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भारत की G20 अध्यक्षता: स्वास्थ्य कार्य समूह की तीसरी बैठक

  • 06 Jun 2023
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

G20, डिजिटल स्वास्थ्य, बौद्धिक संपदा अधिकार, आधार, CoWIN, आरोग्य सेतु, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), सतत् विकास लक्ष्य (SDGs), आयुष्मान भारत योजना, जलवायु परिवर्तन

मेन्स के लिये:

भारत की G20 अध्यक्षता एवं स्वास्थ्य पर प्राथमिकताएँ, विश्व स्तर पर स्वास्थ्य क्षेत्र हेतु जोखिम उत्पन्न करने वाली चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

भारत की G20 अध्यक्षता के तहत हैदराबाद, तेलंगाना में हाल ही में आयोजित स्वास्थ्य कार्य समूह की तीसरी बैठक में महामारी के खतरे और स्वास्थ्य क्षेत्र में वैश्विक सहयोग की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।

  • वैश्विक स्तर पर एकीकृत निगरानी प्रणाली, चिकित्सा प्रत्युपाय, डिजिटल स्वास्थ्य पहल और वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए भारत द्वारा कई प्रमुख प्रस्ताव रखे गए।

स्वास्थ्य क्षेत्र में वैश्विक सहयोग हेतु भारत के प्रमुख प्रस्ताव:

  • भारत ने वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के उपयोग संबंधी पहलों को एकीकृत करने हेतु WHO-प्रबंधित नेटवर्क, वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य पहल का प्रस्ताव रखा।
    • यह पहल राष्ट्रों के बीच डिजिटल विभाजन को समाप्त करने में सक्षम हो सकती है और यह सुनिश्चित कर सकती है कि प्रौद्योगिकी का लाभ विश्व के प्रत्येक नागरिक को उपलब्ध हो। 
  • एंड-टू-एंड ग्लोबल मेडिकल काउंटरमेज़र (MCM) इकोसिस्टम हेतु आम सहमति बनाना।
    • ग्लोबल मेडिकल काउंटरमेज़र (MCM) इकोसिस्टम हेतु अंतर-सरकारी वार्ता निकाय (Intergovernmental Negotiating Body- INB) प्रक्रिया द्वारा निर्देशित एक अंतरिम प्लेटफॉर्म का निर्माण करना।
    • बौद्धिक संपदा अधिकार बाधाओं का निदान करना जो संकट के समय में चिकित्सा प्रत्युपायों तक पहुँच में बाधा उत्पन्न करते हैं।
  • उभरते रोगजनकों हेतु वैक्सीन अनुसंधान और विकास (Research and Development- R&D) में तेज़ी लाना एवं महामारी रोकथाम तैयारी के प्रयासों को मज़बूत करना।
    • वैक्सीन के विकास में अंतराल को दूर करने, समन्वय बढ़ाने और वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास हेतु सक्षम वातावरण को बढ़ावा देने के लिये वैश्विक वैक्सीन अनुसंधान सहयोग सुनिश्चित करना।
    • स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान निदान, दवाओं और वैक्सीन तक पहुँच में समानता पर ज़ोर देना।
  • त्वरित निर्णय लेने और संकट के दौरान योजना बनाने हेतु वैश्विक पहलों का मानचित्रण एवं एकीकरण करना। जानवरों से मनुष्यों में स्थानांतरित होने वाली बीमारियों के ज़ूनोटिक संक्रमण की चुनौतियों का समाधान करना।

स्वास्थ्य पर G20 अध्यक्षता हेतु भारत की प्राथमिकताएँ: 

  • परिचय:  
    • भारत को "फार्मेसी ऑफ दर वर्ल्ड" के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो वैश्विक वैक्सीन उत्पादन में एक महत्त्वपूर्ण हिस्से का योगदान देता है।
    • अकेले हैदराबाद में जीनोम वैली दुनिया के वैक्सीन उत्पादन में 33% के करीब योगदान देती है। साथ ही भारत का आयुर्वेद और योग महत्त्वपूर्ण अभ्यास हैं जो समग्र कल्याण सुनिश्चित करते हैं।
  • प्राथमिकता:  
    • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना: भारत का उद्देश्य सभी के लिये स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच, सामर्थ्य और गुणवत्ता बढ़ाने हेतु आधार, को-विन तथा आरोग्य सेतु जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित करने में अपने अनुभव का लाभ उठाना है।
      • भारत G20 के अन्य देशों के साथ अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं और ज्ञान को साझा करने का भी इरादा रखता है तथा स्वास्थ्य के लिये अपने स्वयं के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे के निर्माण में उनका समर्थन करता है।'
    • स्वास्थ्य सुरक्षा: भारत वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा ढाँचे को मज़बूत करने और भविष्य की महामारियों के लिये तैयारी सुनिश्चित करने हेतु अन्य G20 देशों के साथ काम करने की योजना बना रहा है।
      • भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य बहुपक्षीय संस्थानों को अधिक उत्तरदायी, पारदर्शी तथा जवाबदेह बनाने के लिये सुधार का भी समर्थन करेगा।
    • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज: भारत वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) प्राप्त करने के लक्ष्य को बढ़ावा देगा, जैसा कि सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) द्वारा परिकल्पित है।
      • भारत आयुष्मान भारत योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से स्वास्थ्य कवरेज के विस्तार में अपनी उपलब्धियों को भी प्रदर्शित करेगा और अन्य G20 देशों को ऐसी ही नीतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करेगा जो स्वास्थ्य परिणामों में सुधार कर सकती हैं तथा गरीबी को कम कर सकती हैं

विश्व स्तर पर स्वास्थ्य क्षेत्र हेतु जोखिम पैदा करने वाली चुनौतियाँ:

  • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा और व्यवसायी: कई देशों में विशेष रूप से कम आय वाले क्षेत्रों में डॉक्टरों, अस्पतालों एवं नैदानिक सुविधाओं सहित पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। 
    • यह आबादी को समय पर और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने की उनकी क्षमता को सीमित करता है।
  • संक्रामक रोगों का प्रकोप: संक्रामक रोगों का बार-बार उभरना वैश्विक स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर जोखिम पैदा करता है।
    • हाल के उदाहरणों में कोविड-19 महामारी और इबोला का प्रकोप शामिल हैं।
  • रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR): रोगाणुरोधी प्रतिरोध दवाओं की प्रभावशीलता को कम कर रहा है, संक्रमण और बीमारियों के इलाज को मुश्किल या असंभव बना रहा है।
    • WHO ने घोषणा की है कि AMR मानवता के सामने शीर्ष 10 वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक है। 

नोट: AMR तब होता है जब जीवाणु, वायरस, परजीवी और कवक जैसे सूक्ष्मजीव विकसित होते हैं तथा इनका उपचार करने हेतु उपयोग की जाने वाली दवाओं के लिये प्रतिरोध विकसित करते हैं अर्थात इन्हें प्रतिरोध प्रदान करते हैं। यह स्वाभाविक रूप से समय के साथ हो सकता है लेकिन यह रोगाणुरोधी दवाओं के अति प्रयोग और दुरुपयोग से तेज़ हो जाता है।

  • जलवायु परिवर्तन का खतरा: जलवायु परिवर्तन अच्छे स्वास्थ्य के आवश्यक तत्त्वों जैसे- स्वच्छ हवा, सुरक्षित पेयजल, पौष्टिक भोजन की आपूर्ति और सुरक्षित आश्रय के लिये खतरा है।
    • जलवायु परिवर्तन सूखे और बाढ़ जैसी चरम मौसम की घटनाओं को बढ़ा देता है जो खाद्य असुरक्षा एवं कुपोषण दर को बढ़ाता है तथा साथ ही संक्रामक रोगों को फैलाने में सहायता करता है।
  • व्यावसायीकरण में वृद्धि: हालाँकि स्वास्थ्य सेवा का व्यावसायीकरण बेहतर बुनियादी ढाँचे, चिकित्सा सुविधाओं और तकनीकी उन्नति का वादा करता है लेकिन उच्च शुल्क के कारण गरीब तथा मध्यम वर्ग के लोग इसे वहन नहीं कर सकते है। यह एक बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के मूल उद्देश्य का खंडन करता है।
    • इसके अतिरिक्त डॉक्टर लाभ के उद्देश्य से ब्रांडेड दवाओं को लिखने के लिये दवा कंपनियों के साथ सहयोग करते हैं जो समान फॉर्मूले के बावजूद जेनेरिक संस्करणों की तुलना में अधिक महँगी होती हैं तथा समय पर स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच को बाधित करती हैं।

आगे की राह   

  • वैश्विक सहयोग और जानकारी साझा करना: स्वास्थ्य पेशेवरों, शोधकर्त्ताओं तथा संस्थानों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और जानकारी साझा करने को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
    • यह सर्वोत्तम प्रथाओं के प्रसार की सुविधा प्रदान कर सकता है, नवाचार को प्रोत्साहित कर सकता है और नए उपचारों एवं चिकित्सा सेवाओं के विकास को गति दे सकता है।
  • जेनेटिक सर्विलांस: जेनेटिक सर्विलांस विश्व भर में विभिन्न रोग वाहकों, विशेष रूप से वायरस के विकास को समझने का एक तरीका हो सकता है। 
    • रोगजनकों का जेनेटिक सर्विलांस विश्व भर में रोगजनकों के संचरण को समझने और कांटेक्ट ट्रेसिंग हेतु एक आणविक दृष्टिकोण का पालन करके अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
  • रोगी सशक्तीकरण और जुड़ाव: व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य के प्रबंधन में सक्रिय भूमिका निभाने के लिये रोगी-केंद्रित देखभाल को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
    • वह उपकरण और संसाधन प्रदान करने चाहिये जो स्वास्थ्य साक्षरता को बढ़ावा देते हों, स्व-निगरानी को सक्षम करते हों और बेहतर उपचार एवं परिणामों के लिये रोगी-प्रदाता संचार की सुविधा प्रदान करते हों।
  • वैश्विक महामारी संधि की ओर: स्वास्थ्य क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को और मज़बूत करने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए WHO ने अब भविष्य की महामारियों के लिये बेहतर तैयारी एवं समान प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक नई अंतर्राष्ट्रीय संधि के विकास व  अपनाने की प्रक्रिया शुरू की है तथा सभी के लिये समानता, एकजुटता और स्वास्थ्य के सिद्धांतों को आगे बढ़ाना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. G-20 के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)  

  1. G-20 समूह की मूल रूप से स्थापना वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं वित्तीय मुद्दों पर चर्चा के मंच के रूप में की गई थी।
  2. डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा भारत की G-20 प्राथमिकताओं में से एक है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1    
(b) केवल 2   
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: C


प्रश्न. ‘Doctors Without Borders’ (Medecins Sans Frontieres), जो प्रायः समाचारों में आया है, है: (2016) 

(a) विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक प्रभाग 
(b) एक गैर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन
(c) यूरोपीय संघ द्वारा प्रायोजित एक अंत: सरकारी एजेंसी
(d) संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी

उत्तर: (b) 


मेन्स:

प्रश्न. भारत में 'सभी के लिये स्वास्थ्य' प्राप्त करने हेतु समुचित स्थानीय सामुदायिक स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल का मध्यक्षेप एक पूर्वापेक्षा है। व्याख्या कीजिये। (2018) 

प्रश्न. सार्विक स्वास्थ्य संरक्षण प्रदान करने में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की अपनी परिसीमाएँ हैं। क्या आपके विचार में खाई को पाटने में निजी क्षेत्रक सहायक हो सकता है? आप अन्य कौन-से व्यवहार्य विकल्प सुझाएंगे? (2015) 

स्रोत: पी.आई.बी. 

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