आनुवंशिक सूचना और गोपनीयता | 23 Feb 2023
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि बच्चों की सहमति के बिना डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic Acid- DNA) टेस्ट में उनकी आनुवंशिक जानकारी को गोपनीय रखने का अधिकार है।
- यह फैसला एक ऐसे व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर आया जिसने अपनी पत्नी पर व्यभिचारी संबंध का आरोप लगाते हुए अपने दूसरे बच्चे के पितृत्त्व पर सवाल उठाया था।
- सर्वोच्च न्यायालय ने मामले के तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि इस आधार पर कोई प्रतिकूल निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है क्योंकि माँ ने बच्चे को पितृत्त्व परीक्षण के अधीन करने से मना कर दिया।
फैसला:
- आनुवंशिक जानकारी निजी और व्यक्तिगत होती है। यह किसी व्यक्ति की प्रकृति के विषय में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
- यह व्यक्तियों को उनके स्वास्थ्य, गोपनीयता और पहचान के बारे में सूचित निर्णय लेने की अनुमति देता है।
- तलाक की कार्यवाही में बच्चों को DNA परीक्षण से अपनी आनुवंशिक जानकारी की रक्षा करने का अधिकार है, क्योंकि यह गोपनीयता के उनके मौलिक अधिकार का एक हिस्सा है।
- यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत है।
- यह ज़रूरी है कि कोई भी बच्चा घरेलू लड़ाई-झगड़े का केंद्र बिंदु न बने।
- बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय, गोपनीयता, स्वायत्तता और पहचान के अधिकारों को मान्यता प्रदान करता है।
- यह कन्वेंशन यह स्वीकार करता है कि बच्चों सहित व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत सीमाओं को निर्धारित करने के लिये ज़िम्मेदार होते हैं और यह भी कि दूसरों का साथ पाने के लिये संबंधों को कैसे परिभाषित करते हैं।
- साथ ही बच्चों को केवल बच्चे होने के कारण स्वयं के भाव को प्रभावित करने और समझने के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिये।
भारत में आनुवंशिक सूचना की स्थिति:
- आनुवंशिक डेटा और गोपनीयता:
- ‘आनुवंशिक डेटा गोपनीयता’ किसी तीसरे पक्ष अथवा किसी और को उसकी अनुमति के बिना किसी व्यक्ति के आनुवंशिक डेटा का उपयोग करने से रोकती है।
- प्रौद्योगिकी विकास ने गोपनीयता अधिकारों का उल्लंघन करते हुए DNA नमूनों से व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करना आसान बना दिया है।
- हालाँकि आनुवंशिक अनुसंधान भविष्य के लिये कई संभावनाओं को उजागर करता है, लेकिन इसके गलत उपयोग के नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। किसी व्यक्ति के भौतिक अस्तित्व के ब्लूप्रिंट के रूप में आनुवंशिक डेटा के महत्त्व के कारण गोपनीयता की सुरक्षा काफी महत्त्वपूर्ण है।
- आनुवंशिक सूचना के लाभ:
- आनुवंशिक सूचना रोग, स्वास्थ्य और वंश के बारे में स्पस्ट विवरण प्रदान कर सकती है।
- यह किसी व्यक्ति की अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में वृद्धि कर सकती है, चिकित्सीय अनुसंधान में सहयता कर सकती है और रोग की रोकथाम के लिये शीघ्र हस्तक्षेप में सक्षम बना सकती है।
- आनुवंशिक सूचना के नुकसान:
- आनुवंशिक डेटा के अंतर्गत किसी व्यक्ति के DNA और गुणसूत्र (Chromosomes) होते हैं और ये उसके स्वास्थ्य स्थिति तथा वंश के बारे में व्यक्तिगत जानकारी प्रदान कर सकते हैं। डायरेक्ट-टू-कंज़्यूमर आनुवंशिक परीक्षण हमेशा विश्वसनीय नहीं होते हैं और इसके परिणामस्वरूप निजी जानकारी का अनपेक्षित प्रकटीकरण हो सकता है। आनुवंशिक डेटा तक अनधिकृत पहुँच के नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं, इसके अंतर्गत नियोक्ताओं, बीमा प्रदाताओं और सरकार से अवांछित प्रतिक्रियाएँ आदि किसी व्यक्ति की गोपनीयता और जीवन को प्रभावित कर सकती हैं।
- आनुवंशिक गोपनीयता की स्थिति:
- वर्ष 2018 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ एक हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति के साथ भेदभाव करने के मामले में फैसला सुनाया, जिसे स्वास्थ्य बीमा में आनुवंशिक विकार माना गया था।
- आनुवंशिक भेदभाव अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, जो गारंटी प्रदान करता है कि सभी के साथ कानून के तहत उचित व्यवहार किया जाएगा।
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टास्वामी (सेवानिवृत्त) और अन्य वनाम भारत संघ मामले में सर्वसम्मति से निर्णय किया कि निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है।
- आनुवंशिक भेदभाव लगभग सभी देशों में अवैध है। वर्ष 2008 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने आनुवंशिक सूचना गैर-भेदभाव अधिनियम (Genetic Information Non-discrimination Act- GINA) पारित किया, यह एक ऐसा संघीय कानून है जो स्वास्थ्य देखभाल और नौकरियों में आनुवंशिक भेदभाव से लोगों को बचाता है।
आगे की राह
- कानूनी दृष्टिकोण से अधिक व्यापक गोपनीयता कानूनों और विनियमों को विशेष रूप से आनुवंशिक जानकारी के अनुरूप विकसित करने की आवश्यकता है।
- इसमें आनुवंशिक परीक्षण और डेटा साझा करने हेतु सहमति प्राप्त करने की आवश्यकता के साथ ही अनधिकृत पहुँच या आनुवंशिक जानकारी के उपयोग हेतु दंड भी शामिल हो सकते हैं।
- एन्क्रिप्शन, सुरक्षित भंडारण और डेटा साझाकरण प्रोटोकॉल में तकनीकी प्रगति गोपनीयता सुरक्षा में सुधार के अवसर प्रदान कर सकती है।
- उदाहरण के लिये अंतर्निहित जानकारी प्रकट किये बिना एन्क्रिप्टेड जेनेटिक डेटा की गणना की अनुमति देने हेतु होमोमोर्फिक एन्क्रिप्शन तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।
- नैतिक दृष्टिकोण से आनुवंशिक परीक्षण और डेटा साझाकरण के लाभों तथा जोखिमों के बारे में सार्वजनिक संवाद एवं शिक्षा को बनाए रखना महत्त्वपूर्ण होगा।
- इसमें पारदर्शिता, खुलापन और जवाबदेही को बढ़ावा देने के प्रयास शामिल हो सकते हैं कि कैसे आनुवंशिक डेटा एकत्रण, उपयोग और साझा किया जाता है, साथ ही आनुवंशिक परीक्षण एवं लाभों के लिये समान पहुँच को बढ़ावा देने की पहल भी शामिल है।
प्रश्न. निम्नलिखित में से किसने अपने नागरिकों के लिये दत्त संरक्षण(डेटा प्रोटेक्शन) और प्राइवेसी के लिये ‘सामान्य दत्त संरक्षण विनियमन (जेनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन)’ नामक एक कानून अप्रैल 2016 में अपनाया और उसका 25 मई, 2018 से कार्यान्वयन शुरू किया? (2019) (a) ऑस्ट्रेलिया उत्तर: (c) प्रश्न. निजता के अधिकार को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्भूत भाग के रूप में संरक्षित किया गया है। भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किससे उपर्युक्त कथन सही और समुचित ढंग से अर्थित होता है? (2018) (a) अनुच्छेद 14 एवं संविधान के 42वें संशोधन के अधीन उपबंध। उत्तर: (c) |