G20 शिखर सम्मेलन और जलवायु परिवर्तन | 02 Nov 2021
प्रिलिम्स के लिये:G20 शिखर सम्मेलन, COP26, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष मेन्स के लिये:G20 शिखर सम्मेलन की प्रमुख विशेषताएँ |
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में संपन्न G20 शिखर सम्मेलन में राजनेताओं ने सदी के मध्य तक या उसके आसपास कार्बन तटस्थता के निर्धारित लक्ष्य तक पहुँचने की प्रतिबद्धता जताई।
- उन्होंने रोम घोषणा के प्रस्तावों को अपनाया है (G20 देशों की वर्तमान अध्यक्षता इटली द्वारा की जा रही है)।
- एक अंतिम रिपोर्ट में उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित करने के लिये ‘सार्थक और प्रभावी’ कार्रवाई का भी आह्वान किया। हालाँकि कोई समयबद्ध समझौता नहीं हुआ।
- इससे पहले G20 जलवायु जोखिम एटलस जारी किया गया था जो G20 देशों में जलवायु परिदृश्य, सूचना, डेटा और जलवायु में भविष्य में परिवर्तन प्रदान करता है।
प्रमुख बिंदु
- घोषणा की मुख्य विशेषताएँ:
- कोयला आधारित संयंत्रों की सहायता को प्रतिबंधित करना: इसमें इस वर्ष (2021) के अंत तक विदेशी अनुसमर्थन प्राप्त कोल आधारित बिजली उत्पादन के वित्तपोषण को रोकने का संकल्प शामिल था।
- COP 26 के लिये रोडमैप: इसने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों से वैश्विक जलवायु परिवर्तन संकट से निपटने के लिये अपनी कार्य योजना बनाने का आग्रह किया।
- यह ग्लासगो (स्कॉटलैंड) में आयोजित आगामी संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (COP26) के संदर्भ में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- वित्तपोषण हेतु पीपीपी मॉडल: सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) वैश्विक तापमान वृद्धि को कम करने वाले स्वच्छ, सतत् ऊर्जा स्रोतों में ट्रांज़िशन हेतु आवश्यक वार्षिक निवेश के रूप में खरबों डॉलर प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है।
- भारत द्वारा की गई घोषणा:
- वैक्सीन असमानता को संबोधित करना: दुनिया भर में वैक्सीन असमानता को दूर करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए भारत अगले वर्ष (2022) के अंत तक 5 बिलियन से अधिक वैक्सीन खुराक का उत्पादन करने के लिये तैयार है।
- भारत ने वैक्सीन अनुसंधान, निर्माण और नवाचार पर भी ज़ोर दिया।
- ‘वन अर्थ वन हेल्थ’: ‘वन अर्थ वन हेल्थ’ किसी भी प्रकार की महामारी के विरुद्ध लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में एक सहयोगी दृष्टिकोण साबित हो सकता है।
- लचीली वैश्विक आपूर्ति शृंखला: भारत ने लचीली वैश्विक आपूर्ति शृंखला की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और G20 देशों को भारत को आर्थिक सुधार व आपूर्ति शृंखला विविधीकरण में भागीदार बनाने हेतु आमंत्रित किया।
- वैश्विक न्यूनतम कर के लिये समर्थन: भारत ने वैश्विक वित्तीय ढाँचे को ‘अधिक न्यायपूर्ण और निष्पक्ष’ बनाने के लिये 15 प्रतिशत न्यूनतम कॉर्पोरेट कर के जी-20 के निर्णय की भी सराहना की।
- भारत-प्रशांत रणनीति का स्वागत: भारत ने यूरोपीय संघ की इंडो-पैसिफिक रणनीति और उसमें फ्राँसीसी नेतृत्व का स्वागत किया।
- वैक्सीन असमानता को संबोधित करना: दुनिया भर में वैक्सीन असमानता को दूर करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए भारत अगले वर्ष (2022) के अंत तक 5 बिलियन से अधिक वैक्सीन खुराक का उत्पादन करने के लिये तैयार है।
- संबद्ध चिंताएँ:
- आधे-अधूरे प्रयास: इस व्यक्तव्य में कुछ ठोस कार्रवाइयाँ की गई थीं और शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के लिये 2050 की किसी विशेष तारीख का कोई संदर्भ नहीं दिया गया था।
- इसके अलावा इस व्यक्तव्य में पिछले मसौदे में ‘उत्सर्जन को काफी कम करने’ के लक्ष्य के संदर्भों को हटा दिया गया।
- कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का कोई लक्ष्य नहीं: इसने घरेलू स्तर पर कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है, जो चीन और भारत जैसे शीर्ष कार्बन प्रदूषकों के लिये एक स्पष्ट मंज़ूरी है।
- उदाहरण के लिये चीन ने घरेलू कोयला संयंत्रों के निर्माण की अंतिम तिथि निर्धारित नहीं की है।
- कोयला अभी भी चीन का बिजली उत्पादन का मुख्य स्रोत है और चीन तथा भारत दोनों ने घरेलू कोयले की खपत को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने पर जी-20 घोषणा के प्रयासों का विरोध किया है।
- वैक्सीन पेटेंट छूट को लेकर कोई संकल्प नहीं: इसमें वैक्सीन पेटेंट छूट को लेकर विवाद पर बात नहीं हुई।
- भारत की विकासात्मक अनिवार्यता पर दबाव: अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के जलवायु वार्ताकारों ने पिछले कुछ महीनों में भारत के कई दौरे किये थे, जिसमें भारत के लिये अपने ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ को वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के अपने लक्ष्य को शामिल करने के लिये दबाव डाला गया था।
- आधे-अधूरे प्रयास: इस व्यक्तव्य में कुछ ठोस कार्रवाइयाँ की गई थीं और शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के लिये 2050 की किसी विशेष तारीख का कोई संदर्भ नहीं दिया गया था।
G20
- परिचय:
- G20 समूह विश्व बैंक एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रतिनिधि, यूरोपियन यूनियन एवं 19 देशों का एक अनौपचारिक समूह है।
- G20 समूह के पास स्थायी सचिवालय या मुख्यालय नहीं होता है।
- G20 समूह दुनिया की प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों को एक साथ लाता है। यह वैश्विक व्यापार का 75%, वैश्विक निवेश का 85%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85% तथा विश्व की दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है।
- सदस्य:
- G20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।