इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

वैश्विक न्यूनतम कर सौदा

  • 12 Oct 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वैश्विक न्यूनतम कर सौदा

मेन्स के लिये:

वैश्विक स्तर पर कर संबंधित अनियमितता के कारण और समाधान हेतु किये गए प्रयास 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने घोषणा की है कि बड़ी कंपनियों को 15% की वैश्विक न्यूनतम कर (GMT) दर का भुगतान सुनिश्चित करने के लिये 136 देशों (भारत सहित) द्वारा सहमति व्यक्त की गई है।

  • समझौता करने वाले देश वैश्विक अर्थव्यवस्था का 90% से अधिक हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।

New-Tax

प्रमुख बिंदु 

  • GMT के बारे में:
    • उद्देश्य: GMT को दुनिया के कुछ सबसे बड़े निगमों द्वारा कर की कम प्रभावी दरों को संबोधित करने के लिये तैयार किया गया है, जिसमें एप्पल, अल्फाबेट और फेसबुक जैसी बड़ी टेक कंपनियाँ शामिल हैं।
      • ये कंपनियाँ आमतौर पर प्रमुख बाज़ारों से कम कर वाले देशों या टैक्स हैवन जैसे- आयरलैंड, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, बहामास या पनामा आदि में मुनाफे को बढ़ाने के लिये सहायक कंपनियों की स्थापना करती हैं।
      • GMT का उद्देश्य बहुराष्ट्रीय उद्यमों (MNE) के लिये लाभ स्थानांतरण में शामिल होने के अवसरों पर रोक लगाना है, साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि जहाँ वे व्यापार करते हैं वहाँ अपने कुछ करों का भुगतान करें।
    • प्रस्तावित दो स्तंभ समाधान: वैश्विक न्यूनतम कर की दर वैश्विक स्तर पर बिक्री में 868 मिलियन डॉलर के साथ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विदेशी मुनाफे पर लागू होगी।
      • स्तंभ 1 (न्यूनतम कर और कर नियमों के अधीन): सरकारें अभी जो भी स्थानीय कॉर्पोरेट कर की दर चाहती हैं, निर्धारित कर सकती हैं, लेकिन अगर कंपनियाँ किसी विशेष देश में कम दरों का भुगतान करती हैं, तो उनकी गृह सरकारें अपने करों को न्यूनतम 15% तक आरोपित कर सकती हैं। इसका उद्देश्य मुनाफे को स्थानांतरित करने से प्राप्त होने वाले लाभ को समाप्त करना है।
      • स्तंभ 2 (बाज़ार के अधिकार क्षेत्र में लाभ के अतिरिक्त हिस्से का पुन: आवंटन): यह उन देशों को, जहाँ लाभ अर्जित किया गया है बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अतिरिक्त आय (राजस्व के 10% से अधिक लाभ) पर 25% कर लगाने की अनुमति देता है।
    • समयसीमा: यह समझौता हस्ताक्षर करने वाले देशों को वर्ष 2022 तक इस पर कानून बनाने का आह्वान करता है ताकि यह समझौता 2023 से प्रभावी हो सके।
      • हाल के वर्षों में जिन देशों ने राष्ट्रीय डिजिटल सेवा कर (उदाहरण के लिये भारत सरकार द्वारा लगाई जाने वाली इक्वलाइजेशन लेवी) लगाया है, उन्हें निरस्त करना होगा।
    • प्रभाव: न्यूनतम कर और अन्य प्रावधानों का उद्देश्य विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये सरकारों के बीच दशकों से चल रही कर प्रतिस्पर्द्धा को समाप्त करना है।
      • अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि यह सौदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने देश स्थित मुख्यालय में पूंजी प्रत्यावर्तित करने के लिये प्रोत्साहित करेगा, जिससे उन अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा मिलेगा।
  • GMT की आवश्यकता:
    • टैक्स हैवन के लिये वित्तीय डायवर्ज़न को रोकना: ड्रग पेटेंट, सॉफ्टवेयर और बौद्धिक संपदा पर रॉयल्टी जैसे अमूर्त स्रोतों से आय तेज़ी से टैक्स हैवन में चली गई है, जिससे कंपनियों कोअपने देशों में उच्च करों का भुगतान करने से बचने की अनुमति मिली है।
    • वित्तीय संसाधन जुटाना: कोविड-19 संकट के बाद बजट में तनाव के साथ कई सरकारें चाहती हैं कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मुनाफे को कर राजस्व कम कर अपने देशों में स्थानांतरण को हतोत्साहित किया जाए।
      • OECD ने अनुमान लगाया है कि न्यूनतम कर के माध्यम से सालाना अतिरिक्त वैश्विक कर राजस्व में $150 बिलियन का लाभ होगा।
    • वैश्विक कर सुधार: बेस इरोशन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (BEPS) कार्यक्रम की स्थापना के बाद से GMT का प्रस्ताव वैश्विक कराधान सुधारों की दिशा में एक और सकारात्मक कदम है।
      • BEPS कर से बचने की रणनीतियों को संदर्भित करता है जो कर नियमों में अंतराल और बेमेल का फायदा उठाते हैं ताकि मुनाफे को कम या बिना कर वाले स्थानों पर कृत्रिम रूप से स्थानांतरित किया जा सके। OECD ने इससे निपटने के लिये 15 कार्य मदें जारी की हैं।
  • संबद्ध चुनौतियाँ:
    • आसन्न संप्रभुता: यह एक राष्ट्र की कर नीति तय करने के संप्रभु अधिकार को प्रभावित करता है।
      • एक वैश्विक न्यूनतम दर अनिवार्य रूप से एक ऐसे उपकरण से दूर ले जाएगी जिसका उपयोग देश उन नीतियों को आगे बढ़ाने के लिये करते हैं जो उनके अनुरूप हैं।
    • टाइट टाइमलाइन: समझौता करने वाले देशों में वर्ष 2022 में ही नया कानून बनाने का आह्वान किया गया है जिससे इस समझौते को वर्ष 2023 से प्रभावी किया जा सके, इतने सीमित समय में ही समझौता लागू करना एक कठिन काम है।
    • प्रभावशीलता का प्रश्न: 
      • ऑक्सफैम जैसे समूहों ने इस समझौते की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे टैक्स हैवन का अंत नहीं हो सकेगा।

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन

  • OECD एक अंतर-सरकारी आर्थिक संगठन है, जिसकी स्थापना आर्थिक प्रगति और विश्व व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिये की गई है।
  • स्थापना: 1961
  • मुख्यालय: पेरिस, फ्राँस
  • कुल सदस्य: 36
  • भारत इसका सदस्य नहीं है, बल्कि एक प्रमुख आर्थिक भागीदार है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2