अंतर्राष्ट्रीय संबंध
कार्बन मुक्त विद्युत उत्पादन के प्रति G7 की प्रतिबद्धता
- 18 Apr 2023
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प्रिलिम्स के लिये:G7 शिखर सम्मेलन हिरोशिमा, वैश्विक ऊर्जा संकट, शुद्ध-शून्य ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन, IPCC, प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना, हरित ऊर्जा गलियारा, राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन (NSGM) मेन्स के लिये:G7, कार्बन-मुक्त विद्युत उत्पादन से संबंधित भारतीय पहल। |
चर्चा में क्यों?
सात देशों के समूह (Group of Seven- G7) के जलवायु और ऊर्जा मंत्रियों तथा दूतों ने वर्ष 2035 तक कार्बन मुक्त विद्युत उत्पादन सुनिश्चित करने एवं कोयले की चरणबद्ध समाप्ति/फेज-आउट की दिशा में तेज़ी लाने हेतु प्रतिबद्धता जताई है। मई 2023 में हिरोशिमा में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन से पहले यह समझौता साप्पोरो, जापान में किया गया था।
- G20 की अध्यक्षता के संदर्भ में भारत को शिखर सम्मेलन में 'अतिथि' के रूप में भी आमंत्रित किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- मौजूदा वैश्विक ऊर्जा संकट और आर्थिक समस्याओं को देखते हुए इस समझौते में वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य ग्रीनहाउस गैस (Greenhouse Gas- GHG) उत्सर्जन हेतु स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने में तेज़ी लाने का आह्वान किया गया है।
- G7 देशों ने वर्ष 2030 तक GHG उत्सर्जन को लगभग 43% और वर्ष 2035 तक 60% कम करने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
- IPCC की AR6 रिपोर्ट के अनुसार, जिसमें शताब्दी के अंत तक वैश्विक तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ने से रोकने की आवश्यकता को इंगित किया गया है, प्रतिभागी देशों ने अपतटीय प्लेटफाॅर्मों से 1,000 गीगावाट सौर ऊर्जा और 150 गीगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन करने के लिये सौर एवं पवन ऊर्जा क्षेत्र में निवेश में तेज़ी लाने पर सहमति व्यक्त की।
- इसमें पुष्टि की गई है कि जीवाश्म ईंधन सब्सिडी पेरिस समझौते के लक्ष्यों के साथ असंगत है और वे वर्ष 2025 तक अकुशल जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को खत्म करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।
- वे प्रमुख मुद्दे जिन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई:
- अन्य देशों को उनके ऊर्जा संक्रमण और ऊर्जा दक्षता बढ़ाने में मदद करने के लिये और अधिक सहायता दिये जाने के संबंध में।
- UNFCCC COP 27 में प्रतिवर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के योगदान की प्रतिबद्धता जताई गई थी, परंतु विकसित देशों द्वारा किये जाने वाले वित्तीय योगदान में कमी आई है।
- ब्रिटेन और कनाडा द्वारा वर्ष 2030 तक कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का प्रस्ताव।
- अन्य देशों को उनके ऊर्जा संक्रमण और ऊर्जा दक्षता बढ़ाने में मदद करने के लिये और अधिक सहायता दिये जाने के संबंध में।
G7:
- परिचय:
- सात देशों का समूह (G7) एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसमें सात प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्थाएँ- कनाडा, फ्राँस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राष्ट्र शामिल हैं।
- G7, मूल रूप से G8 (जब इसमें शामिल होने के लिये रूस को आमंत्रित नहीं किया गया था), को वर्ष 1975 में विश्व की सबसे उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के नेतृत्त्वकर्त्ताओं के एक अनौपचारिक मंच के रूप में स्थापित किया गया था।
- उद्देश्य:
- G7 का प्राथमिक उद्देश्य इसके सदस्य देशों के बीच आर्थिक विकास और स्थिरता को बढ़ावा देना है।
- यह व्यापार, आर्थिक नीति और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहित पारस्परिक चिंतनीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिये एक मंच के रूप में कार्य करता है।
- जलवायु परिवर्तन, गरीबी में कमी लाना और वैश्विक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर सहयोग एवं समन्वय को बढ़ावा देता है।
- बैठकें:
- G7 शिखर सम्मेलन का आयोजन वार्षिक रूप से किया जाता है जिसमें सदस्य देश विभिन्न मुद्दों पर चर्चा और उनका समाधान करने के लिये एकत्रित होते हैं।
- इस शिखर सम्मेलन का आयोजन क्रमिक रूप से इसके सदस्य देशों द्वारा किया जाता है।
- G7 शिखर सम्मेलन का आयोजन वार्षिक रूप से किया जाता है जिसमें सदस्य देश विभिन्न मुद्दों पर चर्चा और उनका समाधान करने के लिये एकत्रित होते हैं।
- महत्त्व:
- आर्थिक शक्तियाँ: G7 देश विश्व की कुछ सबसे बड़ी और शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाएँ हैं, जो दुनिया की 40 प्रतिशत आर्थिक गतिविधियों का प्रतिनिधित्त्व करती हैं।
- ये वैश्विक व्यापार नीतियों और विनियमों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव के साथ विश्व के अग्रणी व्यापारिक राष्ट्रों में भी शामिल हैं।
- वैश्विक शासन: G7 वैश्विक शासन की एक महत्त्वपूर्ण संस्था है, जिसका संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव है।
- इसकी नीतियों और निर्णयों का वैश्विक आर्थिक तथा राजनीतिक स्थिरता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
- आर्थिक शक्तियाँ: G7 देश विश्व की कुछ सबसे बड़ी और शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाएँ हैं, जो दुनिया की 40 प्रतिशत आर्थिक गतिविधियों का प्रतिनिधित्त्व करती हैं।
- आलोचनाएँ:
- G7, जिसमें विश्व की कुछ सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाएँ शामिल हैं, वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के लगभग एक-चौथाई हिस्से के लिये ज़िम्मेदार है।
- यह आश्चर्यचकित कर देने वाला आँकड़ा है जो जलवायु परिवर्तन के कार्यक्रम चलाने में इन देशों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
- G7 को विश्व की आबादी का विशिष्ट और अप्रतिनिधि होने के कारण आलोचना का सामना करना पड़ा है, क्योंकि यह वैश्विक आबादी के केवल एक छोटे से हिस्से का प्रतिनिधित्त्व करता है एवं भारत तथा चीन जैसे देश इससे बाहर हैं, जो कि प्रमुख आर्थिक शक्तियाँ हैं।
- आलोचकों ने यह भी तर्क दिया है कि हाल के वर्षों में G7 के प्रभाव में कमी आई है क्योंकि उभरती अर्थव्यवस्थाएँ वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई हैं।
- G7, जिसमें विश्व की कुछ सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाएँ शामिल हैं, वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के लगभग एक-चौथाई हिस्से के लिये ज़िम्मेदार है।
कार्बन मुक्त विद्युत के संबंध में भारत की पहल:
- प्रधानमंत्री सहज विद्युत हर घर योजना (सौभाग्य): विश्वसनीय और सस्ती बिजली तक पहुँच के माध्यम से ग्रामीण और शहरी परिवारों को सशक्त बनाना।
- ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (GEC): भारत के राष्ट्रीय ट्रांसमिशन नेटवर्क के साथ ग्रिड से जुड़ी नवीकरणीय ऊर्जा को सिंक्रोनाइज़ करना।
- नेशनल स्मार्ट ग्रिड मिशन (NSGM) और स्मार्ट मीटर नेशनल प्रोग्राम (SMNP): भारत के विद्युत क्षेत्र को सुरक्षित, अनुकूली, टिकाऊ व डिजिटल रूप से सक्षम आधुनिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना।
- प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (PAT): ऊर्जा प्रभावशीलता में सुधार करना और उन औद्योगिक क्षेत्रों से उत्सर्जन को कम करना जिन्हें विनियमित करना मुश्किल है।
- राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs): अद्यतन NDC के अनुसार, भारत अब वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करने और वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50% संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करने के लिये प्रतिबद्ध है।
UPSC यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किस एक समूह के सभी चारों देश G20 के सदस्य हैं? अर्जेंटीना, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. "सतत्, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है।" इस संबंध में भारत में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018) प्रश्न. पारंपरिक ऊर्जा की समस्या को दूर करने के लिये भारत के हरित ऊर्जा गलियारे पर एक टिप्पणी लिखिये। (2013) |