लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 31 जुलाई, 2020

  • 31 Jul 2020
  • 12 min read

सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार

Subhash Chandra Bose Aapda Prabandhan Puraskar

भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्टता हेतु ‘सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार’ (Subhash Chandra Bose Aapda Prabandhan Puraskar) के लिये नामांकन आमंत्रित किये हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • व्यक्ति या संस्थान जिसने भी आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया है वे अपना नामांकन 31 अगस्त, 2020 तक www.dmawards.ndma.gov.in पर अपलोड कर सकते हैं।
  • प्रत्येक वर्ष 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर इन पुरस्कारों की घोषणा की जाती है।
  • भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यक्तियों एवं संस्थानों द्वारा किये गए उत्कृष्ट कार्यों को मान्यता देने के लिये ‘सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार’ की शुरूआत की है।
  • इस पुरस्कार के रूप में एक प्रमाण पत्र के साथ एक संस्थान के लिये 51 लाख रुपए एवं एक व्यक्ति के लिये 5 लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
  • एक व्यक्ति पुरस्कार के लिये स्वयं आवेदन कर सकता है या अन्य व्यक्ति या संस्थान को नामित कर सकता है।
    • नामांकित व्यक्ति या संस्था को आपदा प्रबंधन के किसी भी क्षेत्र जैसे- रोकथाम, बचाव, प्रतिक्रिया, राहत, पुनर्वास, अनुसंधान, नवाचार या प्रारंभिक चेतावनी में संलग्न होना चाहिये।


वक्फ बोर्ड

Waqf Board

बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि शीर्षक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Waqf Board) ने घोषणा की है कि अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिये एक ट्रस्ट का गठन किया जाएगा जिसमें अधिकतम 15 सदस्य शामिल होंगे।

प्रमुख बिंदु:

  • इस ट्रस्ट को ‘इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन’ (Indo Islamic Cultural Foundation) कहा जायेगा।

वक्फ (Waqf):

  • धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिये भगवान के नाम पर दी गई संपत्ति को वक्फ (Waqf) कहा जाता है।
  • कानूनी रूप से, वक्फ (Waqf) मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिये किसी भी चल या अचल संपत्ति के इस्लाम को स्वीकार करने वाले व्यक्ति द्वारा स्थायी अर्पण है।
  • एक वक्फ का निर्माण एक विलेख या उपकरण के माध्यम से किया जा सकता है या एक संपत्ति को वक्फ माना जा सकता है यदि इसका उपयोग लंबे समय तक धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिये किया गया हो।
  • एक गैर-मुस्लिम भी एक वक्फ बना सकता है किंतु व्यक्ति को इस्लाम को स्वीकार करना होगा और वक्फ बनाने का उद्देश्य इस्लामी होना चाहिये।
  • प्रत्येक वक्फ को वक्फ अधिनियम, 1995 (Waqf Act, 1995) द्वारा शासित किया जाता है।
  • इस अधिनियम के तहत एक सर्वेक्षण आयुक्त स्थानीय जाँच, गवाहों को बुलाकर और सार्वजनिक दस्तावेज़ों की मांग करके वक्फ के रूप में घोषित सभी संपत्तियों को सूचीबद्ध करता है।
  • वक्फ का प्रबंधन एक मुतावली (Mutawali) द्वारा किया जाता है जो एक पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करता है।
  • यह भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के तहत स्थापित एक ट्रस्ट के समान है, किंतु इसे धार्मिक एवं धर्मार्थ उपयोग की तुलना में व्यापक उद्देश्य के लिये स्थापित किया जाता है।
  • स्थापित ट्रस्ट को वक्फ के विपरीत बोर्ड द्वारा भंग भी किया जा सकता है।

वक्फ बोर्ड (Waqf Board):

  • यह संपत्ति प्राप्त करने एवं रखने और ऐसी किसी भी संपत्ति को हस्तांतरित करने की शक्ति रखने वाला एक न्यायिक व्यक्ति (Juristic Person) है।
  • बोर्ड किसी पर मुकदमा कर सकता है और बोर्ड पर न्यायालय में मुकदमा चलाया जा सकता है क्योंकि इसे एक कानूनी संस्था या न्यायिक व्यक्ति के रूप में मान्यता प्राप्त है।

वक्फ बोर्ड की संरचना (Composition):

  • प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है जिसमें निम्नलिखित लोग शामिल होते हैं जिनकी वार्षिक आय 1 लाख या इससे अधिक होती है:-
    • अध्यक्ष
    • राज्य सरकार द्वारा नामित एक या दो सदस्य
    • मुस्लिम विधायक एवं सांसद
    • राज्य बार काउंसिल के मुस्लिम सदस्य
    • इस्लामी धर्मशास्त्र के मान्यता प्राप्त विद्वान
    • वक्फों के मुतावली

इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर

International Thermonuclear Experimental Reactor

14 वर्ष बाद ‘इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर’ (International Thermonuclear Experimental Reactor- ITER) ने अपने असेम्बलिंग फेज (Assembling Phase) में प्रवेश किया है।

  • ITER एक प्रयोगात्मक टोकामक (Tokamak) परमाणु संलयन रिएक्टर है जिसे दक्षिणी फ्राॅन्स में बनाया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय नाभिकीय संलयन अनुसंधान एवं इंजीनियरिंग मेगाप्रोजेक्ट (International Nuclear Fusion Research and Engineering Megaproject) है, जो
  • दुनिया का सबसे बड़ा चुंबकीय परिशोधन प्लाज्मा भौतिकी प्रयोग होगा।
  • ITER का लक्ष्य संलयन ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिये वैज्ञानिक एवं तकनीकी व्यवहार्यता का प्रदर्शन करना है।
  • यह परियोजना सात सदस्यों- यूरोपीय संघ, भारत, जापान, चीन, रूस, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के वित्त पोषण द्वारा चलाई जा रही है।
  • ITER लगभग 500 मेगावाट की तापीय ऊर्जा का उत्पादन करेगा जो लगभग 200 मेगावाट की विद्युत ऊर्जा के बराबर है।

नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion):

  • नाभिकीय संलयन दो हल्के नाभिक से एक एकल भारी नाभिक बनने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया को नाभिकीय अभिक्रिया कहा जाता है। संलयन द्वारा बनाया गया नाभिक पहले वाले नाभिक की तुलना में भारी होता है। इससे बड़ी मात्रा में ऊर्जा निर्मुक्त होती है।
    • संलयन अभिक्रिया, हाइड्रोजन के दो समस्थानिकों, ड्यूटेरियम (Deuterium– D) तथा ट्राइटियम (Tritium– T) के मध्य होने वाली अभिक्रिया है।
    • ड्यूटेरियम (Deuterium–D) एवं ट्राइटियम (Tritium–T) की संलयन अभिक्रिया में ‘सबसे कम’ तापमान पर सर्वाधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।

टोकामक (Tokamak):

  • टोकामक (Tokamak) संलयन ऊर्जा को नियंत्रित करने के लिये तैयार की गई एक प्रायोगिक मशीन है।
  • इसके अंदर, परमाणुओं के संलयन से उत्पादित ऊर्जा को एक विशाल बर्तन में ऊष्मा के रूप में अवशोषित किया जाता है।
  • टोकामक को पहली बार 1960 के दशक के अंत में सोवियत संघ के एक अनुसंधान के दौरान विकसित किया गया था, इसके बाद में इसे चुंबकीय संलयन उपकरण की सबसे उत्कृष्ट तकनीक के रूप में पूरे विश्व द्वारा मान्यता प्रदान की गई है।
  • ITER विश्व का सबसे बड़ा टोकामक होगा जो वर्तमान में कार्यरत सबसे बड़ी मशीन के आकार का दोगुना होगा तथा इसके प्लाज्मा चैंबर का आयतन दस गुना अधिक होगा।

अल्पाइन प्लांट

Alpine Plant

वैज्ञानिकों ने पहली बार मनाली (हिमाचल प्रदेश) के रोहतांग क्षेत्र में कुछ दुर्लभ एवं लुप्तप्राय प्रजातियों सहित अल्पाइन पौधों की लगभग 70 प्रजातियों की खोज की है।

प्रमुख बिंदु:

  • रोहतांग राजमार्ग सहित रोहतांग के आसपास का क्षेत्र जंगली औषधीय फूलों से आच्छादित है।
    • औषधीय जड़ी-बूटियों में पिकरोर्रिज़ा कुर्रोआ (Picrorhiza Kurroa), एकोनिटम हेटेरोफाइलम (Aconitum Heterophyllum), रहयूम इमोडी (Rheum Emodi), बेर्गेनिया स्ट्राचेई (Bergenia Stracheyi), अचिलिया मिल्लीफोलियम (Achillea Millefolium), रोडोडेंड्रोन एंथोपोगोन (Rhododendron Anthopogon) और एनीमोन ओब्टुसिलोबा (Anemone Obtusiloba) आदि शामिल हैं।
  • दशकों से इस क्षेत्र में वनस्पतियों की प्रचुर वृद्धि देखी जा रही है। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि वनस्पतियों की वृद्धि के प्रमुख कारण पर्यटकों के दबाव में कमी, सीमित वाहनों की आवाजाही एवं अन्य मानवजनित गतिविधियों में कमी है।
    • गौरतलब है कि पहले राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के हस्तक्षेप तथा वर्तमान में COVID-19 महामारी के कारण रोहतांग क्षेत्र में पर्यटकों एवं वाहनों की आवाजाही में कमी आई है।
  • ब्लू पॉपी जिसे ‘हिमालयी फूलों की रानी’ के रूप में जाना जाता है, रोहतांग के आसपास बहुतायत में पाया गया है।

अल्पाइन प्लांट:

  • अल्पाइन पौधे वे पौधे हैं जो अल्पाइन जलवायु में बढ़ते हैं और अधिक ऊँचाई पर एवं ट्री लाइन (Tree Line) से ऊपर उगते हैं।
  • अल्पाइन पौधे, अल्पाइन पर्यावरण की कठोर परिस्थितियों के प्रति अनुकूलित होते हैं जिसमें कम तापमान, सूखापन, पराबैंगनी विकिरण, वायु, सूखा, खराब पोषण वाली मिट्टी एवं एक प्रतिकूल मौसम शामिल हैं।
    • उल्लेखनीय है कि कुछ अल्पाइन पौधे, औषधीय पौधे होते हैं।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2