हिमनद का पीछे हटना | 10 Mar 2023

प्रिलिम्स के लिये:

ग्लेशियल रिट्रीट/हिमनद का पीछे हटना, बाढ़, भूस्खलन, पेनसिलुंगपा ग्लेशियर (PG), डुरुंग-द्रुंग ग्लेशियर (DDG)।

मेन्स के लिये:

हिमनद गतिकी को प्रभावित करने वाले कारक, हिमनद के पीछे हटने का प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियरों/हिमनदों के हाल के अध्ययनों के अनुसार, इस पर्वत शृंखला के विभिन्न क्षेत्रों में पीछे हटने की दर और द्रव्यमान संतुलन में व्यापक परिवर्तनशीलता का कारण मुख्य रूप से इस क्षेत्र की स्थलाकृति (Topography ) और जलवायु है।

  • हालाँकि ग्लेशियरों की परिवर्तनीय वापसी दर (Variable Retreat Rates of Glaciers) और अपर्याप्त सहायक क्षेत्र डेटा ने जलवायु परिवर्तन प्रभाव की एक सुसंगत तस्वीर विकसित करना चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

हिमनद गतिकी को प्रभावित करने वाले कारक:

  • वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (उत्तराखंड) की एक टीम ने वर्ष 1971 और 2019 के बीच हिमनद परिवर्तन के तुलनात्मक अध्ययन हेतु अलग-अलग विशेषताओं वाले दो हिमनदों पेनसिलुंगपा ग्लेशियर (लद्दाख) और डुरुंग-द्रुंग ग्लेशियर (लद्दाख) का अध्ययन किया।
    • टीम ने ग्रीष्म ऋतु में हिम/बर्फ द्रव्यमान में कमी (ग्रीष्मकालीन पृथक्करण) को लेकर मलबे के आवरण के प्रभाव एवं ग्लेशियरों के टर्मिनस रिसेसन (पीछे हटने का) का मूल्यांकन किया।
  • उनके द्वारा किया गया अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है कि ग्लेशियर के पीछे हटने की दर जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियर की स्थलाकृतिक अवस्थिति तथा आकारिकी द्वारा नियंत्रित होती है।
    • उन्होंने अपने अध्ययन में यह भी पाया कि मलबे के परत की मोटाई जलवायु के प्रति हिमनदों की प्रतिक्रिया को महत्त्वपूर्ण रूप से परिवर्तित करती है।
  • तुंड ज्यामिति, हिमनदों का आकार, ऊँचाई सीमा, प्रवणता, स्वरूप, मलबे के आवरण के साथ-साथ सुप्रा और प्रोग्लेशियल झीलों की उपस्थिति जैसे अन्य कारक भी विषम हिमनदों की गतिशीलता को प्रभावित करते हैं।

हिमनद निवर्तन क्या है?

  • परिचय:
    • हिमनदों का पीछे हटना हिम संचय में कमी या हिम विगलन में वृद्धि के कारण समय के साथ हिमनदों के सिकुड़ने या आकार में कमी की प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
  • कारण:
  • प्रभाव:
    • हिमनदों के पीछे हटने के कारण यह कई गंभीर पर्यावरणीय प्रभावों को उत्पन्न कर सकता है, जिसमें जल की उपलब्धता तथा स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र में बदलाव एवं बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ सकता है।
    • इसके अलावा हिमनद हिम क्षय समुद्र के बढ़ते जलस्तर में योगदान कर सकता है, जिसका विश्व भर के तटीय समुदायों और पारिस्थितिक तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

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 प्रिलिम्स: UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. पृथ्वी पर जल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. नदियों और झीलों में पानी की मात्रा भूमिगत जल की मात्रा से अधिक है।
  2. ध्रुवीय बर्फ की चोटियों और हिमनदों में पानी की मात्रा भूजल की मात्रा से अधिक होती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो और 1 न ही 2

उत्तर: b


प्रश्न. निम्नलिखित में से किस परिघटना ने जैव-विकास को प्रभावित किया होगा? (2014)

  1. महाद्वीपीय विस्थापन
  2. हिमनद चक्र

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: c


मेन्स:

प्रश्न.आर्कटिक की बर्फ और अंटार्कटिक के हिमनदों के पिघलने से पृथ्वी पर मौसम के पैटर्न एवं मानव गतिविधियों पर अलग-अलग प्रभाव कैसे पड़ता है? व्याख्या कीजिये। (2021)

स्रोत: पी.आई.बी.