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भारत और चीन के बीच DTAA में संशोधन के लिये समझौता

  • 27 Nov 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?


भारत और चीन ने दोहरे कराधान से बचने और आयकर के संदर्भ में वित्तीय अनियमितता की रोकथाम के लिये दोहरे करवंचना समझौते (Double Taxation Avoidance Agreement- DTAA) में संशोधन के लिये एक सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं।

  • इस सहमति-पत्र में नवीनतम अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों में सूचना के आदान-प्रदान के लिये मौजूदा प्रावधानों को अपडेट किया गया है।
  • इसमें आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण (Base Erosion and Profit Shifting- BEPS) प्रोजेक्ट की कार्यशील रिपोर्ट के तहत संधि से संबंधित न्यूनतम मानदंडों को लागू करने के लिये आवश्यक बदलावों को शामिल किया गया है, जिसमें भारत ने समान रूप से भागीदारी की थी।
  • इस संधि में दोनों पक्षों की सहमति के आधार पर BEPS एक्शन रिपोर्ट के अनुसार कई बदलाव किये गए हैं।

दोहरा कराधान क्या है?

  • दोहरे कराधान (Double Taxation) का तात्पर्य ऐसी स्थिति से है जिसमें एक ही कंपनी या व्यक्ति (करदाता) की एकल आय एक से अधिक देशों में कर योग्‍य हो जाती है। ऐसी स्थिति विभिन्‍न देशों में आय पर कराधान के भिन्‍न नियमों के कारण उत्‍पन्‍न होती है।

DTAA

  • दोहरे कराधान से मुक्ति के लिये दो देशों की सरकारें 'दोहरा कराधान अपवंचन समझौता' (Double Taxation Avoidance Agreement- DTAA) निष्‍पादित करती हैं जिसका उपयोग परस्पर दोहरे कराधान की समस्‍या से राहत प्रदान करने के उद्देश्‍य से किया जाता है।
  • भारत में आयकर अधिनियम की धारा 90 द्विपक्षीय राहत से संबंधित है। इसके अंतर्गत भारत की केंद्रीय सरकार ने दूसरे देशों की सरकारों के साथ दोहरे कराधान की समस्या से निपटने के लिये समझौते किये हैं इन समझौतों को ‘दोहरा कराधान अपवंचन समझौता (DTAA)’ कहा जाता है।

BEPS

  • BEPS का तात्पर्य टैक्स प्लानिंग रणनीतियों से है जिसके तहत टैक्स नियमों में अंतर और विसंगतियों का लाभ उठाया जाता है तथा मुनाफे को कृत्रिम तरीके से कम कर अथवा बिना कर वाले क्षेत्राधिकारों को स्थानांतरित कर दिया जाता है। इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियाँ या तो नहीं होती हैं या मामूली आर्थिक गतिविधियाँ होती हैं। ऐसे में संबंधित कंपनी द्वारा या तो कोई भी कॉरपोरेट टैक्‍स  अदा नहीं किये जाते हैं अथवा मामूली कॉरपोरेट टैक्‍स का ही भुगतान किया जाता है।
  • जून 2017 में भारत ने पेरिस स्थित OECD के मुख्‍यालय में आयोजित एक समारोह में आधार क्षरण एवं लाभ स्‍थानांतरण (BEPS) की रोकथाम हेतु कर संधि से संबंधित उपायों को लागू करने के लिये बहुपक्षीय समझौते पर हस्‍ताक्षर किये थे।
  • इस समझौते का उद्देश्‍य कृत्रिम ढंग से कर अदायगी से बचने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना, संधि के दुरुपयोग की रोकथाम सुनिश्चित करना और विवाद निपटान की व्‍यवस्‍था को बेहतर करना है।

OECD

  • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development -OECD) की स्थापना 1961 में हुई थी।
  • वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या 35 है।
  • इसका मुख्यालय पेरिस (फ़्राँस) में है। दुनिया भर में लोगों के आर्थिक और सामाजिक कल्याण में सुधार लाने वाली नीतियों को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना OECD का प्रमुख उद्देश्य है।
  • इसके सदस्य देश इस प्रकार हैं- ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, चिली, चेक गणतंत्र, डेनमार्क, एस्तोनिया, फिनलैंड, फ्राँस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, आयरलैंड, इज़रायल, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, लक्जमबर्ग, लातविया, मेक्सिको, नीदरलैंड, न्यूज़ीलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।


स्रोत : पी.आई.बी.

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