भारतीय अर्थव्यवस्था
वैश्विक ऊर्जा संकट और भारत की ऊर्जा गतिशीलता
- 27 Dec 2022
- 12 min read
यह एडिटोरियल 25/12/2022 को ‘इकोनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित “How India is filling its fuel tank amid ongoing global energy crisis” लेख पर आधारित है। इसमें वैश्विक ऊर्जा संकट और इससे संबद्ध चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ
एक ऐसे समय जब दुनिया एक वैश्विक ऊर्जा संकट का सामना कर रही है, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने कहा है कि शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण वर्ष 2030 तक भारत की ऊर्जा मांग प्रतिवर्ष 3% से अधिक तक बढ़ सकती है ।
- यद्यपि भारत नवीकरणीय ऊर्जा परिनियोजन और दक्षता नीतियों के साथ व्यापक प्रगति भी कर रहा है। जलवायु परिवर्तन, लॉजिस्टिक्स आपूर्ति संबंधी मुद्दों, भू-राजनीतिक तनाव (रूस-यूक्रेन युद्ध), कोविड-19 से प्रेरित लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था का धीरे-धीरे पुनरुद्धार आदि का भारत में ऊर्जा गतिशीलता पर एक दूरगामी प्रभाव (Domino Effect) पड़ा है।
- इस परिदृश्य में, ऊर्जा सुरक्षा के निरंतर जोखिमों को कम करने के लिये नवीकरणीय स्रोतों की ओर संक्रमण में तेज़ी लाना और जीवाश्म ईंधन की प्रमुखता को तेज़ी से समाप्त करना भारत की ऊर्जा सुरक्षा की कुंजी होनी चाहिये।
ऊर्जा सुरक्षा और भारत के तेल आयात की वर्तमान स्थिति
- ऊर्जा सुरक्षा का अभिप्राय है उचित मूल्य पर आवश्यक मात्रा और गुणवत्ता में ऊर्जा संसाधनों एवं ईंधन तक पहुँच। ऊर्जा सुरक्षा निम्नलिखित संदर्भों में ऊर्जा संसाधनों की पर्याप्त मात्रा पर लक्षित है:
- अभिगम्यता (Accessibility)
- वहनीयता (Affordability)
- उपलब्धता (Availability)
- भारत अपनी तेल आवश्यकताओं के 80% भाग का आयात करता है और दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है। इसके साथ ही, भारत की ऊर्जा खपत के अगले 25 वर्षों तक प्रत्येक वर्ष 4.5% की दर से बढ़ने का अनुमान किया जाता है।
- हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल के उच्च मूल्यों के कारण तेल आयात की उच्च लागत से चालू खाता घाटे (CAD) में वृद्धि हुई, जिससे भारत में दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता को लेकर चिंता बढ़ी है।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा से संबंधित प्रमुख चिंताएँ
- जलवायु परिवर्तन से प्रेरित मांग वृद्धि: घरेलू कोयला उत्पादन में वृद्धि के बावजूद कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के भंडार में कमी की स्थिति उत्पन्न हुई क्योंकि देश में जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व ग्रीष्म लहर और बिजली की मांग में तेज़ उछाल (जो अप्रैल 2022 में 201 गीगावाट तक पहुँच गया) के लिये ये प्रतिष्ठान तैयार नहीं थे।
- साझा कोयला समुच्चय और मूल्य उछाल: रूस-यूक्रेन संघर्ष ने कोयले की पहले से ही बढ़ रही मांग को और तेज़ कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप यूरोप ने कोयले की खरीद के लिये इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका का रुख किया जो अब तक चीन और भारत के लिये प्रमुख कोयला आपूर्तिकर्ता रहे थे।
- साझा संसाधन समुच्चय पर इस निर्भरता के कारण मार्च 2022 में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कोयले की कीमत 70 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 421 डॉलर प्रति टन तक पहुँच गई।
- स्वास्थ्य के लिये जोखिम: लकड़ी, गोबर और फसल अवशेषों जैसे विभिन्न पारंपरिक ऊर्जा ईंधनों को जलाने के कारण आंतरिक वायु प्रदूषण (Indoor Air Pollution) होता है जो मानव स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है।
- भारत में प्रत्येक 4 में से 1 असामयिक मौत घरेलू वायु प्रदूषण (HAP) के कारण होती है।
- उनमें से 90% महिलाएँ हैं, जो अपर्याप्त रूप से हवादार रसोई-घरों में इन ईंधनों के निकटता में कार्य करती हैं।
- भारत में प्रत्येक 4 में से 1 असामयिक मौत घरेलू वायु प्रदूषण (HAP) के कारण होती है।
- वहनीयता एवं खुदरा मुद्रास्फीति संबंधी चिंता: तेल के लिये उच्च सब्सिडी प्रदान करने के बावजूद भारत पेट्रोल और डीजल की वहनीयता के मामले में निम्न रैंकिंग रखता है।
- पेट्रोल की कीमतें प्रत्यक्ष रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को प्रभावित करती हैं। डीजल की कीमतें भारत की माल ढुलाई लागत के 60-70% भाग का निर्माण करती हैं। डीजल की कीमतों में वृद्धि के कारण उच्च माल ढुलाई लागत से सभी उत्पादों की कीमतें बढ़ जाती हैं।
- आयात निर्भरता और भू-राजनीतिक व्यवधान: वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में भारत का कच्चा तेल आयात बिल 76% बढ़कर 90.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो गया, जबकि कुल आयात मात्रा में 15% की वृद्धि हुई।
- आयातित तेल पर बढ़ती निर्भरता ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को गंभीर तनाव की स्थिति में ला दिया है तथा भू-राजनीतिक व्यवधानों ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है।
भारत के ऊर्जा संक्रमण को आकार दे रही प्रमुख पहलें:
- प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना/सौभाग्य (SAUBHAGYA)
- हरित ऊर्जा गलियारा (GEC)
- राष्ट्रीय सौर मिशन (NSM)
- राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति और सतत् (SATAT)
- लघु पनबिजली (SHP)
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY)
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA)
आगे की राह
- भारत के ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाना: भारत को धीरे-धीरे, लेकिन महत्त्वपूर्ण रूप से, ऊर्जा उत्पादन के अपने स्रोतों में विविधता लाने की आवश्यकता है, जिसके तहत ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों (सौर, पवन, बायोगैस आदि) को अधिकाधिक शामिल करना होगा जो अधिक स्वच्छ, हरित और संवहनीय विकल्प हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग निम्न-कार्बन विकास रणनीतियों के विकास में योगदान दे सकता है और देश की कामकाजी आबादी के लिये रोज़गार के अवसर पैदा कर सकता है।
- ऊर्जा असमानता पर रोक के लिये ऊर्जा योजना: बिजली की बढ़ती मांग और बारंबार कोयला संकट को देखते हुए अग्रिम योजना निर्माण की आवश्यकता है ताकि समग्र बिजली उत्पादन और आपूर्ति शृंखला को इन आघातों का सामना करने में सक्षम बनाया जा सके।
- इसके लिये, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों को डेटा एकत्र करना चाहिये जो ऊर्जा, आय और लैंगिक असमानता के मामले में अंतर-पारिवारिक और सामूहिक अंतरों को उजागर कर सके ताकि विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच ऊर्जा अंतराल को दूर किया जा सके और किसी भी भू-राजनीतिक आघातों से उनकी रक्षा की जा सके।
- सतत् विकास लक्ष्यों को साकार करना: शून्य भुखमरी, शून्य कुपोषण, शून्य गरीबी और सार्वभौमिक कल्याण जैसे सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये ऊर्जा सुरक्षा अत्यंत महत्त्वपूर्ण होगी।
- नीतियों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिये स्थानीय स्तर पर कड़े निगरानी तंत्र के साथ एक साझा छतरी के नीचे इन मुद्दों को संबोधित करने से भारत को ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिल सकती है।
- ऊर्जा सुरक्षा के साथ महिला सशक्तिकरण को संबद्ध करना: महिला सशक्तिकरण और नेतृत्व के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने से निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा की ओर संक्रमण को गति मिल सकती है।
- ज़िम्मेदार माताओं, पत्नियों और बेटियों के रूप में महिलाएँ हरित ऊर्जा संक्रमण की सामाजिक जागरूकता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- उत्तरदायी नवीकरणीय ऊर्जा (Responsible Renewable Energy- RRE) की ओर आगे बढ़ना: RE केवल ‘रिन्यूएबल एनर्जी’ को नहीं बल्कि ‘रिस्पॉन्सिबल एनर्जी’ को भी प्रकट करे।
- भारत में उभरते नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों को निम्नलिखित विषयों पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिये:
- सहभागी शासन सिद्धांतों के लिये प्रतिबद्धता;
- सार्वभौमिक श्रम, भूमि और मानवाधिकारों को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना; और
- प्रत्यास्थी, फलते-फूलते पारितंत्र की संरक्षा, पुनर्बहाली और संपोषण।
- भारत में उभरते नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों को निम्नलिखित विषयों पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिये:
अभ्यास प्रश्न: ऊर्जा उत्पादन के स्रोतों में विविधता लाना भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। विवेचना कीजिये।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रारंभिक परीक्षाQ. इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी लिमिटेड (IREDA) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (वर्ष 2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (A) केवल 1 उत्तर: (C) मुख्य परीक्षाQ. "सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिए सस्ती, भरोसेमंद, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच अनिवार्य है।" इस संबंध में भारत में हुई प्रगति पर टिप्पणी करें। (वर्ष 2018) |