फ्यूज़न इग्निशन | 20 Aug 2021
प्रिलिम्स के लिये:फ्यूज़न इग्निशन, हीलियम, प्लाज़्मा, परमाणु संलयन बनाम परमाणु विखंडन मेन्स के लिये:फ्यूज़न इग्निशन का स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी’ (जो कैलिफोर्निया, यूएस में नेशनल इग्निशन फैसिलिटी का संचालन करती है) के शोधकर्त्ताओं ने पहली बार "फ्यूज़न इग्निशन" का प्रदर्शन किया है।
- इस सफलता ने दुनिया को नाभिकीय संलयन के माध्यम से असीमित स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन के सपने के लगभग करीब ला दिया है।
प्रमुख बिंदु
प्रयोग के बारे में:
- उन्होंने फ्यूल पैलेट्स पर ऊष्मा उत्सर्जन के लिये लेज़र ऊर्जा प्रवाहित की और सूर्य के केंद्र के समान परिस्थितियों में उन पर दबाव डाला।
- इसने संलयन प्रतिक्रियाओं को उत्तेजित किया।
- इन प्रतिक्रियाओं से अल्फा कण (हीलियम) नामक धनात्मक आवेशित कण निकलते हैं, जो बदले में आसपास के प्लाज़्मा को गर्म करते हैं।
- गर्म प्लाज़्मा ने अल्फा कण भी उत्सर्जित किये और एक आत्मनिर्भर प्रतिक्रिया हुई जिसे ‘इग्निशन’ कहा जाता है।
- ‘इग्निशन’ परमाणु संलयन प्रतिक्रिया से ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है और यह भविष्य के लिये स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने में मदद कर सकता है।
प्रयोग का महत्त्व: सूर्य के केंद्र में स्थितियों से संबंधित अध्ययन की अनुमति देगा:
- प्लाज़्मा पदार्थ की वह अवस्था है जो पहले कभी प्रयोगशाला में नहीं बनी।
- पदार्थ की क्वांटम अवस्थाओं में अंतर्दृष्टि प्राप्त करना।
- बिग बैंग की शुरुआत के करीब की स्थितियाँ।
नाभिकीय संलयन:
- परमाणु संलयन को कई छोटे नाभिकों के एक बड़े नाभिक में संयोजन के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसके बाद बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।
- संलयन वह प्रक्रिया है जो सूर्य को शक्ति प्रदान करती है और एक असीम, स्वच्छ ऊर्जा स्रोत प्रदान कर सकती है।
- सूरज में अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण द्वारा उत्पन्न अत्यधिक दबाव संलयन की स्थिति पैदा करता है।
- संलयन अभिक्रियाएँ प्लाज़्मा नामक पदार्थ की अवस्था में होती हैं। प्लाज़्मा एक गर्म, आवेशित गैस है जो सकारात्मक आयनों और मुक्त गति वाले इलेक्ट्रॉनों से बनी होती है जिसमें ठोस, तरल एवं गैसों से अलग अद्वितीय गुण होते हैं।
- उच्च तापमान पर इलेक्ट्रॉन परमाणु के नाभिक से अलग हो जाते हैं और प्लाज़्मा या पदार्थ की आयनित अवस्था बन जाते हैं। प्लाज़्मा को पदार्थ की चौथी अवस्था के रूप में भी जाना जाता है।
नाभिकीय संलयन के लाभ:
- प्रचुर मात्रा में ऊर्जा: नियंत्रित तरीके से परमाणुओं को एक साथ मिलाने से कोयले, तेल या गैस के जलने जैसी रासायनिक प्रतिक्रिया की तुलना में लगभग चार मिलियन गुना अधिक ऊर्जा और परमाणु विखंडन प्रतिक्रियाओं (समान द्रव्यमान पर) की तुलना में चार गुना अधिक ऊर्जा उत्सर्जित होती है।
- संलयन की क्रिया में शहरों और उद्योगों को बिजली प्रदान करने हेतु आवश्यक बेसलोड ऊर्जा (Baseload Energy) प्रदान करने की क्षमता है।
- स्थिरता: संलयन आधारित ईंधन व्यापक रूप से उपलब्ध हैं और लगभग अखंडनीय हैं। ड्यूटेरियम को सभी प्रकार के जल से डिस्टिल्ड किया जा सकता है, जबकि फ्यूज़न प्रतिक्रिया के दौरान ट्रिटियम का उत्पादन किया जाएगा क्योंकि न्यूट्रॉन लिथियम के साथ फ्यूज़न करते हैं।
- CO₂ का उत्सर्जन नहीं: संलयन की क्रिया से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों जैसे हानिकारक विषाक्त पदार्थों का उत्सर्जन नहीं होता है। इसका प्रमुख सह- उत्पाद हीलियम है जो कि एक अक्रिय और गैर-विषाक्त गैस है।
- लंबे समय तक रहने वाला रेडियोधर्मी कचरे से बचाव: परमाणु संलयन रिएक्टर कोई उच्च गतिविधि, लंबे समय तक रहने वाले परमाणु अपशिष्ट का उत्पादन नहीं करते हैं।
- प्रसार का सीमित जोखिम: फ्यूज़न में यूरेनियम और प्लूटोनियम जैसे विखंडनीय पदार्थ उत्पन्न नहीं होते हैं (रेडियोधर्मी ट्रिटियम न तो विखंडनीय है और न ही विखंडनीय सामग्री है)।
- मेल्टडाउन का कोई खतरा नहीं: संलयन के लिये आवश्यक सटीक स्थितियों तक पहुंँचना और उन्हें बनाए रखना काफी मुश्किल है तथा यदि संलयन की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी होती है, तो प्लाज़्मा सेकंड के भीतर ठंडा हो जाता है और प्रतिक्रिया बंद हो जाती है।
अन्य संबंधित पहलें:
- इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) असेंबली: इसका उद्देश्य ऊर्जा के व्यापक और कार्बन मुक्त स्रोत के रूप में ‘नाभिकीय संलयन’ की व्यवहार्यता को साबित करने के लिये दुनिया के सबसे बड़े टोकामक का निर्माण करना है। ITER के सदस्यों में चीन, यूरोपीय संघ, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
- चीन का कृत्रिम सूर्य: चीन द्वारा डिज़ाइन किया गया ‘प्रायोगिक उन्नत सुपरकंडक्टिंग टोकामक’ (EAST) उपकरण सूर्य द्वारा किये गए परमाणु संलयन प्रक्रिया के समान प्रक्रिया का संचालन करता है।
परमाणु संलयन बनाम परमाणु विखंडन
परमाणु विखंडन |
परमाणु संलयन |
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परिभाषा |
विखंडन का आशय एक बड़े परमाणु का दो या दो से अधिक छोटे परमाणुओं में विभाजन से है। |
नाभिकीय संलयन का आशय दो हल्के परमाणुओं के संयोजन से एक भारी परमाणु नाभिक के निर्माण की प्रकिया से है। |
घटना |
विखंडन प्रकिया सामान्य रूप से प्रकृति में घटित नहीं होती है। |
प्रायः सूर्य जैसे तारों में संलयन प्रक्रिया घटित होती है। |
ऊर्जा आवश्यकता |
विखंडन प्रकिया में दो परमाणुओं को विभाजित करने में बहुत कम ऊर्जा लगती है। |
दो या दो से अधिक प्रोटॉन को एक साथ लाने के लिये अत्यधिक उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है। |
प्राप्त ऊर्जा |
विखंडन द्वारा जारी ऊर्जा रासायनिक प्रतिक्रियाओं में जारी ऊर्जा की तुलना में एक लाख गुना अधिक होती है, हालाँकि यह परमाणु संलयन द्वारा जारी ऊर्जा से कम होती है। |
संलयन से प्राप्त ऊर्जा विखंडन से निकलने वाली ऊर्जा से तीन से चार गुना अधिक होती है। |
ऊर्जा उत्पादन |
विखंडन प्रकिया का उपयोग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में किया जाता है। |
यह ऊर्जा उत्पादन के लिये एक प्रायोगिक तकनीक है। |