

  • माना जा रहा है कि संबंधित मंज़ूरी मेनका गांधी की सिफारिशों को दरकिनार करके दी गई है।
  • उल्लेखनीय है कि पीएमओ ने प्रस्तावित मानदंडों पर मेनका गांधी और मंत्रालय के अधिकारियों के बीच सालों से चले आ रहे मतभेद के चलते यह कदम उठाया है।
  • असहमति का केंद्रबिंदु मुख्यतः एकीकृत बाल विकास योजना के तहत 14 लाख आंगनवाड़ियों से 10 करोड़ बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन और घर ले जाने के लिये राशन देने की योजना संबंधित था।
  • हालाँकि, मेनका गांधी का सुझाव था कि घर ले जाने वाले राशन को उन स्वयं सहायता समूह से प्राप्त किया जाए जिनके पास पर्याप्त संख्या में निर्माण की सुविधा हो या फिर इसे सरकारी या निजी संस्थाओं से लिया जाए।
एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS)
  • यह योजना वर्ष 1975 में 6 साल से कम आयु के बच्चों के सर्वांगीण विकास (स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा) के लिये  एक पहल के रूप में शुरू की गई थी।
  • इसका उद्देश्य शिशु मृत्यु दर, बाल कुपोषण को कम करना और पूर्व-विद्यालय शिक्षा प्रदान करना है।
  • ICDS योजना की निगरानी संबंधी समग्र ज़िम्मेदारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD) की है।
  • ICDS योजना के तहत 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों और गर्भवती या स्तनपान कराने वाली माँ की पहुँच चार मुख्य सेवाओं जैसे- प्रतिरक्षा,पूरक पोषण, स्वास्थ्य जाँच, रेफ़रल सेवाएँ  तक सुनिश्चित करना है।
  • इसके अलावा, ICDS के तहत 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों की पहुँच पूर्व-स्कूल गैर-औपचारिक शिक्षा तक सुनिश्चित कराना।
  • महिलाओं और किशोरावस्था की लड़कियों की पहुँच पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा तक सुनिश्चित किया जाना।
  • उपर्युक्त सभी सेवाएँ स्थानीय आईसीडीएस (या आँगनवाड़ी) केंद्र से आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं द्वारा उपलब्ध कराई जाएंगी।

 

  • दरअसल, वह चाहती थीं कि रेडी टू ईट पैकेटबंद खाना लाभार्थी बच्चों को बाँट दिया जाए, जबकि विभाग के अधिकारी इस पक्ष में थे कि बच्चों को दिये जाने वाले खाद्य पदार्थ सिर्फ स्वयं सहायता समूह द्वारा स्थानीय तौर पर उपलब्ध सामग्रियों से निर्मित किये जाएँ।
  • इसके अलावा, असहमति का एक मुद्दा आँगनवाड़ी में अनुपूरक पोषाहार कैसे दिया जाए, से भी संबंधित था।
  • मेनका गांधी ने नीति निर्माताओं से कहा था कि हमें सिर्फ खाना देने के बारे में सोचने की जगह पोषण देने के बारे में सोचना चाहिये, जबकि अधिकारियों ने नीति आयोग से कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत खाद्य सुरक्षा का अर्थ ज़रूरतमंदों तक तय मात्रा में खाद्य अनाज और भोजन पहुँचाना है।

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