युवाओं हेतु वैश्विक रोज़गार रुझान: ILO | 13 Aug 2022
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO), नीली अर्थव्यवस्था, जेंडर गैप, वेस्ट मैनेजमेंट, वेज गैप, लर्निंग रिग्रेशन। मेन्स के लिये:भारत से संबंधित युवाओं के लिये वैश्विक रोजगार रुझानों के निष्कर्ष। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने "युवाओं हेतु वैश्विक रोज़गार रुझान 2022: युवाओं के भविष्य परिवर्तन में निवेश" शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है।
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन
- परिचय:
- यह संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र त्रिपक्षीय संस्था है। यह श्रम मानक निर्धारित करने, नीतियाँ को विकसित करने एवं सभी महिलाओं तथा पुरुषों के लिये सभ्य कार्य को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम तैयार करने हेतु 187 सदस्य देशों की सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को एक साथ लाता है।
- वर्ष 1969 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन को नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया।
- यह संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र त्रिपक्षीय संस्था है। यह श्रम मानक निर्धारित करने, नीतियाँ को विकसित करने एवं सभी महिलाओं तथा पुरुषों के लिये सभ्य कार्य को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम तैयार करने हेतु 187 सदस्य देशों की सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को एक साथ लाता है।
- स्थापना:
- वर्ष 1919 में वर्साय की संधि द्वारा राष्ट्र संघ की एक संबद्ध एजेंसी के रूप में इसकी स्थापना हुई।
- वर्ष 1946 में यह संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध पहली विशिष्ट एजेंसी बन गया।
- मुख्यालय: जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड
- रिपोर्ट:
वैश्विक स्तर पर
- EPR में लैंगिक असमानता:
- युवा महिलाओं ने रोज़गार-से-जनसंख्या अनुपात (EPR) में बहुत कम प्रदर्शन किया, जो यह दर्शाता है कि युवा पुरुषों की तुलना में युवा महिलाओं के रोज़गार की संभावना लगभग 1.5 गुना अधिक है।
- वर्ष 2022 में 40.3% युवा पुरुषों की तुलना में वैश्विक स्तर पर युवा महिलाओं हेतु 27.4% रोज़गार के अवसर होने का अनुमान है।
- युवा महिलाओं ने रोज़गार-से-जनसंख्या अनुपात (EPR) में बहुत कम प्रदर्शन किया, जो यह दर्शाता है कि युवा पुरुषों की तुलना में युवा महिलाओं के रोज़गार की संभावना लगभग 1.5 गुना अधिक है।
- महामारी से प्रभावित युवा रोज़गार:
- कोविड–19 महामारी ने 15 से 24 वर्ष की आयु के लोगों के सामने कई श्रम बाज़ार चुनौतियों को और बद्तर कर दिया है, जिन्होंने वर्ष 2020 की शुरुआत से वयस्कों की तुलना में रोज़गार में बहुत अधिक प्रतिशत नुकसान का अनुभव किया है।
- बेरोज़गार युवाओं की कुल वैश्विक संख्या वर्ष 2022 में 73 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है, वर्ष 2021 से कुछ सुधार हुआ है लेकिन यह अभी भी वर्ष 2019 के पूर्व-महामारी स्तर से छह मिलियन अधिक है।
- कोविड–19 महामारी ने 15 से 24 वर्ष की आयु के लोगों के सामने कई श्रम बाज़ार चुनौतियों को और बद्तर कर दिया है, जिन्होंने वर्ष 2020 की शुरुआत से वयस्कों की तुलना में रोज़गार में बहुत अधिक प्रतिशत नुकसान का अनुभव किया है।
- क्षेत्रीय अंतर:
- युवा बेरोज़गारी में सुधार एक ओर निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों और दूसरी ओर उच्च आय वाले देशों के बीच विचलन का अनुमान है।
- उच्च आय वाले देश वर्ष 2022 के अंत तक वर्ष 2019 के सामान युवा बेरोजगारी दर हासिल करने की अपेक्षा कर रहे हैं।
- इस बीच दूसरे देश के आय समूहों में दरें उनके पूर्व-संकट मूल्यों से 1% से अधिक रहने का अनुमान है।
- हरित और नीली अर्थव्यवस्थाओं के लाभ:
- हरित और नीली अर्थव्यवस्थाओं के विस्तार (जो क्रमशः पर्यावरण और स्थायी महासागर संसाधनों के आसपास केंद्रित थे) से लाभान्वित होने के लिये युवा लोगों को उचित अवसर प्रदान किया गया था।
- वर्ष 2030 तक ग्रीन और ब्लू इन्वेस्टमेंट्स के माध्यम से युवाओं के लिये विशेष रूप से स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा, संधारणीय कृषि, पुनर्चक्रण और अपशिष्ट प्रबंधन में अतिरिक्त (लगभग 8.4 मिलियन) रोज़गार सृजित किये जा सकते हैं।
- हरित और नीली अर्थव्यवस्थाओं के विस्तार (जो क्रमशः पर्यावरण और स्थायी महासागर संसाधनों के आसपास केंद्रित थे) से लाभान्वित होने के लिये युवा लोगों को उचित अवसर प्रदान किया गया था।
- ब्रॉडबैंड कवरेज और रोज़गार:
- वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक ब्रॉडबैंड कवरेज प्राप्त करने से वैश्विक स्तर पर 24 मिलियन से अधिक रोज़गार सृजन की संभावना है।
- देखभाल क्षेत्रों में निवेश से 2030 तक युवाओं के लिये 17.9 मिलियन अधिक रोज़गार सृजित होंगे।
- वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक ब्रॉडबैंड कवरेज प्राप्त करने से वैश्विक स्तर पर 24 मिलियन से अधिक रोज़गार सृजन की संभावना है।
भारत से संबंधित निष्कर्ष:
- युवा रोज़गार में गिरावट:
- वर्ष 2020 में इसके मूल्य के सापेक्ष वर्ष 2021 के पहले नौ महीनों में युवा रोज़गार भागीदारी दर में 0.9% की गिरावट आई, जबकि इसी अवधि में वयस्कों के लिये इसमें 2% की वृद्धि हुई।
- 15-20 वर्ष की आयु-वर्ग के लिये यह स्थिति विशेष रूप से गंभीर है।
- वर्ष 2020 में इसके मूल्य के सापेक्ष वर्ष 2021 के पहले नौ महीनों में युवा रोज़गार भागीदारी दर में 0.9% की गिरावट आई, जबकि इसी अवधि में वयस्कों के लिये इसमें 2% की वृद्धि हुई।
- महिलाओं की रोज़गार क्षेत्र में निम्न-भागीदारी:
- युवा भारतीय महिलाओं ने वर्ष 2021 और वर्ष 2022 में युवा भारतीय पुरुषों की तुलना में सापेक्ष रोज़गार में कमी का अनुभव किया है।
- सामान्य तौर पर भारत में उच्च युवा रोज़गार में गिरावट वैश्विक स्तर पर औसत रोज़गार में आने वाली कमी को दर्शाती हैं।
- वैश्विक श्रम बाज़ार में युवा भारतीय पुरुषों की भागीदारी 16% जबकि युवा भारतीय महिलाओं की भागीदारी मात्र 5% है।
- ऑनलाइन शिक्षा में अंतराल:
- सभी विद्यालय लगभग 18 महीने तक बंद रहे और 24 % बच्चों में ग्रामीण क्षेत्र में केवल 8% और शहरी क्षेत्रों में 23% बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा तक पर्याप्त पहुँच थी।
- विकासशील देशों में ऑनलाइन संसाधनों तक अत्यधिक असमान पहुँच को देखते हुए, सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित परिवारों के बच्चों की शिक्षा तक पहुँच लगभग नहीं के बराबर थी।
- सीखने की प्रक्रिया का प्रतिगमन:
- विद्यालयों के बंद होने से न केवल नई शिक्षा नीति बाधित हुई, बल्कि "सीखने की प्रक्रिया का प्रतिगमन" की घटना भी हुई, यानी बच्चे ये भूल गए कि उन्होंने पहले क्या सीखा था।
- भारत में, औसतन 92% बच्चों ने कम-से-कम एक भाषा में मूलभूत क्षमता खो दी और 82% ने गणित में मूलभूत क्षमता खो दी।
- शिक्षकों को कम वेतन का भुगतान:
- अध्ययन में पाया गया कि गैर-सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों को अक्सर सरकारी विद्यालयों की तुलना में काफी कम वेतन का भुगतान किया जाता है।
- भारत, केन्या, नाइजीरिया और पाकिस्तान में कम-शुल्क वाले निजी विद्यालयों के शिक्षकों को राज्य क्षेत्र में उनके समकक्षों को मिलने वाले वेतन के आठवें भाग या 50 प्रतिशत के बीच भुगतान किया जाता है।
- घरेलू-कार्य का अत्यधिक अनौपचारिक होना:
- भारत में घरेलू-कार्य को अत्यधिक अनौपचारिक कार्य के रूप में देखा जाता है, जिसका पारिश्रमिक अत्यंत कम है और साथ ही महिलाओं और लड़कियों को दुर्व्यवहार का सामना भी करना पड़ता हैं।
- युवा घरेलू कामगारों के साथ दुर्व्यवहार की रिपोर्ट आम हैं, जिनमें मौखिक, शारीरिक और यौन शोषण शामिल हैं।
अनुसंशाएँ:
- विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के साथ-साथ सभी युवा कामगारों के लिये कार्य करने की अच्छी परिस्थितियों को बढ़ावा देना चाहिये।
- युवा श्रमिकों हेतु यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि वे मौलिक अधिकारों और सुरक्षा का आनंद ले सकें, जिसमें संघ की स्वतंत्रता, सामूहिक सौदेबाजी का अधिकार, समान कार्य के लिये समान वेतन तथा कार्यस्थल पर हिंसा और उत्पीड़न से मुक्ति शामिल हो।
- युवा लोगों को अच्छी तरह से काम करने वाले श्रम बाज़ार के साथ श्रम बाज़ार में पहले से ही भाग लेने वालों के लिये अच्छे रोज़गार के अवसर प्रदान किये जाने चाहिये, साथ ही उन लोगों के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसर जो अभी तक इसमें प्रवेश नहीं कर पाए हैं।
विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन कन्वेंशन 138 और 182 किससे संबंधित हैं? (a) बाल श्रम, (2018) उत्तर: a व्याख्या:
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