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भारतीय अर्थव्यवस्था

सरकार की विनिवेश योजनाएँ

  • 19 Jan 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) ने कोविड-19 महामारी के कारण पवन हंस (Pawan Hans) के रणनीतिक विनिवेश (Disinvestment) हेतु बोली की समयसीमा को एक माह के लिये बढ़ा दिया है।

  • नई दिल्ली स्थित पवन हंस लिमिटेड एक हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी है। यह मिनी रत्न-I  श्रेणी  का सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।

प्रमुख बिंदु

पृष्ठ भूमि:

  • वर्ष 2020-2021 के लिये सरकार का विनिवेश लक्ष्य: सरकार ने वर्ष 2020-21 में विनिवेश के माध्यम से 2.1 लाख करोड़ रुपए जुटाने की योजना बनाई है, जिसमें कुछ शेयरों को बेचकर अब तक लगभग 14,000 करोड़ रुपए जुटाए गए हैं।
  • सार्वजनिक क्षेत्र की नई नीति: सरकार ने मई 2020 में  'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के तहत घोषणा की थी कि रणनीतिक क्षेत्रों में अधिकतम चार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ होंगी और अन्य क्षेत्रों में राज्य के स्वामित्व वाली फर्मों का अंततः निजीकरण किया जाएगा। ।
    • इस नीति के तहत रणनीतिक क्षेत्रों के लिये एक सूची अधिसूचित की जाएगी जिसमें निजी कंपनियों के अलावा कम-से-कम एक और अधिकतम चार सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम होंगे।
    • अन्य क्षेत्रों में औचित्य के आधार पर केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) का निजीकरण किया जाएगा।

वर्तमान स्थिति:

  • पवन हंस के विनिवेश के लिये बोली की समयसीमा एक महीने के लिये बढ़ा दी गई है।
  • इस साल एयर इंडिया और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की फर्मों की रणनीतिक बिक्री पूरी होने की संभावना नहीं है।
  • बाज़ारों में  भारतीय जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation of India- LIC) को सूचीबद्ध करने के लिये LIC अधिनियम, 1986 में और संशोधन की आवश्यकता है।

विनिवेश प्रक्रिया की आवश्यकता:

  • सरकार पर आर्थिक रिकवरी के लिये संसाधन जुटाने और स्वास्थ्य देखभाल के लिये उच्चतर अपेक्षाओं को पूरा करने का दबाव है।
  • सार्वजनिक व्यय में वृद्धि को काफी हद तक आगामी बजट में विनिवेश आय और मौद्रिक परिसंपत्तियों को बेचकर पूरा करना होगा।
  • सरकार की भागीदारी गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में कम करना।

विनिवेश

  • विनिवेश का अर्थ है सरकार द्वारा संपत्तियों की बिक्री या परिशोधन। इसमें केंद्रीय और राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, परियोजनाएँ या अन्य अचल संपत्तियाँ शामिल होती हैं।
  • जिस तरह अन्य नियमित स्रोतों से राजस्व की कमी को पूरा किया जाता है, उसी प्रकार सरकारी खजाने पर राजकोषीय बोझ को कम करने या विशिष्ट ज़रूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा धन जुटाने के लिये विनिवेश किया जाता है।
  • रणनीतिक विनिवेश के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई के स्वामित्व और नियंत्रण का हस्तांतरण किसी अन्य इकाई (ज्यादातर निजी क्षेत्र की इकाई) को किया जाता है ।
    • साधारण विनिवेश के विपरीत रणनीतिक बिक्री या विनिवेश का मतलब एक प्रकार के निजीकरण से है।
  • विनिवेश आयोग द्वारा रणनीतिक बिक्री को केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) में सरकारी हिस्सेदारी के 50 प्रतिशत हिस्से की बिक्री अथवा ऐसा उच्च प्रतिशत, जो कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्धारित किया गया हो, के रूप में परिभाषित किया जाता है, साथ ही इसमें उद्यमों के प्रबंधन नियंत्रण का हस्तांतरण भी शामिल होता है।
  • वित्त मंत्रालय के तहत निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (Department of Investment and Public Asset Management- DIPAM) सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में रणनीतिक हिस्सेदारी की बिक्री हेतु एक नोडल विभाग है।
  • भारत में रणनीतिक विनिवेश को मूल आर्थिक सिद्धांत द्वारा निर्देशित किया जाता है।सरकार को उन क्षेत्रों में विनिर्माण/उत्पादन और सेवाओं में संलग्न नहीं होना चाहिये जहाँ प्रतिस्पर्द्धी बाज़ार विद्यमान हो।
    •  विभिन्न कारकों के कारण इस प्रकार की संस्थाओं की आर्थिक क्षमता रणनीतिक निवेशकों द्वारा बेहतर तरीके से विकसित की जा सकती है, उदाहरण के लिये- पूंजी, प्रौद्योगिकी उन्नयन और कुशल प्रबंधन प्रथाओं द्वारा।

स्रोत: द हिंदू

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